Saturday, June 21, 2014

16 जून 2014
बलात्कारी कलवंत अग्रवाल गिरफ्तार,
महिला संगठन की ऐतिहासिक जीत


साथीयों, आज सुबह ही पुलीस अधीक्षक सोनभद्र श्री रामबहादुर यादव ने फोन पर यूनियन की उपमहासचिव सुश्री रोमा को फोन कर यह सूचित किया कि कलवंत अग्रवाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। लेकिन ख़बर को और भी पुख़्ता करने के लिए संगठन के अधिवक्ता श्री विनोद पाठक द्वारा स्वंय सोनभद्र कचहरी से जानकारी ली गई व पता चला कि आरोपी बलात्कारी द्वारा शनिवार 14 जून 2014 को स्वंय जमानत की अर्जी सीजेएम न्यायालय में पेश की गई लेकिन उसकी जमानत तुरंत खारिज कर दी गई व न्यायाधीश द्वारा उसे जेल भेज दिया गया। बलात्कारी कलंवत अग्रवाल की गिरफ्तारी निश्चित रूप से महिला आंदोलन की एक बड़ी जीत है जो कि पिछले पांच वर्ष से अपने रसूख और पैसे की वजह से बचता चला आ रहा था। यह आंदोलन उसी वक्त चलाया जा रहा था जब उ0प्र0 में महिला ंिहसा को लेकर हाहाकार मचा हुआ है व बहुचर्चित बदायूं में दो बहनों को बलात्कार के पश्चात पेड़ पर लटकाए जाने वाले में राजनैतिक पार्टीयां द्वारा काफी रोटियां सेकी जा रही है। लेकिन पूरे देश व प्रदेश महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों की रोकथाम के लिए इन राजनैतिक दलों के पास कोई ठोस कार्यक्रम नहीं है और न ही आंदोलन करने की कोई रणनीति है। जब महिलाए बलात्कारी को गिरफ्तार करने के लिए थाना चोपन को पांच दिन से घेरे हुई थी उस वक़्त एक भी राजनैतिक दल का नेता, विधायक या सांसद इन महिलाओं से मिलने के लिए नहीं आया व न ही किसी ने दलित महिला के मुददे का समर्थन किया। यहां तक कि पत्रकार व किसी भी अन्य प्रबुद्ध ताकतें भी इस मसहले पर सामने नहीं आई सिवाय दैनिक जागरण द्वारा 7 जून को एक छोटी सी रिपोर्ट प्रकाशन के। यह लड़ाई केवल समुदाय की महिलाओं ने अपने बलबूते लड़ी व जीती। यहीं नहीं इस थाना घेराव के मौके पर महिलाओं ने पुलिस व स्थानीय दबंगों द्वारा किए जा रहे अन्य अत्याचारों का भी हिसाब किताब चुकता किया। संगठन से जुड़ी महिलाओं जिले में वनाधिकारों व भूमि अधिकार के सवाल पर काफी आंदोलन लड़ रही है। थाना चोपन के ही अंतर्गत गुर्दा गांव के आदिवासीयों का एक ट्रेक्टर वनविभाग द्वारा एक महीना पहले चुनाव के दौरान जब्त कर लिया गया था व वनाधिकार कानून आने के बावजूद भी आदिवासीयों पर वनविभाग द्वारा अत्याचार ज़ारी था। इस मामले को भी महिलाओं ने थाना घेराव के समय उठाया व पुलिस पर दबाव बनाया कि आदिवासीयों के ट्रेक्टर को बिना शर्त रिहा किया जाए। इस आंदोलन का काफी असर पड़ा व आदिवासीयों के ट्रेक्टर को वनविभाग द्वारा वापिस कर दिया गया है।

महिलाओं ने यह दिखा दिया कि वे अपने बलबूते ही न्याय लेने के लिए सक्षम है अगर वो संगठित है तो। इसलिए महिला ंिहसा से लड़ने के लिए महिलाओं की एकता व महिला संगठनों को बनाना बेहद ही जरूरी है।

बलात्कार कांड की रिपोर्ट विस्तृत रूप से नीचे दी गई है।

रोमा
उपमहासचिव
अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन

15 जून 2014

बलात्कारी कलवंत अग्रवाल को वारंट होने के बावज़ूद जनपद सोनभद्र, उत्तरप्रदेश थाना चोपन द्वारा गिरफ्तार न करने व सोनभद्र पुलिस द्वारा बलात्कारी को संरक्षण देने के विरोध में महिलाओं द्वारा थाना चोपन का घेराव, तीन दिन की मोहलत के साथ धरना पुनः अनिश्चितकालीन ज़ारी रखने के लिए ऐलान।

जनपद सोनभद्र के ग्राम बाड़ी, थाना चोपन के अवैध खनन क्रशर मालिक कलवंत अग्रवाल द्वारा सन् 2008 में ग्राम बाड़ी की एक दलित महिला का बलात्कार किया गया, जिसके तहत बलात्कारी पर धारा 376 व एसटी एससी की धारा 3(1) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। पिछले वर्ष आरोपी ने माननीय उच्च न्यायालय को गुमराह कर इस वारंट के खिलाफ़ स्टे आर्डर ले लिया था। जो कि केवल तीन सप्ताह के लिए मिला था। जिसकी अवधि नवम्बर 2013 में समाप्त हो चुकी है। आरोपी ने वारंट के तथ्यों को माननीय उच्च न्यायालय से छुपा कर स्टे ले लिया व स्थानीय थाने से ही सांठ-गांठ करके इस स्टे के माध्यम से बचता रहा। इस स्टे आर्डर की कापी सत्र न्यायालय सोनभद्र सीजेएम कोर्ट में पेश नहीं की गई, क्योंकि वहां उसका झूठ बेनकाब हो जाता। इस मामले में यह साफ है कि थाना चोपन के पुलिस कर्मियों व बलात्कारी के बीच मोटी रकम का लेन-देन हुआ है। यह तथ्य जांच का विषय है। अपने रसूख़ और पैसे के बल पर पुलिस पर अपनी धाक जमा कर कलवंत अग्रवाल द्वारा आए दिन पीडि़त दलित महिला को तरह-तरह से प्रताडि़त करना व उसकी नौजवान बच्चियों के साथ भी बलात्कार की धमकियां दी जाने लगीं। इस सब से दुखी होकर प्रताडि़त महिला द्वारा स्थानीय संगठन ‘‘कैमूर क्षेत्र महिला मज़दूर किसान संघर्ष समिति’’ की मदद से 6 जून 2014 को सैंकड़ों की संख्या में दलित आदिवासी महिलाओं को लेकर थाना चोपन का घेराव कर बलात्कारी को गिरफ्तार करने की मांग की। इस पर चोपन थानाध्यक्ष अशोक यादव ने यह दलील दी कि आरोपी द्वारा हाई कोर्ट से स्टे ले लिया गया है। जब संगठन की महिलाओं ने स्टे आर्डर की कापी मांगी तो थानाध्यक्ष अशोक यादव कापी का उपलब्ध कराने में नाकामयाब रहे व जब महिलाए जमी रहीं तो अंततः उनके द्वारा कोर्ट से ही सारे तथ्यों की जानकारी ले कर महिलाओं से वार्ता की गई। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि बलात्कारी द्वारा कोर्ट से तथ्यों को छुपा कर वांरट होने के बावजूद भी स्टे ले लिया गया व इस स्टे की अवधि पिछले वर्ष नवम्बर में ही समाप्त हो चुकी है। अब नया वारंट कोर्ट के माध्यम से करवाना पड़ेगा। जब थानाध्यक्ष पीडि़त महिला को वारंट कराने के लिए कहने लगे तब महिला अधिवक्ता रोमा ने कहा कि यह काम अब पीडि़ता का नहीं है, अब वारंट लाने का काम प्रोसीक्यूशन का है व हर हालत में एक दिन के अंदर स्वयं थानाध्यक्ष को कोर्ट जा कर बलात्कारी के खिलाफ वारंट ईश्यू कराना होगा। महिला संगठन के दबाव के चलते 7 जून 2014 को थानाध्यक्ष स्वंय सी0जे0एम कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए जिसमें दलित महिला व उनके वकील भी मौजूद थे। सी0जे0एम कोर्ट द्वारा मामले की गंभीरता को भांपते हुए फौरन बलात्कारी के खिलाफ वारंट आर्डर दिया गया व थानाध्यक्ष को उक्त बलात्कारी को तत्काल गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए। लेकिन

जिले के पुलिस अधीक्षक व थानाध्यक्ष द्वारा इस मामले में अभी भी हीला हवाली की जा रही है व बलात्कारी को पूर्ण रूप से संरक्षण दिया जा रहा है। उसे भागने का पूरा मौका दिया गया। इस पर जब 9 जून 2014 से महिलाओं ने थाना चोपन पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया तो थानाध्यक्ष थाना छोड़ कर ही भाग गए। थाना चोपन के डाला चैकी इंचार्ज द्वारा महिलाओं से मिन्नतें की जाने लगीं कि उन्हें कुछ दिन की मोहलत दी जाए बलात्कारी को गिरफ्तार करने के लिए। महिलाओं ने नहीं माना तो 11 जून की रात करीब 12 बजे उपजिलाधिकारी व थाना विण्डमगंज के थानाध्यक्ष नरेन्द्र यादव द्वारा महिलाओं से वार्ता की गई। महिलाओं ने उन्हें दो टूक जवाब दिया कि जब तक बलात्कारी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा तब तक वे थाने से अपना धरना नहीं उठाएंगी। इस धरने से सोनभद्र की तमाम पुलिस सक़ते में आ गई व आला अफसरों तक में हलचल मच गईं। 12 जून को पुनः महिलाओं और पुलिस की वार्ता शुरू हुई, इस दौरान पुलिस कर्मियों द्वारा नाना प्रकार का लालच महिलाओं को दिया जाने लगा कि उनको पैसा दिया जाएगा, साड़ी दी जाएगी, उनको खाना खिलाया जाएगा आदि लेकिन महिलाएं अपनी बात पर अडिग रहीं। आखिर शाम 7 बजे उपजिलाधिकारी राबर्ट्सगंज द्वारा स्वंय आकर महिलाओं को आश्वासन दिया गया कि बलात्कारी को 3 दिन के अंदर ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। राजकुमारी, हुलसी, बबनी, सोकालो, रमाशंकर व अन्य महिलाओं की अगुवाई में महिलाओं ने उपजिलाधिकारी से इस आश्वासन को लिखित रूप में मांगा। जिस पर उपजिलाधिकारी व थानाध्यक्ष विण्डमगंज से हस्ताक्षर सहित प्रमाण स्वरूप अपने पास रखा। महिलाओं ने थानाध्यक्ष विन्ढमगंज की उपस्थिति पर भी काफी नाराज़गी दिखाई व उसे यह कहा कि यह थाना चोपन का मामला है जो कि उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है और अगर वो बलात्कारी को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी ले रहे हैं तो थाना विढ़ण्मगंज से स्तीफा दें और थाना चोपन में कार्यभार को संभाले। हांलाकि महिलाओं को इस बात का भरोसा नहीं था कि पुलिस बलात्कारी को गिरफ्तार करेगी, लेकिन तब भी अपने संगठन ‘‘कैमूर क्षेत्र महिला मज़दूर किसान संघर्ष समिति’’ व ‘‘अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन’’ के माध्यम से तीन दिन की मोहलत पुलिस को दी गई। इस आश्वासन पर महिलाओं ने धरने को तीन दिन के लिए समाप्त किया। एक दिन बीत जाने के बाद 13 जून को सांय थानाध्यक्ष नरेन्द्र यादव विंढमगंज द्वारा महिला कार्यकर्ता राजकुमारी को फोन पर झूठी खबर दी गई कि, बलात्कारी कलवंत अग्रवाल गिरफ्तार हो चुका है व अब उन्हें आगे आंदोलन करने की ज़रूरत नहीं है। इस तथ्य की सच्चाई को पता लगाने के लिए महिलाओं द्वारा कुछ अधिवक्ताओं व पत्रकारों से जानकारी ली गई तो पता चला कि यह खबर झूठी है। इस पर महिलाओं में काफी रोष है व उन्हें यह महसूस हो रहा है कि उनके साथ मज़ाक कर बलात्कारी कलवंत अग्रवाल को बचाया जा रहा है व महिलाओं को बेवकूफ बनाया जा रहा है। इस सब से सख्त नाराज़ महिलाओं ने 16 जून से पुनः अपने आंदोलन की शुरूआत करने की रणनीति बनाई है।

पुलिस अधीक्षक सोनभद्र द्वारा स्वयं बार बार यहीं कहा जा रहा है कि आरोपी के पास हाई कोर्ट का स्टे है व तथ्यों की जांच करना होगा। उन्हें किसी कानूनी प्रक्रिया के कानून सम्मत तथ्यों के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है। इन हालात् से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जनपद सोनभद्र के आला पुलिस अधिकारी भी बलात्कारी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। यह बात साफ ज़ाहिर हो रही है कि इस मामले में पुलिस फंसती नज़र आ रही है व अपने को बचाने के लिए रास्ते तलाश रही है। व महिला संगठन के इस आंदोलन से आंशकित है इसलिए आला अफसरों द्वारा संगठन के वरिष्ठ महिला कार्यकताओं को धमकी तक दी जा रही है कि अगर धरना समाप्त नहीं किया गया तो महिला कार्यकताओं के खिलाफ भी वारंट निकाले जाएगें। इस वार्ता की आडियो रिर्काडिंग महिला कार्यकर्ता के पास उपलब्ध है। इस पूरे घटना क्रम से यह बात साफ निकल कर सामने आ रही है कि उत्तरप्रदेश में बावजूद इसके कि सरकार द्वारा निंरतर इन घटनाओं को तत्काल संज्ञान में लेकर कार्यवाही करने के निर्देशांे को पुलिस अधिकारीयों द्वारा ताक पर रखा जा रहा है, व पुलिस द्वारा एक अराजकता की स्थिति उत्पन्न करने की कोशिश की जा रही है।

दलित महिला के साथ बलात्कार करने की पृष्ठभूमि बलात्कारी कलंवत अग्रवाल द्वारा दलित महिला की ज़मीन हथियाने से जुड़ी है। उसकी भूमि को हथियाने के लिए यह बलात्कारी उसे तरह तरह से प्रताडि़त करते चला आ रहा है। उक्त दलित महिला की भूमि चोपन-डाला मुख्य मार्ग पर ठीक वैष्णो देवी मंदिर के बगल में स्थित है। दलित महिला के पति को 2008 में झूठे आरोप में कलवंत अग्रवाल द्वारा फंसा कर जेल भेज दिया गया व इस वहशी दरिंदे ने मौका पा कर घर में घुस कर दलित महिला का बलात्कार किया। महिला ने तमाम प्रताड़ना सहने के बावजूद भी हार नहीं मानी व अदालत में 156 (3) के तहत बलात्कारी पर मुकदमा क़ायम किया। इस मुकदमे के क़ायम होने के दो साल बाद मुलजि़म को गैर ज़मानती वरांट ज़ारी हुआ और कुर्की के आदेश भी न्यायालय द्वारा दिए गए। आरोपी को गिरफ्तार न करने के लिए थाना चोपन को शो कास नोटिस तक ज़ारी किया गया, लेकिन पुलिस के संरक्षण व तालमेल के कारण यह बलात्कारी बेख़ौफ घूमता रहा व दलित महिला व उसके परिवार वालों को आए दिन धमकियां देने का काम करता रहा है, कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बलात्कारी द्वारा अपने रसूख़ व पैसे के बल पर स्थानीय थाना पर अपनी गिरफ़तारी पर रोक लगाने के लिए बड़े पैमाने पर पैसे का लेन देन किया गया है। दलित महिला द्वारा पिछले तीन वर्षो से इस बलात्कारी के आंतक से बचने के लिए स्थानीय संगठन कैमूर महिला किसान मज़दूर संघर्ष समिति व अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन से जुड़ कर इस मामले को लड़ा जा रहा है। पिछले वर्ष मार्च में सैंकड़ों दलित आदिवासी महिलाओं द्वारा थाना के समीप ही सोन नदी के किनारे थानाध्यक्ष अशोक यादव को इस मस्अले पर बड़ी जनसभा में बुला कर बलात्कारी को गिरफ्तार करने के लिए निवेदन किया था व ऐसे कई आवेदन जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को दिए गए। उसे गिरफ्तार करने के बजाय पुलिस द्वारा उसे बचाने के लिए गैरकानूनी रूप से संरक्षण दिया गया व यहां तक बलात्कारी द्वारा जो न्यायालय को गुमराह किया गया, उसमें भी सोनभद्र की पुलिस द्वारा मदद की गई। तत्पश्चात् दिसम्बर 2013 में दलित महिला के साथ यूनियन के महिला प्रतिनिधिमंडल द्वारा दिल्ली में अनूसूचित जाति व जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री पी0एल पुनिया से मिल कर इस मामले पर कार्यवाही करने की मांग की थी। जिन्होंने इस मामले को लेकर उ0प्र0 सरकार व जिलाधिकारी को एक पत्र भी लिखा था। लेकिन आयोग की इस जांच को भी स्थानीय अधिकारियों द्वारा दबा दिया गया। इस मामले में दलित महिला की मदद करने वाली यूनियन व संगठन द्वारा उच्च न्यायालय में आरोपी व सोनभद्र की पुलिस की सांठ-गांठ को सही तथ्यों के साथ अवगत कराएगी व माननीय मुख्य न्यायाधीश को इस मामले में अलग से लिखेगी। साथ ही इस मामले में उ0प्र0 के मुख्य मंत्री श्री अखिलेश यादव को भी फैक्स कर अवगत कराएगी।

रोमा
उपमहासचिव
अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन