Thursday, January 15, 2015

Bharati 4th Death annivarsary 18 Jan will be celebrated in Nagal Mafi, Women empowerment Center, Bharati Sadan in Saharapur on 18th Jan 2015. All are cordially invited. 
Roma and Munnilal

pl find the hindi note below and also in the attached file
BHARATI FELLOWSHIP PROGRAMME STARTED BY ALL INDIA UNION OF FOREST WORKING PEOPLE
Bharati Fellowship Programme started by All India union of Forest People on the Birth Anniversary of Bharati Roy Choudhary this year in November 2014 to support the community women leaders who are fighting all forms of violence and to build up women's organization in their area. This great task could be achieved from savings of Bharatiji who had a dream to build up a strong women leaders in the country especially in the forest area from the community. Our union selected two women community leaders who were selected on the basis of their struggle in entirely a new area. Union was in the opinion that the fellowship should go to new area where there are community women leaders who are trying to organize and struggle independently. In their struggle Union will also provide them all kind of political support. As the area in which our women activists are struggling are very difficult areas.
Community leaders who were identified -
1. Manisha Solanki, a dalit activist working in Chota Udaipur, Gujarat. She is organizing forest people in the forest area of Gujarat.Manisha was presented this fellowship award in the National Committee meeting of our Union in New Delhi on 16th Dec 2014. She was awarded this fellowship by our union President Jarjum Ete.
2. Seeto Majhoka, from Od nomadic tribe struggling hard to organize and unionize women from Bhatti mines, Delhi in Asola wild life sanctuary. Seeto was awarded this fellowship in the Birth annivarsary celebration of Bharatidi in Bharati Sadan, Nagal, Saharapur, UP on the occasion of mass training programme organized by Union on " Collectivism, Unionism and building Cooperatives, Empowering women on natural resources. She was honored by our Union President Ms Jarjum Ete and was also honored with other community women who too were honored for their contribution in the struggle for control of natural resources.
Both of our community women leaders became very emotional after they received such an honor. They were even more emotional as they never met Bharatidi and through these programmes only came to know regarding her contribution in the forest rights movement.
APPEAL TO DONATE IN THE FELLOWSHIP PROGRAMME
This programme has brought a lot of strength to the union's activity and has built up an atmosphere where community women are feeling confident that they can surely take up the state and the national level leadership. This programme needs to be strengthened in the future also. We need to support more such women who are struggling at the grass roots without any support. The fellowship amount is not sufficient to reach to many such women. We started this programme when our union is passing through a severe financial crisis but it was a commitment to our departed leader and hence union felt that it was the right time to start this programme otherwise the money will be spent in other purposes. Our union members from villages have taken resolution that they will contribute in this fellowship amount.
IT IS OUR APPEAL TO ALL LIKE MINDED PEOPLE, FRIENDS, COLLEAGUES, TO DONATE IN THIS FELLOWSHIP FUND SO THAT MORE COMMUNITY WOMEN LEADERS COULD BENEFIT OUT OF THIS PROGRAMME.FOR ANY SUCH KIND OF HELP YOU COULD GET IN TOUCH WITH OUR UNION PRESIDENT JARJUM ETE (jarjum@gmail.com) or Roma malik (romasnb@gmail.com, 09415233583)
Below are the pictures of Manisha Solanki and Seeto majhoka receiving the fellowship award.
Roma Malik
Dy Gen Sect
All India Union of Forest Working People
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भारती जी की चौथी पुण्यतिथि 18 जनवरी को महिला शसक्तीकरण केंद्र, भारती सदन, नागल माफ़ी सहारनपुर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी आप सभी सादर आमंत्रित है. 

रोमा       मुन्नीलाल 

18 जनवरी 2015 
भारती राय चैधरी फैलोशिप एक संक्षिप्त परिचय

साथियों,
बेहद ही हर्ष के साथ हमें यह सूचना देते हुए काफी गर्व महसूस हो रहा है कि नवम्बर 2014 से हम हमारी मरहूम महिला साथी भारती जी की याद में एक फैलोशिप की शुरूआत कर पाए हैं। यह फैलोशिप समुदाय की महिलाओं द्वारा महिला हिंसा व अन्य सामाजिक मुददों पर कार्यरत संघर्षशील महिलाओं को उपलब्ध कराना इसका मुख्य उददेश्य है। भारती जी ने वनाधिकार आंदोलन में महिलाओं की भूमिका व उनके प्राकृतिक संसाधनों पर स्वतंत्र अधिकारों को लेकर देश भर में एक लम्बे समय तक संघर्ष किया व अपनी कर्मभूमि सहारनपुर के शिवालिक वनक्षेत्र में 80 के दशक में पहली बार महिलाओं के वनोपज पर स्वतंत्र अधिकारों को बहाल करने का काम किया। 

भारती जी का समुदाय की महिलाओं के साथ एक गहरा रिश्ता था व उनके ज़हन में समुदाय की महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिका में लाने के लिए बहुत गंभीर चिंतन रहा। चूंकि उनका विश्वास था कि, अगर नारी मुक्ति के सपने को साकार करना है, तो वह समुदाय व श्रमिक वर्ग का महिला नेतृत्व ही अपने संघर्ष से साकार कर सकता है। मध्यम वर्ग की महिलाओं के नेतृत्व से उन्हें कम उम्मीद थी, इसलिए उनका ज़्यादा वक्त समुदाय में ही बीतता था व उनको सशक्त करने के लिए भारती जी के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। उन्होंने सहारनपुर में अनुभव के आधार पर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में महिलाओं को संगठित करके वनोपज पर अपना अधिकार स्थापित करने हेतु सांगठनिक प्रक्रिया की शुरूआत की तथा महिला सहकारिता संघ जैसे कार्यक्रम को लेकर नये-नये प्रयोग भी किये थे। इन्ही प्रयासों को बढ़ते हुये आज विभिन्न वनक्षेत्रों में अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के बैनर तले महिलाशक्ति सामुहिक वन व्यवस्था को सफलतापूर्वक चला रहे है, और ये आन्दोलन एक सशक्त महिलाशक्ति के रूप में स्थापित हो रही है। इसिलिए उनके निधन के बाद जो भी उनकी जमा पूंजी थी उसे समाज में संघर्षरत महिला कार्यकर्ताओं को मदद करने का निर्णय हमारी यूनियन ने लिया। यह पूंजी बेहद ही कम है लेकिन इसके पीछे मूल उददेश्य यहीं था कि अगर इस समाज के दबे कुचले समाज से संघर्षशील महिलाओं के लिए यह मदद काफी महत्वपूर्ण होगी और इससे भारती जी के विचारों व संघर्ष को फैलाने का भी एक मौका मिलेगा। चूंकि यह संघर्ष सीधे-सीधे प्राकृतिक संसाधनों की लूट से जुड़ा है जिस पर आम ग़रीब महिलाए अपनी जीविका के लिए निर्भर रहती है। संसाधनों का नियंत्रण ही दरअसल महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा से भी जुड़ता है इसलिए इस बुनियादी मुददे पर काम करने वाली महिलाओं को इस मदद के लिए चुना गया। 

इस वर्ष समुदाय की दो महिला साथियों को इस फैलोशिप के लिए चुना गया। इन महिलाओं का चयन यूनियन द्वारा क्षेत्र में काम करते वक्त किया गया जो कि अकेले ही बिना किसी संगठन या संस्था के समुदाय के ज्वलंत मुददों पर काम कर रही थी। 
यह फैलोशिप नई दिल्ली के भाटी माईन्स के भागीरथ नगर की ओड समुदाय से जनजाति सदस्य की महिला सीतो मजोका व गुजरात के छोटा उदयपुर में आदिवासी व दलितों के साथ काम कर रही मनीषा सोलंकी को यूनियन की सभा में हमारे अध्यक्ष जारजूम ऐटे व कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय गर्ग द्वारा सम्मानित किया गया। 

सीतो माजोका
 
सीतो माजोका ओड घुमंतु जनजाति की प्रतिनिधी बहादुर श्रमजीवी महिला हैं। ओड समुदाय के लोग आदिकाल से मिट्टी-पत्थर की खुदाई-निकासी (बेलदारी) के माहिर रहे हैं। पहले ज़माने में वे ही लोग जल प्रवाह प्रबंधन करने वाले ‘सिविल इंजीनियर’ माने जाते थे, जो अनगिनत तालाब, कुॅए, नहर, बांध आदि बिना मशीनों के बनाते थे। आज भी बड़े-बड़े शहरों में विशाल इमारतों का बेसमेंट खोदने, सड़कों के नीचे इंटरनेट के केबल बिछाने और मैट्रो रेल के लिए खुदाई व लाईन बिछाने का कठिन काम ओड ही करते आए हैं। उनका जीवन लगातार खानाबदोशी में गुज़रता रहा। कहीं भी ज़मीन का मालिकाना हक़ नहीं मिला, जहां वे अपना गाॅव बसा सकें। सीतो एक ऐसे अस्थायी मज़दूरी करने वाले ख़ानाबदोश परिवार से है।

सीतो की अगुआई में संगठन की महिलाओं ने गांव के दोनों विद्यालयों (प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक) पर अनेक बार दख़ल दिया और ज़ोरदार तरीक़े से अपनी नाराज़गी जताई। वहां न तो बच्चों की शिक्षा का उचित माहौल है और न ही शिक्षक जरूरत के मुताबिक उपलब्ध हैं। उनके दख़ल के नतीजे में नए शिक्षकों की नियुक्तियां हुईं और शिक्षण कार्य सुचारू हुआ। वर्तमान में सीतो दिल्ली के अरावली पहाडी़ क्षेत्र में ‘भाटी माईन्स’ जो एक वन सेन्चुरी हैं के अन्दर भागीरथ नगर की निवासी हैं, वह अपने गांव की महिला मजदूरों को संगठित करने और बालिकाओं की शिक्षा के अधिकार के लिए संघर्षरत हैं। उनका जीवन और व्यक्त्वि दोनों हम सब के लिए प्रेरणादायी है। 
 
मनीषा सोलंकी 

मनीषा सोलंकी का जन्म गुजरात के एक छोटे गांव मंे हुआ। दलित समुदाय मे पैदा होना ही संघर्ष की शुरुआत होती है माताजी के दूसरे विवाह के साथ अपने निजी शौक और सपनांे को मारते हुए दसवी कक्षा के बाद आगे पढ़ नही पाई और उनका ब्याह करवा दिया गया। पहले गंाव मे पैदा होना फिर शहर में परवरिश और फिर गांव मे विवाह। उनके ससुराली गंाव मे शूद्रों के पानी का कुआं सूख गया और जो दूसरा कुआं था वहा से शूद्वों को इजाजत नहीं थी कि वह पानी भरे। मनीषा ने गांव में महिलाओं को सगंठित कर संघर्ष करते हुए कानून को तोड़ा और कुॅए से पानी भरने का काम ज़ारी रखा। गरीब परिवार, सास और पति का दबाव और कमाने वाला कोई नहीं, मनीषा मजदूरी से परिवार चलाती। परिवार मे झगडे़ बढते गये तो इन्होंने एन.जी.ओ. के साथ जुडकर काम किया परन्तु समाजिक बदलाव इनका लक्ष्य बन चुका था जिसके चलते उन्होंने घर पर रहकर ही लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। सरपंच के चुनाव में जीत हासिल कर लोकहित के काम किये। बेटा एवं बेटी की परवरिश के बीच पारिवारिक झगडा कोर्ट में बदला और उन्हे तलाक लेना पड़ा, जीवन के काफी कठीन दिन थे, इन्हांेने नारी संरक्षण गृह मे बतौर आया का कार्य शुरू किया, बढ़ती महंगाई मंे वह संघर्ष कर रही थी, युवाओं-बच्चों-महिलाओं पर काम करने वाले संगठन के साथ जुडकर जिला छोटा उदयपुर मंे आदिवासी किसान संघर्ष मोर्चा को खड़ा करने मे अहम भूमिका निभाई। जिसमें आज वह बतौर संयोजक के रूप में कार्यरत होकर अपने नेतृत्व को मजबूत बनाने में सक्षम हैं। 

गौर तलब है कि इस कार्यक्रम के तहत हमारी दोनों ही सशक्त महिला साथियों द्वारा काफी उत्साहवर्धन हुआ जिसके चलते उन्होंने अपने क्षेत्रों में काफी मजबूत महिला समूहों का निर्माण किया हैं। इन्हें अपने समुदाय की महिलाओं का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। फैलोशिप की यह सहायता फिलहाल तो एक वर्ष के लिए है लेकिन इस कार्यक्रम का अवलोकन कर आगे की रणनीति बनानी होगी। यूनियन द्वारा यह भी सोचा गया है कि फैलोशिप के इस कार्यक्रम को नए क्षेत्रों में ले जाना है जिससे महिला आंदोलन को वनक्षेत्र में विस्तार दिया जा सकें। 

अपील
इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए काफी साथीयों, संगठनों की मदद की जरूरत है। हमें ऐसे कई महिला साथी खास तौर पर दलित व आदिवासी को चिन्हित करना है जो कि महिला हिंसा व जल-जंगल-जमंीन के सवाल पर संघर्ष कर रही है। इसके लिए हमें फैलाशिप की राशि में योगदान करना होगा या फिर इसे इक्टठा करना होगा। 
इस कार्यक्रम के लिए बहुत सारे सुझावों व तमाम साथियों के मार्गदर्शन की आवश्यकता है। इसलिए 18 जनवरी 2015 को भारती जी की पुण्यतिथि पर हम उन्हें याद करते हुए इस कार्यक्रम को किस प्रकार से और भी सशक्त बनाना है इस पर चर्चा करेगें। 

महिला शक्ति जिन्दाबाद


रोमा
उपमहासचिव 
अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन

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