Thursday, January 15, 2015

Bharati 4th Death annivarsary 18 Jan will be celebrated in Nagal Mafi, Women empowerment Center, Bharati Sadan in Saharapur on 18th Jan 2015. All are cordially invited. 
Roma and Munnilal

pl find the hindi note below and also in the attached file
BHARATI FELLOWSHIP PROGRAMME STARTED BY ALL INDIA UNION OF FOREST WORKING PEOPLE
Bharati Fellowship Programme started by All India union of Forest People on the Birth Anniversary of Bharati Roy Choudhary this year in November 2014 to support the community women leaders who are fighting all forms of violence and to build up women's organization in their area. This great task could be achieved from savings of Bharatiji who had a dream to build up a strong women leaders in the country especially in the forest area from the community. Our union selected two women community leaders who were selected on the basis of their struggle in entirely a new area. Union was in the opinion that the fellowship should go to new area where there are community women leaders who are trying to organize and struggle independently. In their struggle Union will also provide them all kind of political support. As the area in which our women activists are struggling are very difficult areas.
Community leaders who were identified -
1. Manisha Solanki, a dalit activist working in Chota Udaipur, Gujarat. She is organizing forest people in the forest area of Gujarat.Manisha was presented this fellowship award in the National Committee meeting of our Union in New Delhi on 16th Dec 2014. She was awarded this fellowship by our union President Jarjum Ete.
2. Seeto Majhoka, from Od nomadic tribe struggling hard to organize and unionize women from Bhatti mines, Delhi in Asola wild life sanctuary. Seeto was awarded this fellowship in the Birth annivarsary celebration of Bharatidi in Bharati Sadan, Nagal, Saharapur, UP on the occasion of mass training programme organized by Union on " Collectivism, Unionism and building Cooperatives, Empowering women on natural resources. She was honored by our Union President Ms Jarjum Ete and was also honored with other community women who too were honored for their contribution in the struggle for control of natural resources.
Both of our community women leaders became very emotional after they received such an honor. They were even more emotional as they never met Bharatidi and through these programmes only came to know regarding her contribution in the forest rights movement.
APPEAL TO DONATE IN THE FELLOWSHIP PROGRAMME
This programme has brought a lot of strength to the union's activity and has built up an atmosphere where community women are feeling confident that they can surely take up the state and the national level leadership. This programme needs to be strengthened in the future also. We need to support more such women who are struggling at the grass roots without any support. The fellowship amount is not sufficient to reach to many such women. We started this programme when our union is passing through a severe financial crisis but it was a commitment to our departed leader and hence union felt that it was the right time to start this programme otherwise the money will be spent in other purposes. Our union members from villages have taken resolution that they will contribute in this fellowship amount.
IT IS OUR APPEAL TO ALL LIKE MINDED PEOPLE, FRIENDS, COLLEAGUES, TO DONATE IN THIS FELLOWSHIP FUND SO THAT MORE COMMUNITY WOMEN LEADERS COULD BENEFIT OUT OF THIS PROGRAMME.FOR ANY SUCH KIND OF HELP YOU COULD GET IN TOUCH WITH OUR UNION PRESIDENT JARJUM ETE (jarjum@gmail.com) or Roma malik (romasnb@gmail.com, 09415233583)
Below are the pictures of Manisha Solanki and Seeto majhoka receiving the fellowship award.
Roma Malik
Dy Gen Sect
All India Union of Forest Working People
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भारती जी की चौथी पुण्यतिथि 18 जनवरी को महिला शसक्तीकरण केंद्र, भारती सदन, नागल माफ़ी सहारनपुर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी आप सभी सादर आमंत्रित है. 

रोमा       मुन्नीलाल 

18 जनवरी 2015 
भारती राय चैधरी फैलोशिप एक संक्षिप्त परिचय

साथियों,
बेहद ही हर्ष के साथ हमें यह सूचना देते हुए काफी गर्व महसूस हो रहा है कि नवम्बर 2014 से हम हमारी मरहूम महिला साथी भारती जी की याद में एक फैलोशिप की शुरूआत कर पाए हैं। यह फैलोशिप समुदाय की महिलाओं द्वारा महिला हिंसा व अन्य सामाजिक मुददों पर कार्यरत संघर्षशील महिलाओं को उपलब्ध कराना इसका मुख्य उददेश्य है। भारती जी ने वनाधिकार आंदोलन में महिलाओं की भूमिका व उनके प्राकृतिक संसाधनों पर स्वतंत्र अधिकारों को लेकर देश भर में एक लम्बे समय तक संघर्ष किया व अपनी कर्मभूमि सहारनपुर के शिवालिक वनक्षेत्र में 80 के दशक में पहली बार महिलाओं के वनोपज पर स्वतंत्र अधिकारों को बहाल करने का काम किया। 

भारती जी का समुदाय की महिलाओं के साथ एक गहरा रिश्ता था व उनके ज़हन में समुदाय की महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिका में लाने के लिए बहुत गंभीर चिंतन रहा। चूंकि उनका विश्वास था कि, अगर नारी मुक्ति के सपने को साकार करना है, तो वह समुदाय व श्रमिक वर्ग का महिला नेतृत्व ही अपने संघर्ष से साकार कर सकता है। मध्यम वर्ग की महिलाओं के नेतृत्व से उन्हें कम उम्मीद थी, इसलिए उनका ज़्यादा वक्त समुदाय में ही बीतता था व उनको सशक्त करने के लिए भारती जी के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। उन्होंने सहारनपुर में अनुभव के आधार पर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में महिलाओं को संगठित करके वनोपज पर अपना अधिकार स्थापित करने हेतु सांगठनिक प्रक्रिया की शुरूआत की तथा महिला सहकारिता संघ जैसे कार्यक्रम को लेकर नये-नये प्रयोग भी किये थे। इन्ही प्रयासों को बढ़ते हुये आज विभिन्न वनक्षेत्रों में अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के बैनर तले महिलाशक्ति सामुहिक वन व्यवस्था को सफलतापूर्वक चला रहे है, और ये आन्दोलन एक सशक्त महिलाशक्ति के रूप में स्थापित हो रही है। इसिलिए उनके निधन के बाद जो भी उनकी जमा पूंजी थी उसे समाज में संघर्षरत महिला कार्यकर्ताओं को मदद करने का निर्णय हमारी यूनियन ने लिया। यह पूंजी बेहद ही कम है लेकिन इसके पीछे मूल उददेश्य यहीं था कि अगर इस समाज के दबे कुचले समाज से संघर्षशील महिलाओं के लिए यह मदद काफी महत्वपूर्ण होगी और इससे भारती जी के विचारों व संघर्ष को फैलाने का भी एक मौका मिलेगा। चूंकि यह संघर्ष सीधे-सीधे प्राकृतिक संसाधनों की लूट से जुड़ा है जिस पर आम ग़रीब महिलाए अपनी जीविका के लिए निर्भर रहती है। संसाधनों का नियंत्रण ही दरअसल महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा से भी जुड़ता है इसलिए इस बुनियादी मुददे पर काम करने वाली महिलाओं को इस मदद के लिए चुना गया। 

इस वर्ष समुदाय की दो महिला साथियों को इस फैलोशिप के लिए चुना गया। इन महिलाओं का चयन यूनियन द्वारा क्षेत्र में काम करते वक्त किया गया जो कि अकेले ही बिना किसी संगठन या संस्था के समुदाय के ज्वलंत मुददों पर काम कर रही थी। 
यह फैलोशिप नई दिल्ली के भाटी माईन्स के भागीरथ नगर की ओड समुदाय से जनजाति सदस्य की महिला सीतो मजोका व गुजरात के छोटा उदयपुर में आदिवासी व दलितों के साथ काम कर रही मनीषा सोलंकी को यूनियन की सभा में हमारे अध्यक्ष जारजूम ऐटे व कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय गर्ग द्वारा सम्मानित किया गया। 

सीतो माजोका
 
सीतो माजोका ओड घुमंतु जनजाति की प्रतिनिधी बहादुर श्रमजीवी महिला हैं। ओड समुदाय के लोग आदिकाल से मिट्टी-पत्थर की खुदाई-निकासी (बेलदारी) के माहिर रहे हैं। पहले ज़माने में वे ही लोग जल प्रवाह प्रबंधन करने वाले ‘सिविल इंजीनियर’ माने जाते थे, जो अनगिनत तालाब, कुॅए, नहर, बांध आदि बिना मशीनों के बनाते थे। आज भी बड़े-बड़े शहरों में विशाल इमारतों का बेसमेंट खोदने, सड़कों के नीचे इंटरनेट के केबल बिछाने और मैट्रो रेल के लिए खुदाई व लाईन बिछाने का कठिन काम ओड ही करते आए हैं। उनका जीवन लगातार खानाबदोशी में गुज़रता रहा। कहीं भी ज़मीन का मालिकाना हक़ नहीं मिला, जहां वे अपना गाॅव बसा सकें। सीतो एक ऐसे अस्थायी मज़दूरी करने वाले ख़ानाबदोश परिवार से है।

सीतो की अगुआई में संगठन की महिलाओं ने गांव के दोनों विद्यालयों (प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक) पर अनेक बार दख़ल दिया और ज़ोरदार तरीक़े से अपनी नाराज़गी जताई। वहां न तो बच्चों की शिक्षा का उचित माहौल है और न ही शिक्षक जरूरत के मुताबिक उपलब्ध हैं। उनके दख़ल के नतीजे में नए शिक्षकों की नियुक्तियां हुईं और शिक्षण कार्य सुचारू हुआ। वर्तमान में सीतो दिल्ली के अरावली पहाडी़ क्षेत्र में ‘भाटी माईन्स’ जो एक वन सेन्चुरी हैं के अन्दर भागीरथ नगर की निवासी हैं, वह अपने गांव की महिला मजदूरों को संगठित करने और बालिकाओं की शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्षरत हैं। उनका जीवन और व्यक्त्वि दोनों हम सब के लिए प्रेरणादायी है। 
 
मनीषा सोलंकी 

मनीषा सोलंकी का जन्म गुजरात के एक छोटे गांव मंे हुआ। दलित समुदाय मे पैदा होना ही संघर्ष की शुरुआत होती है माताजी के दूसरे विवाह के साथ अपने निजी शौक और सपनांे को मारते हुए दसवी कक्षा के बाद आगे पढ़ नही पाई और उनका ब्याह करवा दिया गया। पहले गंाव मे पैदा होना फिर शहर में परवरिश और फिर गांव मे विवाह। उनके ससुराली गंाव मे शूद्रों के पानी का कुआं सूख गया और जो दूसरा कुआं था वहा से शूद्वों को इजाजत नहीं थी कि वह पानी भरे। मनीषा ने गांव में महिलाओं को सगंठित कर संघर्ष करते हुए कानून को तोड़ा और कुॅए से पानी भरने का काम ज़ारी रखा। गरीब परिवार, सास और पति का दबाव और कमाने वाला कोई नहीं, मनीषा मजदूरी से परिवार चलाती। परिवार मे झगडे़ बढते गये तो इन्होंने एन.जी.ओ. के साथ जुडकर काम किया परन्तु समाजिक बदलाव इनका लक्ष्य बन चुका था जिसके चलते उन्होंने घर पर रहकर ही लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। सरपंच के चुनाव में जीत हासिल कर लोकहित के काम किये। बेटा एवं बेटी की परवरिश के बीच पारिवारिक झगडा कोर्ट में बदला और उन्हे तलाक लेना पड़ा, जीवन के काफी कठीन दिन थे, इन्हांेने नारी संरक्षण गृह मे बतौर आया का कार्य शुरू किया, बढ़ती महंगाई मंे वह संघर्ष कर रही थी, युवाओं-बच्चों-महिलाओं पर काम करने वाले संगठन के साथ जुडकर जिला छोटा उदयपुर मंे आदिवासी किसान संघर्ष मोर्चा को खड़ा करने मे अहम भूमिका निभाई। जिसमें आज वह बतौर संयोजक के रूप में कार्यरत होकर अपने नेतृत्व को मजबूत बनाने में सक्षम हैं। 

गौर तलब है कि इस कार्यक्रम के तहत हमारी दोनों ही सशक्त महिला साथियों द्वारा काफी उत्साहवर्धन हुआ जिसके चलते उन्होंने अपने क्षेत्रों में काफी मजबूत महिला समूहों का निर्माण किया हैं। इन्हें अपने समुदाय की महिलाओं का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। फैलोशिप की यह सहायता फिलहाल तो एक वर्ष के लिए है लेकिन इस कार्यक्रम का अवलोकन कर आगे की रणनीति बनानी होगी। यूनियन द्वारा यह भी सोचा गया है कि फैलोशिप के इस कार्यक्रम को नए क्षेत्रों में ले जाना है जिससे महिला आंदोलन को वनक्षेत्र में विस्तार दिया जा सकें। 

अपील
इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए काफी साथीयों, संगठनों की मदद की जरूरत है। हमें ऐसे कई महिला साथी खास तौर पर दलित व आदिवासी को चिन्हित करना है जो कि महिला हिंसा व जल-जंगल-जमंीन के सवाल पर संघर्ष कर रही है। इसके लिए हमें फैलाशिप की राशि में योगदान करना होगा या फिर इसे इक्टठा करना होगा। 
इस कार्यक्रम के लिए बहुत सारे सुझावों व तमाम साथियों के मार्गदर्शन की आवश्यकता है। इसलिए 18 जनवरी 2015 को भारती जी की पुण्यतिथि पर हम उन्हें याद करते हुए इस कार्यक्रम को किस प्रकार से और भी सशक्त बनाना है इस पर चर्चा करेगें। 

महिला शक्ति जिन्दाबाद


रोमा
उपमहासचिव 
अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन

काले अध्यादेशों, प्राकृतिक संपदाओं की कम्पनी लूट की खुली छूट और जन-प्रतिरोध 

 राष्ट्रीय अधिवेशन 

23-24 जनवरी 2015, नई दिल्ली

प्राकृतिक संपदा हमारा जन्म सिद्ध अधिकार हैं


जा़लिम को जो न रोके, वो शामिल है ज़ुल्म में
                          कातिल को जो न टोके वो कत्ल के साथ है........        ‘साहिर लुधियानवी’

राष्ट्रीय अधिवेशन की कार्यसूची इस प्रकार होगी

समयः 
प्रातः 9:30 बजे से सांय 6:00 बजे तक

23 जनवरी, 2015 
अघ्यादेशों पर चर्चा और: रणनीति और कार्यक्रम तय करना
स्थान: 
एन.डी.तिवारी भवन, पाॅचवीं मंजिल (दीन दयाल उपाध्याय मार्ग) नई दिल्ली।

24 जनवरी, 2015 
जन सभा एवं राजनैतिक पार्टियों के नेतिृत्व के साथ संवाद,         
 स्थान: 
कन्स्टीटूशनल क्लब, रफी मार्ग, नई दिल्ली।

उम्मीद है कि आप सभी इस सम्मेलन में शामिल होकर एक साॅझा संघर्ष की रणनीति तय करने में अपनी पूरी भागीदारी निभाएगे।
प्रिय साथियों,

जैसा कि आपको विदित है सन् 2014 के आखिरी हफ्ते में मौजूदा मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए एक अध्यादेश जारी किया। इस अध्यादेश के जरिए से सरकार और कम्पनीयों द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और आसान हो जाएगी। क्योंकि इस अध्यादेश में सन् 2013 में बने हुए संशोधित भूमि अधिग्रहण कानून में जो थोडे़ बहुत जनपक्षीय प्रावधान थे, उसे भी खत्म कर दिया गया और साथ ही साथ 13 अन्य कानूनों जैसे वनाधिकार कानून 2006, वन संरक्षण कानून आदि के प्रावधानों को भी अध्यादेश के अन्तर्गत कर लिया गया, जिससे इन कानूनों में लोगों के लिए जो अधिकार सुरक्षित रखे गये थे उसे भी निष्प्रभावी कर दिया गया, यानि के सरकार व कम्पनी द्वारा व्यक्तिगत और सार्वजनिक ज़मीनों का जो अधिग्रहण/अतिक्रमण होगा उसके खिलाफ कोई कानूनी प्रक्रिया अब नहीं होगी। सरकार ने एक झटके में जल,जंगल,ज़मीन व खनिज पर लोगों के जो भी सीमित अधिकार सुनिश्चत थे उसे भी खत्म कर दिये।

मोदी सरकार ने जो जनविरोधी कदम उठाये है वो सरासर संविधान विरोधी हैं। भारतीय संविधान में अनु0 39बी में प्राकृतिक संपदाओं पर नागरिकों के बुनियादी अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए जो प्रावधान हैं यह अध्यादेश उन प्रावधानों को खारिज करता है। कोई भी निर्वाचित सरकार न्यायोचित ढ़ग से ऐसा कृत्य नहीं कर सकती है, ऐसा अध्यादेश केवल विशेष परिस्थिति में या आपातकालीन स्थिति में ही जारी होता है। सरकार ने न तो संसद में और न जनता के सामने ऐसा कोई कारण दर्शाया है, तो फिर ऐसे अध्यादेश की ज़रूरत क्यों पडी़ ? यह सच्चाई देश की जनता के सामने लाना जरूरी है। और तो और मोदी सरकार ने इन्ही दिनों में संसदीय प्रक्रिया का उल्लंघन करके कई काले अध्यादेश जारी किए। संसद का शीतकालीन अधिवेशन 23 दिसम्बर 2014 को खत्म हुआ, जिसमें इन विषयों पर संसद में बहस चल रही थी। लेकिन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर सरकार की हटधर्मितापूर्ण रवैए के कारण बार-बार संसद का सत्र बाधित होता रहा और जिसके कारण भूमि अधिग्रहण कानून के संशोधनों पर दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा पूरी नहीं हो पायी थी। ऐसी परिस्थिति में सरकार को अगले सत्र के लिए इंतज़ार करना चाहिए था जो कि 2 महीने बाद बजट सत्र शुरू होना है। बजट सत्र संसद के सबसे लम्बा सत्र होता है जो लगभग 3 महीने चलता है। जिसमें इन संवेदनशील मुद्दों पर पूरी बहस हो सकती है। लेकिन सरकार ने शीतकालीन सत्र खत्म होने के एक हफ्ते के अन्दर ही इन काले अध्यादेशों को जारी किया। यह संसदीय प्रणाली की घोर अवमानना है, जिससे देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती नज़र आ रही हैं। एक तरह से इन अध्यादेशों से सरकार जानबूझ कर एक राजनैतिक अराजकता की स्थिति पैदा कर रही है, और जनता का ध्यान मूल समस्याओं जैसे महंगाई, बेरोजगारी, भू-अधिकार, भ्रष्टाचार से हटाने की साजि़श कर रही है।

इन परिस्थितियों से देश के करोडो़ं आम नागरिक, प्रगतिशील समाज, न्यायविदों और विपक्षी राजनैतिक दलों में हड़कम्प मच गया, सभी के लिए एक ही चिन्ता का विषय है कि मोदी सरकार के शासनकाल में केवल 7 महीने के अन्दर ही देश के संवैधानिक ढ़ाचे पर शासक दल का आक्रमण शुरू हो गया है और इसके चलते हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था अब खतरे में पड़ गयी है। भारत एक बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहुवर्गीय राष्ट्र है और शासकीय स्तर पर एक बहुराज्यीय संघ है। भारतीय संविधान इन विविधता और बहुलता को एकताबद्ध रखने का एक बुनियादी आधार हैं, यह महज़ एक दस्तावेज़ नहीं हैं, बल्कि लाखों करोडो़ं देशवासियों को एक जुट रखकर एक सशक्त राष्ट्रनिर्माण की प्राण है। अतः भारतीय संवैधानिक ढ़ाचे की छेड़खानी और इसकी अवमानना राष्ट्रहित के खिलाफ है। दरअसल मोदी सरकार प्रजातांत्रिक राष्ट्र व्यवस्था जिसमें सभी नागरिकों की सुरक्षा निहित है, उसे तोड़कर एक ऐसी व्यवस्था कायम करना चाहते है, जिसमें सिर्फ देशी और विदेशी कम्पनीयों (कारपोरेट) के निहित स्वार्थों की पूर्ति की जाएगी, साथ ही साथ इन कम्पनीयों के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक तावेदार फलेंगे-फूलेंगे और आम जनता बेहाल।  कम्पनीयों के दबाव के चलते मोदी सरकार को जल्द से जल्द यह काम पूरा करना है और इसीलिए देशी-विदेशी बड़ी कम्पनीयों की आवभगत देश-विदेश में जोरो-शोरो से चल रही हैं।


इस तरह से भारतीय गणराज्य फिर से गुलामी के दौर में पंहुच जायेगा। इन काले अध्यादेशों को जारी करके मोदी सरकार ने अपनी मंशा को साफ कर दिया, और अब मौजूदा सरकार के चरित्र के बारे में कोई भ्रम की गुंजाईश नहीं हैं। भले ही इस सरकार ने अपने चुनावी वादों में आम लोगों को अच्छे दिन लाने के बड़े-बडे़ सपने दिखाये थे, अब केवल पूंजीपतियों और इजा़रेदारों के लिए ही अच्छे दिन आएगें। अब कम्पनीयों को देश की प्राकृतिक संपदाओं को लूटने की खुली छूट मिलेगी और विकास के नाम पर बडे़-बडे़ कर्ज मुहैया कराये जायेंगे जिसका सारा बोझ आम जनता के कन्धों पर होगा और इनका हाल बदतर से बदतर होता जाएगा।

देश के तमाम मेहनतकश किसान, मज़दूर, कर्मचारी, लघुउद्यमी, छोटे व्यापारी, दस्तकारों, मछुवारे, रेहडी़ व पटरी वाले और इसके सर्मथक प्रगतिशील तबकों के लिए यह एक अति चुनौतीपूर्ण दौर हैं। अब शासकीय कुचक्र के खिलाफ संघर्ष के अलावा कोई और विकल्प नहीं है, बीच-बचाव करने का अब कोई सुराग भी नहीं बचा। इस जनविरोधी व्यवस्था के खिलाफ एक निर्णायक जनसंघर्ष ही एक मात्र विकल्प है। जिसमें तमाम शोषित, पीडि़त और प्रगतिशील शक्तियां एकजुट होकर एक नई राजनैतिक प्रक्रिया को जन्म देंगे। ऐसी प्रक्रिया जो लोकहितकारी और जनपक्षीय व्यवस्था की स्थापना करेगी। आज तमाम विरोधी पार्टियां भी जो ज्यादात्तर अब तक उदारीकरण नीति को ही अनुसरण कर रही थी, उनके अस्तित्वों में भी खतरा पैदा हो गया और वे भी अब एकजुट होने की कोशिश कर रहे है और जनसंघर्ष के साथ भी संवाद कर रहे है। हालांकि ये निश्चित नहीं है कि राजनैतिक दलों में से कितने दल लंबे समय तक जनसंघर्ष के साथ में चलेंगे लेकिन फिर भी एक उम्मीद तो जागी कि कुछ दिन तक ये संवाद तो जारी रहेंगे और मज़बूत भी होगे, वक्त का तकाज़ा भी यही हैं। जनसंघर्षों के लंबे समय से जुडे़ हुए संगठनों ऐसी परिस्थिति में स्वाभाविक रूप से करीब आ रहे हंै, और सामुहिक चर्चा की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अलग-अलग जगहों में अलग-अलग तरीके से अपनी मांगों को लेकर प्रक्रियाएं चल रही हैं। इन अलग-अलग प्रक्रियाओं को एक साॅझा मंच में समाहित होना हैं, ताकि अपनी संघर्षों और विचारों को और मजबूत करें। अलग-अलग रहकर अब लम्बे समय तक संघर्ष को जारी रखना सम्भव नहीं है। फिलहाल सबके लिए सबसे अहम मुद्दा इन काले अध्यादेशों को खत्म करना है। इस जनविरोधी व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए यह पहली कड़ी है।

इसी संदर्भ में कुछ प्रमुख जनसंगठनों ने मिलकर दिल्ली में 23-24 जनवरी 2015 को एक  दो दिवसीय् राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करना तय किया हैं। हालांकि वर्तमान परिस्थिति के दबाव के चलते और जरूरत को देखते हुए यह सम्मेलन जल्दी में आयोजित किया जा रहा है। लेकिन कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा प्रमुख जनसंगठनों के प्रतिनिधिगण इसमें शामिल रहें, ताकि कुछ रणनीतिक और फौरी फैंसले लिए जा सके और आगे बढ़ सकें। निश्चित रूप से यह प्रयास यही खत्म नहीं होगा बल्कि राज्य व क्षेत्रों में ऐसे अधिवेशन/सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। ताकि एक निश्चित समय में सभी आन्दोलनकारी संगठन सामुहिक रूप से एक राष्ट्रीय जनान्दोलन खडा़ कर सकेगें ऐसा जनान्दोलन जो इस जनविरोधी व्यवस्था को चुनौती दे सकें।

इतिहास गवाह है कि भारत में पिछले 250 वर्षों में औपनिवेशिक काल में तथा आजा़द भारत में भी बार-बार ऐसे जनान्दोलन की रचना हुई और शासक वर्ग को धवस्त भी किया गया, लेकिन यह भी सच्चाई है कि हर बार जो भी नई व्यवस्था आयी वो भी लोगों को शोषण मुक्त नहीं कर पायी और ऐतिहासिक अन्याय जारी रहा। क्योंकि सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ जनसंघर्ष और प्रगतिशील राजनैतिक शक्तियां विघटीत होती गयी और सत्ताधारियों को अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चलाने की छूट मिलती चली गयी। इस बार जनसंघर्षकारी संगठनों को और भी जागरूक होकर संगठित संघर्ष को चलाना होगा ताकि जनसंघर्ष अपनी मंजिल तक पंहुच सके।
बढ़ते भी चलों लड़ते भी चलों,
बाज़ू भी बहुत और सर भी बहुत
चलते ही चलों के अब डेरे मंजिल पे ही डाले जाएंगे....................
फै़ज़ अहमद फैज़

राष्ट्रीय अधिवेशन की कार्यसूची इस प्रकार होगी:

समयः प्रातः 9:30 बजे से सांय 6:00 बजे तक,

23 जनवरी, 2015
अघ्यादेशों पर चर्चा और: रणनीति और कार्यक्रम तय करना,         
स्थान: एन.डी.तिवारी भवन, पाॅचवीं मंजिल (दीन दयाल उपाध्याय मार्ग) नई दिल्ली।

24 जनवरी, 2015
जन सभा एवं राजनैतिक पार्टियों के नेतिृत्व के साथ संवाद,          
स्थान: कन्स्टीटूशनल क्लब, रफी मार्ग, नई दिल्ली।

उम्मीद है कि आप सभी इस सम्मेलन में शामिल होकर एक साॅझा संघर्ष की रणनीति तय करने में अपनी पूरी भागीदारी निभाएगे।

अभिनन्दन सहित:-

जनान्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM),
अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन (AIUFWP),
जनसंघर्ष समन्वय समिति,
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन,
इंसाफ,
दिल्ली समर्थक समूह
एवं अन्य।

Monday, January 12, 2015



 


Report

Collectivism, Cooperatives and Unionism – Empowering Women on Natural resources
11-12th November 2014, Bharati Sadan Nagal Mafi, Saharanpur, UP, India





On the occasion of 61st birth anniversary of our departed beloved women leader Bharati Roy Choudhary “ All India Union of Forest Working People” organized a two day mass  education programme of women community leaders on the issue of building cooperatives  on NTFP (Non Timber Forest Produce) and strengthening the Union to empower the forest women economically and politically. Secondly it was also aimed at awarding “Bharati Fellowship” to new women community organizer, from the savings of Bharatiji. The programme was organized in “Bharati Sadan” (Women Empowerment Center), Nagal Mafi, 40 km from Saharanpur, Uttar Pradesh, India.

Around 250 women and men participated in this two day mass education programme from various states such as Uttarakhand, MP, Jharkhand, UP, Bihar, Odisha and Delhi. Large number of women was present in this programme.

The programme started by paying tribute to the departed leader in Bharati sadan where a stone is laid in her memory. On this occasion Union's President Jarjum Ete, Working President Sanjaya Garg, Gen Sect Ashok Chowdhury, Dy. Gen Sect Roma, Organizing Sect Munnilal, Treasurer K.N Tiwari, EC members Rajnish, Matadyal, Sokalo, Shyamlal, Nabada Rana, Ramchander Rana, Lalti, Kamla, and many more were present. There was a very active participation from fraternal organization, Delhi Forum, Programme for Social Action, Sabla Sangh, Action India, Vasundhara by three members represented by Pushpanjali ffrom Odisha . From Delhi Bhatti mines the representation was by Anita Soni and Sito Majoka.











The inaugural session was started in the afternoon. Many senior activists and sympathizers of the local area movement of forest area of Saharanpur were present in this inaugural session. The session was compared by Mehboob bhai a veteran from nearby town Behat. With his exuberant poetic style he enriched the inaugural session with lot of vibrant deliberation by the speakers. Many of the speakers the post holders of Union, Chanu Ram ( Ghad Kshetra Mazdoor Morcha), Kazmi sahab, paid tribute to Bharati ji, Guest speakers from Vasundhra Puspanjaliji also paid tribute and spoke about the cooperative initiative by their organization in Odisha.




The objective of mass education programme was –

1.Formation of women cooperatives in many forest regions.
2. Unionizing the women forest workers in the forest region of India.
3. Taking up various economic-political programme to empower the women leadership to take up challenge to fight the patriarchy, feudalism and international capitalism.


Though a very detailed training programme could not take place but this programme was organized basically to create an atmosphere where the masses get emotionally charged to take up this task themselves. Our experience says that if any such programme that is imposed from above ultimately gets institutionalized and concentrated in the hands of middle class or many times by the vested interests. This is a process of building of a new institutional mechanism in the forest area the target being to replace the 200 year old control of the colonial institution of Forest Department on forest, forest land and forest produce. So it is important that the concept of building up of these new and fundamental institutions should be internalized by the masses than only a new institution could be built. The two days programme in Nagal electrified and charged the participants who now believe that it is they who have to take the task of building this historical institution themselves and for that they need various kind of support from various institutions like government, people’s organization, trade unions, administration and common people.
In the inaugural session 10 women from various regions were honored with shawls for the struggle they did in their area: Next day also another 10 vibrant leaders were honored. The honored leaders name are :

Sokalo Gond from Sonbhadr, UP
Kamala Kharwar from Adhoura, Bhabhua, Bihar
Nabada Rana from Palia, Lakhimpur Khiri, UP
Anwari from Buggawala, Haridwar, Uttarakhand
Phulbasi from Sonbhadra, UP
Dhanpati from Naugarh, Chandauli, UP
Sabina, Dilawar nagar, UP
Fatima bi, Bharaich, UP
Shivkumari, Manikpur, Chitrakoot, UP
Phulmati, Palia, Lakhimpur khiri, UP
Rajkumari, Mirzapur
Shimla, Haridwar, Uttarakhand
Rajkumari, Sonbhadra, UP
Lalti Paswan, Sonbhara, UP






           Bharati Fellowship programme started from Bhatti Mines Delhi-

Sito Majoka, from Od nomadic tribe, Bhagirath nagar, Bhatti mines was honored with “ Bharati Fellowship” , she was presented a certificate and shawl by our Union President Ms. Jarjum Ete and Working president Sh. Sanjay Garg.

 

Next day on 12th November 2014, the discussions started with the people’s experience on the cooperatives that is being practiced in various regions. It is to be mentioned here that in regions like Kaimur, Bundelkhand, Trai of UP/MP/Bihar/Uttarakhand, thousands of hectare of the land has been reclaimed by the forest people and the land is being held collectively in many places in the leadership of women. There are many experiments going on these lands like collective farming, plantation of many useful trees for the community, construction of school, formation of people forestry, formation of cooperatives on NTFP, plantation of medicinal herbs etc. The possession of land by the tribal/dalit and other poor sections has empowered the communities to fight directly with the FD.  Various leaders from Sonbhadra, Adhoura, Manikpur, Chandauli, Lakhimpur khiri talked about their experience that focused on-

-reclamation of land
-formation of collectives on reclaimed lands
-collective farming
-union formation,
-initiating the process of cooperatives on NTFP in their own way and
-Formation of women councils.

Matadyal said that first they acquired their land that belonged to their ancestors collectively and gave resistance to the control, repression and atrocities of the feudal-upper caste-police-FD nexus. That led the poor tribal people to fight the other issues also. The major issue was of NTFP, it was Bharatiji who provide them loan of Rs 10,000 some ten yrs ago, with that money women started a small cooperative on Amla, they collected and made amrethi out of that and sold in the local market. This brought lot of income to women and gradually 20 such “Women VanJan Sahkari Samiti” (Women Cooperatives) are operating in the area, each cooperative having 20 members each and all of them women. He said that it is now time that we should make our own laws and this year we are concentrating on Tendu leaves and will take control of it from contractors, mafia and Forest Corporation that is minting million of rupees from our forests.

Sokalo Gond from Sonbhadra said that we got lot of strength by reclaiming our lost land from forest department. We have reclaimed thousands of acres of land from FD that is in collective farming and collective cultivation of forest. After we got the land and fought with monopoly of the FD, we also planned to take control of forest produce.  Government has given us Act but they are giving by one hand and taking by other. Therefore in this struggle women have to come in the front. This year I took contract of Tendu leaves from Forest Corporation to get an experience of how to take the control of NTFP and became first woman to start this work. We have now formed our own cooperative committee in the village, Matadyal helped us in this and this year we will take control of tendu leaves through our union and cooperative. By doing these we will learn and take full control on everything that exists in the forest and oust FD and Forest Corporation. We will open our own hospital, our school. We have opened a primary school in our collective and soon we are also going to have a doctor in our dispensary. My Child died due to medical negligence of Hindalco hospital doctors for negligent in transfusing blood to him. We will not let our children die like this, they will have a best health care through our efforts of unionizing and cooperatives.

Anwari, Phulmati, Dhanpati, Phulbasi, Kamala also spoke on cooperative, collective and women council to check on women atrocity. The woman leadership from various areas spoke of why women have to come forward in controlling the natural resources collectively that is a big livelihood resource for women. Women also emphasized on the need of formation of “Women council”. They said if women are coming in fore front they are facing various kinds of attacks more are sexist and castist violence that needs to be dealt with. Women council will also look into the matter of problems of women in the family as well. Leaders from Sonbhadra, Khiri, and Bihar said they are constructing a separate mud house or their office where women members could sit and do their meetings and consultation. They also said that we have everything for earning our livelihood but that is in the hands of mafia, contractors, capitalist and feudals. We need to take back all our forest produce and stop the control of FD and will establish our control. They said our ancestors were great traditional healers and we never went to any hospital. We know that traditional knowledge, we will develop our own medical community and treat ourselves with simple and serious ailments as well. We are fighting our struggle, there are many dalals or brokers after us they will never want that we should get good treatment from the hospital. Sokalo’s son was murdered by these dalals, police and FD who connived with Doctors not to transfuse blood to the child. We will prepare the list of the herbs and the plants available in the forest and will take control of it and will not go to these big hospitals who do not care for us.



Anita soni from Bhatti mines spoke regarding the problems in the Bhagirath nagar, bhatti mines that is inhabited by the Od nomadic tribe community, who has been served as eviction notice by the Forest department.

Pavitra, from Sundarban, West Bengal said that no one is bothered about our forest and fish rights in the typical area of Sundarban that is surrounded three sides by Bangladesh. The area is typical with sea back water and creeks and only place that house Royal Bengal white tiger. The West Bengal govt has not even started the process of implementation of this Act. There are many forest produce, very common is “honey” that is taken in throw away rate by the FC from the forest people and sold at a very high rates in the market. We will also form these cooperatives in the Sundarban and will launch a massive struggle to oust Forest Department from Sundarban.

Ramilan, from Chitrakoot, UP said that we have formed some 20 women cooperatives in our area of Chitrakoot. We are not afraid of Sancturay, FD and the authorities. We are collecting tendu leaves, fuelwood, amla. Our problem is that we are not getting good rates in the local market. We are not trained in the marketing also. We need to know various laws. This task is being done by tribal in Satna, MP also.

Chanuram from Shivalik forest spoke that the control on NTFP is only the weapon for our development. Some three decade before when we started the political and labor rights in the forest area we started producer cooperative on the “Bhabbar grass” (used for rope making). It was a very successful experience. But the experience could not sustain very long as we could not make union. At that time we did not have FRA also but now we have it and I congratulate AIUFWP for getting this act passed in Parliament. The shivalik forest is full of hundreds of variety of NTFP, we have also made the list also. We also need to focus on what trees should be planted for the environment, we don’t want to plant commercial trees. Due to massive deforestation the rivers are leaving our lands barren we need to also take up this matter. We have to protect and take care of the forest ourselves.

Pushpanjali, Chitranjan from Odhisha, talked about their experience on the cooperatives in their area on cashew. Community leader Kaushaliya who is a post holder in one of the cooperative spoke about their experince in oriya language. They said that they have taken control of various NTFP such as Mahuaha, sal leaves, Cashew, amla, harra, bamboo, bel etc and sell it through their cooperative.

Munnilal said that FRA is a big weapon in the hands of the forest people, through this Act we have to file our claims and decide what kind of forest we have to plant. He talked about recognition of taungiya forest village, van gujjars nomadic tribe who are still not considered as citizen of this country. The claims will be filed to take over the forest.

KN Tiwari said that it is great honor that many women leaders have been honored in the Bharati memorial programme. He also expressed great happiness that a community leader from Bhatti mines Sito Majoka was honored and offered Bharti Fellowship. Such initiatives will empower the community women. He said we should encourage more women like Sito so that they can work for the community rights. We should build up the Bharti fellowship so that more community women leadership could be honored with fellowship like this.  He promised to raise money for the fellowship.

Sanjay Garg made a very emotional speech, he congratulated the organizers for honoring Sito with Bharati Fellowship and said that Sito will carry forward the work and dream of Bharati. He also said that we will appeal to the likeminded people to contribute to the fellowship amount and strengthen the women community leaders. He also strengthened the need to build up the cooperative movement. He said that forest people in many places are reclaiming the land but it is important that simultaneously through cooperative movement the corrupt forest corporation should be ousted from the forest. If forest people start this movement that they also are able to fight the market forces and plans how to overcome that also. Along with cooperative to fight the wide scale of corruption and onslaught on the collective effort of the forest people and strong Union is essential. He expressed his worries regarding the union membership going on in snail’s space. It is important to build up a strong union to fight the giant forces that are opposed to such community initiatives. We need to build producer cooperative, also we need to work to bring pro people changes in the cooperative policy. We can suggest the UP govt regarding building up the cooperatives to make the govt aware of these initiatives.

Jarjum Ete
She emphasized on creating and strengthening the public health system in the forest areas through using various herbs available in the forest area. She also alarmed the members regarding use of tendu leaves for smoking that is a major health hazard also. Besides launching a cooperatives on collection of tendu leaves she also stressed on the need to check on  smoking also.

Matadyal said that in our area the upper caste section formed 11 cooperatives in the name of tribal to loot our land and use to earn huge profit out of it. When we formed our own organization we dismantled the cooperatives in control of upper caste people and reclaimed all our lands. We took over around 4000 acres of land, we are cultivating and also establishing ownership over the forest produce. If we have land and ownership on the forest produce we can earn a very dignified livelihood for ourselves, we don’t need anyone’s mercy. We have formed women cooperatives on the NTFP, we are still at a very preliminary stage. The main problem that we are encountering is of the credit. If we get credit we will be able to run a very good cooperative and every member will benefit out of it. We will also ensure that we return this credit, we have to look for these arrangements. We are also not given Minimum support price also for our forest produce, we are forced to sell in the lower price. All such issues need to be addressed. With our vast resources we can eradicate our poverty and also build up a very good public health care system.

Roma stressed on the need of conducting an indepth training on the cooperatives including the legal and the policy issues. A concept note to be developed in collaboration with New Trade Union Initiative (NTUI) and create new institutions in the forest area to replace colonial institution Forest department and forest corporation.

Ashok Choudhary - We are gripped under inequality and disparity, we need to understand that the root cause of this problem is rooted in the state power. We need to always remind ourselves that we are fighting the struggle of equality and end disparity among the citizen of this country. This is a long battle, we need to develop critical understanding of functioning of the government and state power. Both are not same they are different, we need to develop a critical analysis of the same and accordingly build up our political programme. We need to break the vicious circle the government that has been created around us, we need to break this circle then only we will be able to bring our issues very strongly. We have seen from our experiences that where the working people are reclaiming the land and resources collectively the feudal, the oppressive forces in the village are getting alienated and subdued. The ball is in our court due to our collective struggle so we are in the commanding position. It is only the strength of the union that can break the vicious circle of the state power and challenge this state power. We need to build our programme to challenge this state power. Government wants to give all the natural resources to the companies where as our demand is that there should be equitable distribution of the natural resources as enshrined in our Constitution. Here is the conflict between us and the government, or any other government that comes in power they have this agenda of shrinking the democratic space. Government and state power has monopolized the natural resources and treats it as their eminent domain. All riots, caste-communal violence that is taking place are due to the control of these resources. We need to bring our struggle in the center against the state power. We will tell the government that give us our rights or go back, this strength we need to develop. We need to strengthen the cooperative movement, we need to build All India federation of cooperatives, for this we need to strengthen our union and take it to every nook and the corner of our country. We need to convene meeting every month in our areas and strengthen our union membership. We all will gather in New Delhi in Parliament street on 15th December 2014 to challenge the government and will seek answer from the government regarding not showing political will for implementing the Forest Rights Act.

Release of Bharati Fellowship Poster

 
A set of posters of Bharati Fellowship Programme was released by the President of the Union Jarjum Ete and by our community leaders from Sabla Sangh, New Delhi.

Programme for future

Appeal to raise the Bharati Fellowship amount to support more community women leaders

Exposure programme to be conducted for the women leaders to visit Odisha where Vasundhara is having cooperatives on the forest produce.

In month of February 2015 an intensive training programme on Union and Cooperatives law, policy to be conducted with 50 community leaders.

A concept note on Union and Cooperatives to be developed with help of NTUI and circulate it widely among the union members for debate and developing the programme.

Mobilization for the forest rights on 15 December 2014 in Parliament, Delhi

National Committee meeting to take strong programme of strengthening Union and building cooperatives in the forest area on 16th December 2014.









रिपोर्ट
सामूहिकता, सहकारिता और यूनियन एकता - प्राकृतिक संसाधनों पर वनश्रमजीवी महिलाओं का सशिक्तकरण
11-12 नवम्बर 2014, भारती सदन, नागल माफी, सहारनपुर, उ0प्र0




भारती राय चैधरी के 61वें जन्म दिवस पर अखिल भारतीय वनश्रमजीवी यूनियन द्वारा वनाश्रित समुदाय के महिला नेतृत्व के लिए लघुवनोपज पर सहकारिता आंदोलन को बनाने के लिए दो दिवसीय जन शिक्षण कार्यक्रम सहारनपुर वनक्षेत्र में स्थित भारती सदन, नागल में आयोजित किया गया। इस जनशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य समुदाय की महिलाओं को यूनियन की शक्ति से संगठित कर लघुवनोपज पर सहकारी संघ बनाने का था जिससे कि वे आर्थिक व राजनैतिक रूप से सशक्त हो सकें। दूसरा उददेश्य समुदाय के महिला नेतृत्व को ‘‘ भारती फैलोशिप’’ से सम्मानित करना था।

इस कार्यक्रम में लगभग 250 साथीयों ने भाग लिया जिसमें अधिकांश महिलाए शामिल थी। यह साथी विभिन्न राज्यों से यहां पहुंचे थे जैसे उत्तराखंड़, मध्यप्रदेश, झाड़खंड़, उ0प्र0, बिहार, ओडिशा, दिल्ली आदि।

कार्यक्रम की शुरूआत दिवंगत महिला साथी भारतीदी की नागल माफी स्थित महिला सशिक्तकरण केन्द्र ‘‘ भारती सदन’’ में पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर यूनियन की अध्यक्ष जारजूम ऐटे, कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय गर्ग, महासचिव अशोक चैधरी, उपमहासचिव रोमा, कोषाध्यक्ष श्री के0एन तिवारी, संगठन सचिव श्री मुन्नीलाल के साथ साथ यूनियन के कार्यकारिणी के बहुत सारे सदस्य रजनीश, मातादयाल, सोकालो गोंण, श्यामलाल पासवान,  लालती पासवान, फूलबासी, नबादा राणा, फूलमती राणा, रामचंद्र राणा, रामपाल, कमला खरवार, माया आदि मौजूद थे। इसके साथ इस मौक पर कई सहयोगी संगठन ओडिशा से वसुंधरा, दिल्ली से दिल्ली फारम, प्रोग्राम फार सोशल एक्शन, एक्शन इंडि़या, सबला संघ व दिल्ली भाटी माईंस के महत्वपूर्ण साथी शामिल थे।




उदघाटन सत्र दोपहर से शुरू हो पाया। इस सत्र में शिवालिक वनक्षेत्र व आसपास के कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। इस सत्र का संचालन बेहट कस्बे के वरिष्ठ यूनियन के साथी महबूब भाई द्वारा किया गया जिन्होंने अपने शायराना अंदाज में इस सत्र को काफी वजनदार बना दिया। यूनियन के पदाधिकारीयों, स्थानीय क्षेत्र के पुराने साथीयों जैसे चाणू राम, काज़मी साहब व अतिथि संगठन वसुंधरा के पुष्पांजलि ने भारतीजी को श्रद्धांजलि देते हुए वनाधिकार एवं संगठन को मजबूत करने के लिए महिलाओं के सशक्तिकरण पर अपने विचार रखे।



इस कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य था -
1. वनक्षेत्र में महिला सहकारी समितियों के निर्माण के लिए जानकारी उपलब्ध कराना
2. वनक्षेत्र में महिलाओं को संगठित करना व यूनियन से जोड़ना
3. वनक्षेत्र में कई राजनैतिक-आर्थिक कार्यक्रमों के ज़रिये महिला नेतृत्व को विकसित करना जिससे वे पितृसत्ता, सांमतशाही व अंतराष्ट्रीय पूंजीवाद को चुनौती दे सके ।

इस कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य जनशिक्षण कार्यक्रम के ज़रिये इन उल्लेखित कार्यक्रमों की मुहिम चला कर आमजन मानस में सहकारी आंदोलन को विकसित करना था। इसलिए इस कार्यक्रम को भारतीजी के जन्मदिवस पर आयोजित किया गया था, चूंकि वंचित समुदाय अपने प्रतीकों के सहारे अपने आंदोलनों को चलाने की हिम्मत पैदा करते हैं। हमारा अनुभव यह बताता है कि आम जनसमुदाय किसी भी नये कार्यक्रम को अपनी समझदारी व आंदोलन से विकसित करते हैं तो वह स्थायी होते है लेकिन अगर सहकारी समितियों का निर्माण उपर से थोपी जाए तो वह अंततः निहित स्वार्थों के हाथों में ही चले जाते हैं। यह कार्यक्रम एक श्रंखला के तहत आयोजित किया जा रहा है जिसमें वनक्षेत्र के अंदर वनाश्रित समुदाय को नए संस्थानों को विकसित कर अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए लूट की संस्थाओं जैसे वनविभाग व वननिगम को समाप्त करना है जो कि वनसम्पदा की अरबों की सम्पति पर कुंड़ली मारे बैठा है। इस लिए यह जरूरी है कि इन नए संस्थानों को बनाने के लिए आम जन बुनियादी रूप से तैयार हों व पूरी अवधाराणा को आत्मसात करे तभी नए संस्थानों को बनाया जा सकता है। दो दिन के इस कार्यक्रम ने ग्रामीण क्षेत्रों व वनक्षेत्रों से आए सभी साथाीयों के अंदर काफी उत्साह पैदा किया व दो दिनों की गहन चर्चा के बाद कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को विकसित किया गया। यह बात तो उनमें घर कर गई है कि इन संस्थानों को उन्हीें को ही पहल कर के विकसित करना है जिसके लिए उन्हें तमाम तरह के संगठनों चाहे वो सामाजिक आंदोलन हों, जनसंगठन, श्रमिक संगठन, या सरकारी संस्थान व प्रशासन व शासन हो की मदद की आवश्यकता पड़ेगी।

उदघाटन सत्र में समुदाय की दस महिला नेतृत्व को अध्यक्ष जारजूम ऐटे व कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय गर्ग द्वारा शाल भेंट कर सम्मानित किया गया। अगले दिन भी दस अन्य महिला नेतृत्व को भारती राय के पोस्टर देकर सम्मानित किया गया।

जिन साथीयों को सम्मानित किया गया वे हैं -
1. सोकालो गोंण, सोनभद्र, उ0प्र0
2. कमला खरवार, कैमूर बिहार
3. नबादा राणा, पलिया खीरी, उ0प्र0
4. अनवरी, बुग्गावाला, हरिद्वार, उत्तराखंड़
5. धनपति, चन्दौली, उ0प्र0
6. फूलबासी, सोनभद्र,उ0प्र0
7. सबीना, दिलावरनगर, खीरी, उ0प्र0
8. फातिमाबी, बहराइच, उ0प्र0
9. शिवकुमारी, मानिकपुर,उ0प्र0
10. फूलमति, पलिया खीरी,उ0प्र0
11. राजकुमारी, मिर्जापुर,उ0प्र.
12. शिमला, हरिद्वार, उत्तराखंड़
13. विमला, बुग्गावाला, हरिद्वार, उत्तराखंड़
14. राजकुमारी, सोनभद्र,उ0प्र0
15. शकुन्तला, बहराइच,उ0प्र.
16. लालतीपासवान, सोनभद्र,उ0प्र0
17. माया, दिलावरनगर, उ0प्र0
18. रूकमा राणा, पलिया खीरी, उ0प्र0
19. राजकली, म0प्र0
20. शिवकुमारी, उ0प्र0







भारती फैलोशिप कार्यक्रम की शुरूआत दिल्ली के भाटी माईन्स से

भारती फैलोशिप कार्यक्रम की शुरूआत भारतीजी के निधन के बाद से शुरू करने की योजना थी लेकिन काफी आर्थिक दिक्कतों के कारण यह कार्यक्रम शुरू नहीं हो पाया। भारतीजी अपने जीवनकाल की जमा पूंजी को समुदाय की महिलाओं को समर्पित करके गई थी उनकी सोच थी कि समुदाय की महिलाए जो हिंसा व अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं उन्हें आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से मदद की जाए ताकि वे एक सशक्त नेतृत्व के रूप में उभर कर आए। पहली भारती फैलाशिप सीतो मजोका को अध्यक्ष जारजूम ऐटे एवं कार्यकारी अध्यक्ष संजय गर्ग द्वारा प्रदान की गई। सीतो भाटी माईन्स में स्थित असोला अभयारण्य में आने वाले गांव भागीरथ की निवासी से जो कि ओड घुमन्तु जनजाति समुदाय से है। सीतो मजोका को एक फैलोशिप प्रशिस्त पत्र व शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।


 

अगले दिन 12 नवम्बर 2014 को जनशिक्षण कार्यक्रम के तहत समुदाय द्वारा किए जा रहे सहकारी समितियों के अनुभवों को पहले आपस में बांटा गया। यहां पर यह उल्लेख करना जरूरी है कि उ0प्र0 के कैमूर, बुंदेलखंड़ और तराई क्षेत्रों में वनाश्रित समुदाय द्वारा हज़ारों एकड़ भूमि पर पुर्नदख़ल महिलाओं के नेतृत्व में किया गया है जोकि उनकी सामुहिक नियंत्रण में है। इन सामुहिक भूमि पर समुदाय द्वारा कई प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं जिसमें सामुहिक खेती, फलदार व औषिधिय वृक्षारोपण, स्कूलों का निर्माण, समुदाय द्वारा तैयार की जा रही वानिकी, लघुवनोपज पर सहकारी समितियों का निर्माण, जड़ी बूटीयों की खेती आदि। जंगल व वनभूमि के इस दख़ल ने समुदाय को उपनिवेशिक वनविभाग के हमलों व अन्यायों से लड़ने की ताकत भी प्रदान की। इस संदर्भ में सोनभद्र, अधौरा, मानिकपुर, चन्दौली, लखीमपुर खीरी से आए महिला नेतृत्व ने अपने अनुभवों को साझा इन मुददों को केन्द्र बिन्दु बनाया -

- वनों एवं वनभूमि पर पुर्नदख़ल
- दख़ल की गई भूमि पर सहकारी समितियों का निर्माण
- सामूहिक खेती
- यूनियन का निर्माण
- लघुवनोपज पर समुदाय द्वारा सहकारी समितियों का निर्माण
- महिला पंचायतों का गठन

मातादयाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उनकी पूर्वजों की भूमि को पूरे समुदाय ने मिलकर सांमतों व उच्च जाति से वापिस छीना जिस पर वे सहकारी समिति बना कर कब्ज़ा किए बैठे थे। और इस तरह से आदिवासीयों एवं दलितों ने उच्च जाति सांमती पुलिस वनविभाग गठजोड़ के दमन का मुकाबला किया और उन्हें पीछे हटाया। भूमि पर पुर्नदख़ल करने से समुदाय में काफी उर्जा का संचार हुआ। मानिकपुर के जंगलों में आवंला खूब मात्रा में होता है। आज से दस साल पहले भारतीजी द्वारा हमारी महिलाओं को 10000 रू का लोन उपलब्ध कराया गया, उस पैसे से यहां की महिलाओं ने आंवला के उपर सहकारी समिति बनाई जिसमें आंवला से अमरेठी बना कर बाज़ार में बेच कर महिलाए पैस कमाने लगी। इस तरह से आज क्षेत्र में लगभग 20 महिला ‘‘ वनजन सहकारी समियिां’’ बन गई है हर समिति में 20 महिलाए सदस्य है व वह अपनी सहकारी समिति अपने ही तरीके से चला रही हैं। उन्होंने कहा कि अब इस वर्ष हम तेंदु पत्ता पर नियंत्रण करेगें व वननिगम को इससे बाहर करेगें। तेंदु पत्ता से वननिगम व वनविभाग एवं माफिया करोड़ों रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन आदिवासी भूखे मर रहे हैं ।

सोकालो गोंण, सोनभद्र ने कहा कि हमें हिंसा व दमन से लड़ने की ताकत वनभूमि के पुर्नदख़ल से मिली और वनविभाग से छीन कर मिली। हमलोगों ने हज़ारों एकड़ भूमि को वनविभाग के कब्ज़े से मुक्त करा लिया है। यह भूमि हमारे सामूहिक नियंत्रण में है जिसपर हम सामुहिक रूप से जंगल व खेती कर रहे हैं। अब जब हमनें अपनी कुछ भूमि को वनविभाग से वापिस पा लिया है इसके बाद हमारी योजना है कि हम लघुवनोपज पर अपना नियंत्रण कायम करेगें। हमारी सरकार हमें वनों पर अधिकार का कानून एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीन रही है। इसलिए कानून के पालन के लिए महिलाओं को बढ़चढ़ कर आगे आना पड़ेगा। इस वर्ष मैंने वनविभाग से तेंदु पत्ता का ठेका लिया, इस तरह से मैं पहली महिला हुं जिसने वनविभाग से यह ठेका लिया। हम ठेके पर काम नहीं करना चाहते बल्कि अपनी यूनियन के तहत सहकारी समिति बना कर काम करना चाहते हैं लेकिन अभी हमारी समिति तैयार नहीं है और इस बीच में कुछ अनुभव हासिल करने के लिए इस वर्ष हमनें ठेके पर लिया। लेकिन अगले वर्ष से हम इस काम को अपनी यूनियन व सहकारी समिति के तहत करेगें। हमनें मातादयाल की मदद से अपनी सहकारी समिति का गठन कर लिया है अगस्त में हम इस लघुवनोपज से अपनी पूरी जीविका चला सकते हैं। अपनी सामूहिक दख़ल वाली भूमि पर हमलोगों ने स्कूल व डिस्पेंसरी भी खोली है जो कि अभी जनता के सहयोग से चल रही है। मेरे बच्चे की मौत हिंड़ालकों के लापरवाह डाक्टरों की वजह से हो गई जिसको खून चढ़ाया जाना था लेकिन नहीं चढ़ाया गया। इसी वजह से हमनें सोचा कि हमारे बच्चों को हम ऐसे मरने नहीं देगें और उनके लिए अपनी मेहनत से अच्छे स्वास्थ की सुविधाओं को उपलब्ध कराएगें यूनियन एवं सहकारी समिति के माध्यम से।

अनवरी, फूलमति, धनपति, फूलबासी,कमला ने भी सहकारी समिति, सामूहिकता व महिला पंचायत के बारे में विस्तार से बात की। सब क्षेत्रों से आई महिला नेतृत्व ने ज़ोरदार तरीके से महिला हिंसा के खिलाफ ठोस कार्यक्रमों को करने की बात कही। महिलाओं ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों पर महिलाओं का सामूहिक नियंत्रण होना क्यों जरूरी है चूंकि यह महिलाओं के लिए एक बड़ा आजीविका का स्रोत है। इसलिए जब महिलाए प्राकृतिक संसाधनों पर अपना नियंत्रण कायम करेगी तो उनपर ज़ाहिर है कई तरह के हमले होगें। इसलिए हर क्षेत्र में महिला पंचायत का गठन होना बेहद जरूरी है। यह महिला पंचायत महिलाओं के खिलाफ व्यापत हिंसा चाहे वो घर में हो रही हो या बाहर हो रही है उससे निपटने के लिए मदद करेगी। सोनभद्र व खीरी की महिला साथीयों ने कहा कि वे अब महिला पंचायत के लिए अलग मिटटी के घर के रूप में आफिस बनाने में लगी हुई है जहां पर महिलाए अपनी मिटिंग खुद करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास आजीविका अर्जित करने के लिए सभी संसाधन हैं लेकिन वो माफिया, ठेकेदारों, सांमतों, पूंजीपति के हाथों में हैं यह सारे संसाधन लघुवनोपज भी हमें उनसे वापिस छीनना है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पूर्वज विलिक्षण बीमारीयों के सभी इलाज जानते थे व उनके पास जड़ी बूटीयों की पूरी जानकारी थी, अभी फिर से हमें उनसब जानकारीयों को पुर्नजीवित करने की जरूरत है ताकि हम अपने स्वास्थ का खुद ध्यान रख सके। हम इन सब जड़ी बूटियों की सूची तैयार करेगें और इन्हें पैदा कर संरक्षित करेगें व अपने समुदाय का इलाज करेगें।





अनिता सोनी भाटी माईन्स से द्वारा ओड घुमन्तु जनजातिय समुदाय के बारे में दिल्ली में स्थित इस समुदाय को असोला अभयारण्य से बेदखली के खिलाफ ज़ारी संघर्ष के बारे में बताते हुए ।

पवित्र मंड़ल सुन्दरबन पं0 बंगाल ने बताया कि सुन्दरबन काफी दुर्गम इलाकों में से एक है जहां पर समुदाय के वनाधिकार व जलाधिकार दोनो ही काफी व्यापत है। यह एक ऐसा इलाका है जो कि तीन दिशाओं से बंग्लादेश से घिरा हुआ है व समुन्द्र की ओर जाने वाली कई नदीयों में कई टापूओं पर यहां के वनाश्रित समुदाय काफी विषम परिस्थियों में रहते हैं जो कि रायल बंगाल बाघ का घर भी है। वनाधिकार कानून को लागू करने की प्रक्रिया पं0 बंगाल सरकार द्वारा अभी तक शुरू नहीं की गई है। सुन्दरबन के जंगल लघुवनोपज से भरपूर है जिसमें शहद प्रमुख है लेकिन यह सब वननिगम के नियंत्रण में है। वनाश्रित समुदाय से वननिगम बेहद ही सस्ते दामों में शहद ले लेते हैं बाज़ार में बेहद ही उंचे दामों में शहद को बेचा जाता है। हम लोग भी चाहते है कि सुन्दरबन में वनाधिकार कानून लागू हो व इस कानून के तहत हम लोग भी सहकारी समितियों का निर्माण करें इसके लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।

राममिलन चित्रकूट ने बताया कि हमनें अपने क्षेत्र में 20 महिला सहकारी समितियों का निर्माध किया हैं। अब हमें वनविभाग व संेचुरी विभाग से किसी भी प्रकार का डर नहीं है हमलोग आवंला, तेंदुपत्ता या लकड़ी बिना किसी रोकटोक के बाज़ार तक ले जाते हैं व अपने भाव से बेच कर आते हैं। स्थानीय बाज़ार में हमारे द्वारा एकत्रित वनोपज के भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। हमारे पास बाज़ार की पहंुच नहीं है व मार्केट का भी कोई अनुभव नहीं है इसके लिए हमें जानकारी व सभी कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

चाणूराम शिवालिक वन सहारनपुर ने कहा कि लघुवनोपज ही हमारी विकास की कुंजी है। हमारे संगठन घाड़ क्षेत्र मज़दूर मोर्चा ने लगभग 30 वर्ष पहले हमने जंगलों में अपने राजनैतिक व श्रम अधिकारों के लिए संघर्ष किया था जिसमें हमनें उत्पादक सहकारी समिति बान उत्पादक समिति भाभड़ घास के उपर बनाई थी। इस घास से रस्सी बनाई जाती हैं। यह काफी सफल अनुभव रहा लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं चल पाया हम लोग यूनियन नहीं बना पाए जिसके चलते यह प्रयास बहुत जल्दी टूट गया। उस वक्त हमारे पास वनाधिकार कानून नहीं था, आज हम अखिल भारतीय वनश्रमजीवी यूनियन को इस कानून को पारित करवाने के लिए बधाई देते हैं। हमारे शिवालिक जंगलों में सैंकड़ों की तादात में वनोपज हैं इसकी हमें अब सूचि बनानी है। हमें यह भी ध्यान देना होगा कि हम कौन से वृक्ष को लगाना चाहते हैं वे जो कि हमारे पर्यावरण के लिए लाभकारी हों। जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण घाड़ में नदीयों का विस्तार काफी हो गया है जिससे हमारी उपजाउ भूमि बंजर होती जा रही है इस मुददे पर भी हमें ध्यान देने की जरूरत है।

पुष्पांजलि, चितंरजन व समुदाय से कोशिल्या बाई उड़ीसा से अपने राज्य में सहकारी समितियों को चलाने के अपने अनुभवों को सभी के साथ साझा किया। यहां पर वसुंधरा संगठन की मदद से समुदाय की महिलाओं ने बहुत सारे लघुवनोपज पर अपनी सहकारी समितियों का गठन किया है जिनमें से प्रमुख हैं काजू, आंवला, हर्रा, बांस, बेल आदि। अपनी सहकारी समितियों के तहत वे इन वनोपज को बाज़ार में बेचते हैं जिससे प्रति सदस्य अच्छी आय हो जाती है।

मुन्नीलाल, देहरादून उत्तराखंड़ ने कहा कि वनाधिकार कानून वनाश्रित समुदाय के लिए एक बहुत बड़ा हथियार है। इस कानून के तहत हम अपने वनों में दख़ल ले सकते हैं इसलिए हमें अपने दावों को डालना होगा। उन्होंने वनग्रामों व टांगीयां ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने के बारे में ज़ोर दिया व आंदोलनरत होने के लिए कहा। वनग्रामों के निवासीयों को आज भी भारत के नागरिक होने का दर्जा प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि वनगूजरेां के दावों को अभी तक आंमत्रित नहीं किया गया है इससे वनों में रहने वाले समुदायों की अपेक्षा हो रही है।

केएन तिवारी यूनियन के कोषाध्यक्ष ने कहा कि यह हम सभी के लिए गौरव की बात है कि इतने बड़े पैमाने पर महिला नेतृत्व को भारती जी की जन्मदिवस पर सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने सीतो मजोका जिन्हें पहला भारती फैलोशिप से सम्मानित किए जाने पर काफी प्रसन्नता जताई जो कि दिल्ली के भाटी माईन्स जैसी कठिन जगह पर संघर्ष कर रही हैं। इस तरह की पहल समुदाय की महिलाओं को बेहद ही सशक्त करेगें। उन्होंने कहा कि सामुदायिक अधिकारों के मुददे पर काम करने के लिए सीतो जैसी अन्य महिलाओं को भी उत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने भारती फैलोशिप को और भी मजबूत करने के लिए धन इक्टठा किए जाने पर ज़ोर दिया और कहा कि इसमें उनके संगठन का पूरा सहयोग रहेगा।

संजय गर्ग द्वारा भारतीजी के जन्मदिवस के मौके पर काफी भावुक होते हुए उन्होंने आयोजकों को सीतो मजोका को भारती फैलोशिप से सम्मानित किए जाने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस फैलाशिप के माध्यम से सीतो भारती के सपने व विचारों को समुदाय में आगे बढ़ाने का काम करेगी। फैलाशिप का दायरा बड़ा करने के लिए एक अपील ज़ारी करनी पड़ेगी ताकि जो हमारे सहयोगी साथी व संगठन इस विचारधारा से जुड़े हुए हैं वे इस में और भी सहयोग कर सकते हैं। इस कार्य से समुदाय की महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है। उन्होंने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने पर ज़ोर दिया। वनाश्रित समुदाय कई जगहों पर वनभूमि पर पुर्नदख़ल का कार्य कर रहे हैं उसके साथ साथ यह भी जरूरी है कि वनों पर अपना स्वामित्व सहकारी आंदोलन से कायम हो ताकि भ्रष्ट वनविभाग व निगम को वनों से बेदख़ल किया जा सके। सहकारी आंदोलन के ज़रिये ही समुदाय बाज़ार के अंदर भी अपनी सौदेबाज़ी को मजबूत कर सकता है। सहकारिता और सामुदयिकता को जब हम मजबूत करने जाएगें तो निहित स्वार्थो द्वारा कई प्रकार के हमले किए जाएगें इसके लिए हमें एक सशक्त यूनियन की भी आवश्यकता है। उन्होंने यूनियन सदस्यता अभियान की धीमी गति पर अपनी चिंता जताई और कहा कि अगर सशक्त यूनियन नहीं बनेगा तो सामुदायिक प्रयासों को ज्यादा देर तक टिका पाना मुश्किल है। हमें उत्पादक सहकारी समितियों का गठन करना है जिसके लिए नीति के स्तर पर भी बेहद काम की आवश्यकता है। इस काम में उन्होंने सरकार की तरफ से जो अड़चने यूनियन या फिर सहकारी समितियों को बनाने में आती है उससे मदद करने का पूर वादा किया।

जारजूम ऐटे, अरूणांचल प्रदेश ने वनाश्रित समुदाय के स्वास्थ व्यवस्था को मजबूत करने पर ज़ोर दिया जोकि जड़ी बूटीयों व समुदाय की हज़ारों साल की परम्परागत औषिधिय जानकारी से जोड़ कर की जा सकती है। सहकारी समितियों में तेंदु पत्ता को इक्टठा और बेचने के उपर उन्होंने चिंता जताई कि इस का इस्तेमाल बीड़ी में किया जाता है जिससे कि काफी स्वास्थ समस्याए पैदा होती है। इसलिए यूनियन को यह भी देखना होगा कि हम इस तरह के कारोबार के बारे में क्या दृष्टिकोण रखते हैं।

रोमा ने सहकारी आंदोलन चलाने के लिए इस संदर्भ में समुदाय के गहन प्रशिक्षण किए जाने पर ज़ो दिया जिसमें समुदाय के नेतृत्वकारी सदस्यों को कानूनी व नीतिगत मसलों पर भी जानकारी उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने बताया कि एन0टी0यू0आई के साथ मिल कर सहकारी आंदोलन के उपर एक दस्तावेज़ तैयार किया जा रहा है जिसका मुख्य केन्द्रबिन्दु होगा वनों के अंदर ढ़ाई सौ साल से जमें उपनिवेशिक वनविभाग व उसकी बहन निगम को वनों से बेदखल कर समुदाय के संस्थानों को विकसित करना।

अशोक चैधरी ने कहा कि हमारा समाज गैरबराबरी व असमानता की बीमारी से जकड़ा हुआ है हमें इसका कारण जानना है कि किस वजह से है? यह गैरबराबरी की जड़ राजसत्ता में निहित है। हमें हमेशा यह याद रखना होगा कि हमरी लड़ाई व संघर्ष गैरबराबरी व असमातना को समाज से समाप्त करने की है। यह एक लम्बी लड़ाई है जिसके बारे में हमें राजनैतिक समझदारी विकसित करनी है जिसमें हमें सरकार व राजसत्ता कैसे चलती है उसे बारीकी से समझना होगा। यह दोनों अलग है एक नहीं है इसकी समझदारी बना कर हमें अपना एक राजनैतिक कार्यक्रम बनाना होगा। राजसत्ता और सरकार द्वारा मिलकर जो चक्कर चला रखा है उसे हमें तोड़ना होगा। जब हम इस चक्कर को तोड़ेगें तभी हमारे मुददे सामने आ पाएगें। हमनें अपने अनुभव से यह देखा कि जहां पर भी समुदाय द्वारा अपनी भूमि पर पुर्नदखल किया जा रहा है वहां पर सांमती व दमनकारी ताकतें पीछे हट रही है। हमें अपने सामुहिक संघर्ष से अपने खेमे को मजबूत करना है। यूनियन शक्ति ही ऐसी एक शक्ति है जो कि इस राजसत्ता के इस चक्कर को चुनौती दे सकती है व इसे तोड़ सकती है। हमें राजसत्ता को चुनौती देने के लिए अपने कार्यक्रम को विकसित करना है व राजनैतिक कार्यक्रम बनाने हैं। यह सरकार हमारे तमाम प्राकृतिक संसाधनों को कम्पनीयों को देना चाहती है जबकि हमारी मांग है कि इन तमाम प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय का समान अधिकार हो जैसे कि हमारे संविधान में अधिसूचित किया गया है। इसी जगह पर हमारा और सरकार या किसी भी सरकार के साथ सीधी टक्कर है, जो भी सरकार सत्तासीन होती है उसके एजेंड़े में जनवादी जगह को समाप्त करना हैं। राजसत्ता व सरकार ने प्राकृतिक संसाधनों पर अपना एकाधिकार जमा लिया है व वे इसे अपनी सम्पति समझते हैं। जितने भी दंगे, फसाद चाहे वो साम्प्रदायिक या फिर जातिगत हों वह इन ससांधनों को नियंत्रण को लेकर ही है। हमें अपने संघर्षो को केन्द्र में लाना होगा जोकि राजसत्ता के विरूद्ध होगा। हमें अपनी ताकत बढ़ा कर इन सरकारों को यह कहना है कि या तो हमें हमारे अधिकार दे दो नहीं तो वापिस जाओ, इस ताकत को हमें बढ़ाना है। हमें सहकारी आंदोलन को बढ़ाना है व सभी सहकारी समितियों को गठित कर उसे अखिल भारतीय संघ मे तब्दील करना है। इस आंदोलन को करने के लिए हमें यूनियन को मजबूत करना होगा और इस यूनियन को देश के हर कोने में ले जाना होगा। हमें हर हफते या महीने में अपनी यूनियन सदस्यता को मजबूत करने के लिए मिटिंग करनी होगी। इसके लिए आने वाले 15 दिसम्बर 2014 को हमें केन्द्र सरकार को चुनौती देने के लिए जंतर मंतर संसद के सामने इकटठा होना है। व वनाधिकार कानून को लागू करने की राजनैतिक इच्छा न दिखाने पर उनसे जवाब लेना है।

भारती फैलोशिप पोस्टर का अनावरण

 
भारती फैलोशिप कार्यक्रम पर तैयार किए गए पोस्टर को यूनियन की अध्यक्ष व समुदाय की महिला नेतृत्व द्वारा अनावरण किया गया।

आगामी कार्यक्रम

भारती फैलोशिप में धनराशि इकटठा करने के लिए एक अपील ज़ारी करना ताकि और भी समुदाय की संघर्षशील महिलाओं को मदद की जा सके।
सहकारी समितियों के उड़ीसा में वसुन्धरा संगठन के सफल प्रयासों को सीखने के लिए महिलाओं के एक दल का दौरा जिसकी तारीख संगठन के साथीयों के बीच बैठ कर तय की जाएगी।
फरवरी 2015 में तीन दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम महिला व समुदाय के नेतृत्वकारी साथीयों की जो कि यूनियन के गठन, सहकारी समितियों के गठन की कानूनी जानकारी व नीतिगत मामलों पर होगी।
यूनियन व सहकारी समिति पर एक दस्तावेज़ एन0टी0यू0आई के साथ मिल कर तैयार करना
15 दिसम्बर 2014 को दिल्ली जंतर मंतर संसद पर जनगोलबंदी
16 दिसम्बर 2014 को यूनियन की राष्ट्रीय समिति की बैठक आगामी कार्यक्रमों को बनाने के लिए








Thursday, November 27, 2014

इन्कलाब जिन्दाबाद                    महिला एकता जिन्दाबाद                     मज़दूर एकता जिन्दाबाद  

जो ज़मीन सरकारी है वो ज़मीन हमारी है, जल-जंगल और ज़मीन ये हों जनता के अधीन 

3 दिसम्बर 2014 को अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो - भाटी माईन्स संजय गांधी पार्क, NEW DELHI
15 दिसम्बर 2014 को जंतर मंतर चलो
मज़दूर बहनो व भाईयो!
हम सब ग्राम भागीरथ नगर के बाशिंदे ओड़ घुमन्तु जनजाति की मज़दूर महिलाएं एवं गांव के प्रतिनिधि वरिष्ठ जन, आज अपने वंचित संवैधानिक अधिकारों को पाने के लिए एकजुट हो रहे हंै। हमारा गांव भागीरथ नगर पिछले 50 साल से भाटी राजस्व गांव की ग्राम सभा भूमि पर बसा हुआ है। हमारे ओड़ समाज के पांच हज़ार परिवारों ने 1965 से लेकर 30 साल तक भाटी माईन्स की विशाल और खतरनाक खदानों में कड़ा परिश्रम किया है। अनगिनत मज़दूर खनन दुर्घनाओं में मारे गए हैं। सन् 1975 में खदानों की मिल्कियत भ्रष्ट सरकारी कम्पनी क्ब्प्क्ब्ध्क्ैडक्ब् को सौंपी गई थी, लेकिन श्रम कानूनों का उलंघन और श्रमिक अधिकारों का हनन ज़ारी रहा। सरकार की तरफ से भाटी माईन्स लेबर कालोनी के नाम पर हमारे गांव को राशन की दुकान, बिजली, सड़क, प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल, अस्पताल आदि सुविधाए मुहैया कराई गईं। सन् 1990 में जब भाटी खानंे अचानक बंद कर दी गईं, तब हम लोगों को हमारी किस्मत पर बेसहारा छोड़ दिया गया। न मुवाअज़ा मिला और न वैकिल्पक रोज़गार। हमें रोज़ी-रोटी की तलाश में दूर दूर तक भटकने को मजबूर किया गया। पर हमने अपने आशियाने को नहीं छोड़ा जहां हमारी पहचान सांस्कृतिक धरोहर मौज़ूद है। इतने में 1991 में आम चुनाव के मौके पर दिल्ली के शासक वर्ग ने क्ैडक्ब् के भ्रष्टाचारी अफसरों को कानूनी जांच से बचाने के लिए इस पूरे क्षेत्र को सेंचुरी घोषित कर वनविभाग को गैरकानूनी व असंवैधानिक तरीके से सौंप दिया व रातांेरात हमंे अतिक्रमणकारी बना दिया गया और 1996 में बिना हमारी जानकारी के हमारे गांव को यहां से बेदखल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश पारित कराया। हमारी पुरानी बसी आबादी को झुग्गी झोपड़ी कहकर अपमान जनक धब्बा दिया और गांव के विकास पर रोक लगा दी। आज सरकारी लेखे जोखे में भागीरथ नगर गांव का वजूद ही नहीं है, इस जगह संजय कालोनी जे0जे का उल्लेख है जिस का दर्जा एम अवैध शहरी स्लम का है। वे हमें यहां से बेदख़ल करने पर तुले हुए हैं।    
 इस बार दोबारा चुनाव की घोषणा होने से पहले ही पार्टियां, नेता, माफिया व दलाल सक्रिय हो कर घूमने लगे हैं व हमारे वोट का सौदा करने को तैयार बैठे हैं। इस चुनाव में आइए हम सभी मिल कर यह तय करें कि हम किसी भी पार्टी या दलाल के कहने पर अपना वोट नहीं बेचेंगे व अपने हक़ व मुददों पर जो उम्मीदवार काम करेगा या पार्टी काम करेगी, हम उनको एकजुट हो कर अपना मत दंेगे। हमारे बहुत सारे मुददे हैं, जिनके ऊपर हमें ध्यान देना है। सबसे पहला विरोध हमें वनविभाग व सरकार द्वारा दिए गए हमें विस्थापित करने के नोटिस पर देना है व हमें सन् 2006 में संसद में पारित ‘‘वनाधिकार कानून’’ के तहत सम्मानजनक बसाए जाने की मांग करनी है। हमारे पंचायत गठन करने या फिर वार्ड पंचायत गठन करने के अधिकार को भी समाप्त कर दिया गया व सेंचुरी भी वनकानून की परिभाषा के अनुरूप गठित नहीं की गई, न ही इसमे वन है और न ही वन्य जन्तु। वन के नाम पर केवल कीकर के पेड़ हैं और वन्य जन्तु के नाम पर केवल बंदर, ये दोनों ही पर्यावरण के दुश्मन हंै। वनविभाग द्वारा करोड़ों का बजट इस सेंचुरी में बंदरों को खाना खिलाने व कीकर जैसे दूषित पेड़ों को बचाने में खर्च किया जा रहा है व उल्टे वनविभाग द्वारा यहां के आदिवासी घुमन्तु जाति के बच्चों व महिलाओं के ऊपर बंदरों का खाना चुराने का आरोप लगा कर उन्हें चोर बनाया जा रहा है। इसलिए आइए हम सब यह संकल्प लें कि हम अपने भागीरथ नगर को एक आर्दश नगर बनाएंगे। इसे शोषण, अन्याय, भुखमरी, गरीबी और जातिगत हिंसा से मुक्त कराएंगे। इस संकल्प को लेने के लिए आप लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में 3 दिसम्बर 2014, बुधवार को संजय गांधी पार्क पर एकत्रित हों व 15 दिसम्बर 2014 को जंतर मंतर पर देश भर से आए मेहनतकश वर्ग के हज़ारों संगठनों के साथ शामिल हो कर अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने का काम करें। 3 दिसम्बर के सम्मेलन में हमारे संगठन के अ0भ0वनश्रमजीवी यूनियन व न्यू टेªड यूनियन इनिशिएटिव के कई वरिष्ठ साथी भाग लेंगे ।

हमारी मांगें 

पहले एक हाथ से विकास दो और फिर दूसरे हाथ से वोट लो
1. भागीरथ नगर भाटी माईन्स को सन् 2006 में संसद में पारित वनाधिकार कानून के तहत बसाया जाए। इस कानून के तहत संरक्षित वनक्षेत्र में रहने वाले घुमन्तु जनजातीय समुदाय को वनाधिकार के साथ-साथ इस कानून की धारा 3 की उपधारा 2 के तहत 13 तरह के विकास के अधिकार प्रदान किए गए हैं। 
2. ओड़ घुमन्तु जनजाति समुदाय को पूरे देश में घुमन्तु जनजाति समूह का दर्जा दिया जाए। 
3. वनाधिकार कानून-2006 भाटी माईनस में रहने वाले ओड़ समुदाय के घुमन्तु जनजातीय समुदाय पर पूर्ण रूप से लागू होता है, चूंकि इस समुदाय को सरकार द्वारा ही खदानों में काम करने के लिए बसाया गया था व बाद में 80 के दशक में स्वयं सरकार द्वारा ही इस पूरे क्षेत्र को असोला सेंचुरी घोषित कर दिया गया। जिसमें भागीरथ नगर के तमाम संवैधानिक बुनियादी अधिकारों को समाप्त कर दिया गया व ग्राम सभा से भी बाहर कर दिया गया। देश के संविधान व वनाधिकार कानून के तहत यहां के अधिकारों को बहाल किया जाए। 
4. इस कानून की धारा 2 की उपधारा छः में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है कि किसी भी वनक्षेत्र में अगर ग्राम पंचायत व ग्राम सभा नहीं है, तो वह अपनी ग्राम सभा गठित कर सकते हैं तथा इसी कानून की धारा 3 की उपधारा ज में यह अंकित किया गया है कि ऐसे गांव वनग्राम की श्रेणी में आते हैं व इन गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर तमाम विकास के कार्यक्रमों को लागू किया जाए। 
5. भागीरथ नगर के गरीब व वंचित ओड़ घुमन्तु समुदाय को इस कानून की धारा 3 की उपधारा घ में स्पष्ट प्रावधान है कि यायावर समुदायों की मछली और जलाशयों के अन्य उत्पाद, चरागाह के उपयोग या उनके हकदारी ओर पारम्परिक मौसमी संसाधनों तक, जैसे; सभी वनोपज जलौनी लकड़ी, शहद, घास-फूस, तालाबों व मछली मारने पर अधिकार प्रदान किए जाएं। 
6. इसी कानून की धारा 4 की उपधारा 2 के तहत सेंचुरी के अंदर क्रिटिकल वाईल्ड लाइफ हेबिटेट के कार्यक्रम के तहत वन्य जन्तुओं के संरक्षण व वनों के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदाय के साथ मिल कर योजना बनाने के प्रावधान हैं, लेकिन उल्टे वनविभाग यहां के समुदाय को अतिक्रमणकारी कह कर चोर बनाने पर अमादा है। 
7. इस कानून की धारा 3 की उपधारा 2 के तहत सभी विकास के अधिकार, संविधान के अनु0 21 में दिए गए ‘‘जीने के अधिकार’’ के मौलिक अधिकार के तहत व पंचायत की संशोधित अधिनियम के तहत इस गांव में जल्द से जल्द बुनियादी स्वास्थ के लिए 25 बेड की सुविधा वाला अस्पताल, प्राथमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों, पीने के पानी की समुचित व्यवस्था, सभी सड़कों का निर्माण, आंगनवाड़ी, सामुदायिक केन्द्र, जल एवं विद्युत योजनाएं, महिला पंचायत, बंदर व वन्य जन्तुओं के द्वारा घायल हो जाने की अवस्था में मुफ्त उपचार व मुआवज़ा भागीरथ नगर मंे ही देने के प्रावधान भी जल्द लागू किए जाएं। 
8. भाटी माईन्स में भ्रष्ट खदान कम्पनियों द्वारा श्रमिकों का वेलफेयर फंड जो कि करोड़ों में है, उसे वापिस किया जाए व यहां के श्रमिकों के विकास पर उसे खर्च किया जाए। 
9. क्ैप्क्ब्ध्क्ैडक्ब् द्वारा अभी तक श्रमिकों को कम्पनी द्वारा लेखा-जोखा नहीं दिया गया व यह कम्पनी भगोड़ी है, जिसके द्वारा श्रमिकों की बकाया मज़दूरी का अभी तक भुगतान नहीं किया गया, इसे जल्द दिलवाया जाए। 
10. प्राकृतिक सम्पदाओं के ऊपर वनविभाग एवं सरकारी नियंत्रण के बदले सामुदायिक मालिकाना हक़ एवं स्वशासन कायम किया जाए व वनविभाग को वनों एवं वनभूमि से बेदख़ल किया जाए। 
11. महिला श्रमिकों के लिए खास तौर पर महिला श्रम योजनाए चालू की जाए, महिला हिंसा से निपटने के लिए व्यापक स्थानीय स्तर पर ठोस कदम उठाए जाए, भाटी माईन्स में महिला थाना को स्थापित किया जाए। 
12. ज़मीन एवं प्राकृतिक सम्पदाओं पर महिलाओं का अधिकार। असोला सेंचुरी के अंदर पैदा हो रही तमाम लघुवनोपज पर वनाधिकार कानून 2006 की संशोधित नियमावली 2012 के अनुसार सहकारी समितियों का गठन कर लघुवनोपज का मालिकाना हक़ समुदाय को सौंपा जाए। 
13. उद्योगों में ठेका-मज़दूरी प्रथा को समाप्त किया जाए और नियमित किया जाए । समस्त श्रमजीवियों के लिये सामाजिक सुरक्षा योजना पूर्णतया लागू की जाए, सम्मान पूर्वक वृद्धा पेंशन योजना, महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ व अन्य योजनाओं को लागू किया जाए। सभी श्रमिकों के लिए सम्मान से जीने लायक वेतन सुनिश्चित किया जाए। 
14. इस गांव में ओड समुदाय व वंचित तबकों के ऊपर ज़ारी जातिगत हिंसा को समाप्त किया जाए। 
15. महिला श्रमिकों के लिए सम्मानजनक रोजगार का सृजन किया जाए। 
16. भागीरथ नगर में प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों में अध्यापकों की रिक्त स्थानों की पूर्ति की जाए, स्कूलों में सफाई रखी जाए, प्राथमिक स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय बनाए जाए व पानी की व्यवस्था की जाए, वनविभाग द्वारा उच्च माध्यमिक स्कूल के निर्माण पर जो रोक लगाई गई है उसे चालू किया जाए व 12वीं से लेकर उच्च शिक्षा मुफ्त उपलब्ध करना, जिसमें फीस के साथ किताबें व अन्य व्यवस्थाएं भी शामिल हों। 
17. जंगली जानवरों व बंदरों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों पर आक्रमण पर रोक लगाई जाए व बंदरों के उत्पात पर नियंत्रण किया जाए। बंदरों के घायल करने, हमला करने पर प्राथमिक उपचार वनविभाग द्वारा मुहैया कराया जाए व घायल को वनविभाग व सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाए। 
18. संगठित क्षेत्र के लिए सातवें वेतन आयोग की तरह श्रमिक वर्ग के लिए अलग वेतन आयोग का गठन किया जाए।
19. सभी खदानों का राष्ट्रीयकरण किया जाए व इन संसाधनों को लोकतांत्रिक मूल्य पर आधारित जांच के  दायरे में रखा जाए। कारपोरेट घरानों के प्राकृतिक संसाधनों के एकाधिकार को समाप्त किया जाए । 

भागीरथ नगर महिला संगठन, अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन AIUFWP, न्यू टेªड यूनियन इनिशिएटिव NTUI
सम्पर्क 8377922402, 9711684176,9811360937 भागीरथ नगर, संजय कालोनी, भाटी माईनस, नई दिल्ली 
बी-137, दयानंद कालोनी, लाजपत नगर फेस -4, नई दिल्ली 110024


National Convention of People's Struggles
in defence of democracy, to protect land, water, forest and livelihoods

November 29-30, Dhinkia, Jagatsinghpur, Odisha

Dear friends,

People's movements defending land, water, environment, livelihood, and democratic rights are coming together to organise a national convention in defense of democracy next month in Odisha, in the context of burgeoning onslaughts under the new government.

The new government at the centre has made it amply clear that it is going to pursue the pro-corporate and anti-people policies of the previous dispensation with much more vigor, coercion, and rapid pace. The reality of 'achchhe din' stands exposed and the people's aspiration for better life has been channelised to nefarious communal polarisation.

In its very first quarter, the new government has shown its true intentions: allowing Foreign Direct Investment (FDI) not only in multi-brand retail but also in the defense sector; amending the existing labor laws to suit the industry; diluting environmental laws to turn clearances into mere formalities; and even to amend the much flawed Land Acquisition Act brought by the previous regime in order to do away with the minimum relief it provided to the people.  

The new PM and his government’s silence on the communal riots and the attempts made its political affiliates to vitiate the communal environment in the run up to the recent by-polls has surpassed the famous silence of Manmohan Singh government on corruption. Communal groups, including elected party officials are making inflammatory statements and stoking communal tensions. The communal Hindutva agenda, together with all that underlies it, is rapidly permeating the very air we breathe.

Both these threats of corporate loot of natural resources as well as communalism are greatly undermining our democracy. Resistances by people and movements against the economic offensive will be met by an aggressive repressive regime as well as by extra-constitutional violent outfits supporting the regime. Even the judiciary will be weakened through various means and the corporate-controlled media will turn a blind eye.

Such an ordeal before the people's movement has very few precedents in recent history. It is in this context, that the people’s movements and democratic groups have decided to call for a national convention during 29-30 November 2014 in Dhinkia village of Jagatsinghpur, Odisha to discuss the challenges and the way ahead. 








PROGRAMME

Day -1 November 29, 2014
  • Presentation by people's struggles
        existing situation
        way forward
  • Formation of drafting committee

Day 2 November 30, 2014

  • Discussion on the draft of declaration
  • Discussion on follow up – future programmes

We request you to kindly ensure your participation in this national convention and extend your solidarity. Please send us your confirmation on janadhikarsangharshsamiti@gmail.com




How to reach Dhinkia

- Participants coming from other states will have to de-board at Cuttack station.
- From Cuttack station they’ll have to take a train towards Paradip and de-board at Badbandh. (Trains from Cuttack leave at 7:40, 11:00, 15:00, 19:00 everyday)
- The organisers have arranged for road transport from Badbandh to Dhinkia. For any further enquiry kindly contact Prashant Pakra on mobile no.- 09437571547.
- Kindly note that transport has to be arranged by the participants themselves. The organiser friends will provide for lodging and food in Dhinkia.  


Local contact persons-

Kalyan Anand (0943836237),Narendra Mohanty (09437426647), Mamta Patra,(09437283283), Nishikant Mahapatra (09861117243), Lingaraj Azad (09437702358), Prashant Paikray(09437571547)


Co-organisers

Kalahandi Sachetan Nagrik Manch, Odisha; Niyamgiri Surksha Samiti, Odisha; Odisha Soochana Adhikar Manch, Odisha; Janamukti Sangharsh Vahini , Odisha; Jatadhar Bachao Andolan, Odisha; Samajwadi  Jan Parishad, Odisha; Odisha Asangthit Sharamik Sangh, Odisha; Adivasi Dalit Vikas Samiti, Odisha; Nabarangpur Nagrik Manch; Odisha; POSCO Pratirodh Sangram Samiti, Odisha; Lok Sakti Abhiyan, Odisha; Kaling Nagar Visthapan Virodhi Jan Andolan, Odisha; Paschim Odisha Krushaka Sangathan , Odisha; Zindabad Sangathan, Odisha;  Lower Suktel Vudi Anchal Sangram Parishad, Odisha; Sahahra Powar Plant Birodhi Manch, Odisha;  Lower Indra Visthapit Sahayata Samiti, Odisha; Santha Bhima Bhoi Krushaka Sangharsh Samiti, Odisha;  Pira Jaharian Bhitta Mati Suraksha Manch, Odisha; Ambedkar Dalit Adhikar Manch, Odisha; Lower Suktel Nagrik Mangh, Odisha; Singhbum Gao Ganrajya Parishad, Jharkhand; Koyal Karo Jansangthan, Jharkhand; Dastak Manch, Jharkhand; Spanj Iron Factory Virodhi Andolan, Jharkhand; Jharkhand Ulgulan Manch, Jharkhand; Jharkhand Asangthit Mazdoor Morcha, Jharkhand; Ghar Adhikar Sangharsh Morcha, Jharkhand; Visthapan Virodhi Ekta Manch, Jharkhand; Abhiyan, Jharkhand; Adivasi Moolvasi Astitva Raksha Manch, Jharkhand; Mittal Virodhi Andolan, Jharkhand; Bhushan Virodhi Andolan, Jharkhand; Damodar Bachao Abhiyan, Jharkhand; Poorvi Kolahan Visthapit Sangh, Jharkhand; Kolahan Adivasi Swashasan Samiti, Jharkhand; Jharkhand Mukti Wahini, Jharkhand; Icha Khadkai Bandh Virodhi Sangh, Jharkhand; Khutkati Reyti Bhoomi Surksha Sangarsh Samiti, Jharkhand; Zameen Bachao Andolan, Jharkhand;  Anti Jindal-Bhushan-Mittal movement, Jharkhand;  People’s struggle against nuclear Mining, Jadugoda, Jharkhand;  Chhattisgarh Mukti Morcha, Chhattisgarh; Adivasi Mahila Mahasangh, Chhattisgarh; Nadi Ghati Morcha, Chhattisgarh; Baiga Mahapanchayat, Chhattisgarh; Chhattisgarh Dalit Mukti Morcha, Chhattisgarh; Jurmil Morcha, Chhattisgarh; Chhattisgarh Mahila Manch, Chhattisgarh; Jan Adharit Sleeper Mazdoor Union, Chhattisgarh; Adivasi Mazdoor Kisan Ekta Sangthan, Chhattisgarh; Raigarh Sangharsh Morcha, Chhattisgarh; Anti Displacement Movement, Chhattisgarh;  NAPM, Delhi; All India Union of Forest working People, Delhi; National Adivasi Alliance, Karnataka;  NTUI, Delhi; INSAF, Delhi; PUCL, Delhi; National Hawker Federation, West Bengal; MMP, Delhi; PUDR, Delhi; SAHELI, Delhi; HRLN, Delhi; NFDLRM, Delhi; Kisan Sangarsh Samiti, Madhya Pradesh; National Fishworkers’ Forum, Kerala; PSA, Delhi; PMANE, Tamil Nadu; National Alliance for Women Organisation, Delhi; Delhi Sharmik Sangathan, Delhi; Centre for Policy Analysis, Delhi; Jamia Teachers' Solidarity Association, Delhi; Delhi Union of Journalist, Delhi; ANHAD, Delhi; Coalition for Nuclear Disarmament and Peace (CNDP), Delhi; Azadi Bachao Andolan, Janadhikar Sangharsh Samiti, Delhi; Jan Sangharsh Samnvy Samiti, Delhi; Andhra, Kovvada, AP; Sahadevan K, Kerala,Payal Cooperative Society, Maharashtra, Anchalika Vikas Parisad, Odisha, Manavikata Kala Seva Sanhati, Odisha, Shramjivi Sangathana, Maharashtra, V.T.M.S., Tamilnadu, Hum Kisan, Rajasthan, Visthapit Mukti Vahini, Jharkhand, Mazdoor Kisan Samiti, Bihar, Shoshit Kamgar Sangathana, Marathwada, Maharashtra, NOBIN, Odisha
Ghosikhurd Prakalpgrast  -Sangarsh Samiti, Maharashtra, Nava Jeevan Organisation, Andhra Pradesh
Adim Adivasi Mukti Manch, Odisha, MASS’ , Andhra Pradesh, Lok Shiksha Sangthan, Rajasthan
MATI, Uttarakhand, Satark Nagrik Sangathan, New Delhi, Jashpur Jan Vikas Sanstha, Chhattisgarh
Bundelkhand Kissan Mazdoor Shakti Sangathan, Madhya Pradesh, Chhattisgarh Bachao Andolan, Chhattisgarh, Dalit Adivashi Manch, Chhattisgarh, Patthar Khadan Mazdoor Sangh, Madhya Pradesh
People’s Foundation, New Delhi, Lokadhikar Sangathan, New Delhi, Krishi Bhoomi Bachao Morcha,UP, Cement Plant Virodhi Aandolan, Nawalgarh, Rajasthan, Rajasthan Nirman Mazdoor Sangathan, Rajasthan, Parmanu Virodhi Morcha, Haryana,DMIC Virodhi Morcha, Rajasthan, Nirman Mazdoor Panchayat, UP, SEZ Virodhi Sangharsh Samiti, UP, Bhagat Singh Vichar Manch, Bihar, Gaon Bachao Aandolan, UP, Chhatisgarh Mahila Mukti Manch, Chhatisgarh, Matrubhoomi Raksha Sangharsh Samiti, Himachal Pradesh, Punarvas Kisan Kalyan Sahayta Samiti, UP, Parmanu Pradushan Sangharsh Samiti, Rajasthan, Rajasthan Adivasi Adhikar Manch, Rajasthan, Himalaya Niti Abhiyan, Himachal Pradesh, Bhakhra Visthapit Sudhar Samiti, Himachal, Renuka Bandh Jan Sangharsh Samiti, Himachal Pradesh, Bihan, UP, Lakshmi Prasad Suraksha Samiti, Odisha, Mazdoor Karyakarta Samiti, Chhatisgarh, Chutka Parmanu Oorja Virodhi Aandolan, Madhya Pradesh, Mithi Virdi Anu Oorja Virodhi Aandolan, Gujarat, Konkan Vinashkari Prakalp Virodhi Samiti, Maharashtra.