Monday, January 12, 2015





रिपोर्ट
सामूहिकता, सहकारिता और यूनियन एकता - प्राकृतिक संसाधनों पर वनश्रमजीवी महिलाओं का सशिक्तकरण
11-12 नवम्बर 2014, भारती सदन, नागल माफी, सहारनपुर, उ0प्र0




भारती राय चैधरी के 61वें जन्म दिवस पर अखिल भारतीय वनश्रमजीवी यूनियन द्वारा वनाश्रित समुदाय के महिला नेतृत्व के लिए लघुवनोपज पर सहकारिता आंदोलन को बनाने के लिए दो दिवसीय जन शिक्षण कार्यक्रम सहारनपुर वनक्षेत्र में स्थित भारती सदन, नागल में आयोजित किया गया। इस जनशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य समुदाय की महिलाओं को यूनियन की शक्ति से संगठित कर लघुवनोपज पर सहकारी संघ बनाने का था जिससे कि वे आर्थिक व राजनैतिक रूप से सशक्त हो सकें। दूसरा उददेश्य समुदाय के महिला नेतृत्व को ‘‘ भारती फैलोशिप’’ से सम्मानित करना था।

इस कार्यक्रम में लगभग 250 साथीयों ने भाग लिया जिसमें अधिकांश महिलाए शामिल थी। यह साथी विभिन्न राज्यों से यहां पहुंचे थे जैसे उत्तराखंड़, मध्यप्रदेश, झाड़खंड़, उ0प्र0, बिहार, ओडिशा, दिल्ली आदि।

कार्यक्रम की शुरूआत दिवंगत महिला साथी भारतीदी की नागल माफी स्थित महिला सशिक्तकरण केन्द्र ‘‘ भारती सदन’’ में पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर यूनियन की अध्यक्ष जारजूम ऐटे, कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय गर्ग, महासचिव अशोक चैधरी, उपमहासचिव रोमा, कोषाध्यक्ष श्री के0एन तिवारी, संगठन सचिव श्री मुन्नीलाल के साथ साथ यूनियन के कार्यकारिणी के बहुत सारे सदस्य रजनीश, मातादयाल, सोकालो गोंण, श्यामलाल पासवान,  लालती पासवान, फूलबासी, नबादा राणा, फूलमती राणा, रामचंद्र राणा, रामपाल, कमला खरवार, माया आदि मौजूद थे। इसके साथ इस मौक पर कई सहयोगी संगठन ओडिशा से वसुंधरा, दिल्ली से दिल्ली फारम, प्रोग्राम फार सोशल एक्शन, एक्शन इंडि़या, सबला संघ व दिल्ली भाटी माईंस के महत्वपूर्ण साथी शामिल थे।




उदघाटन सत्र दोपहर से शुरू हो पाया। इस सत्र में शिवालिक वनक्षेत्र व आसपास के कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। इस सत्र का संचालन बेहट कस्बे के वरिष्ठ यूनियन के साथी महबूब भाई द्वारा किया गया जिन्होंने अपने शायराना अंदाज में इस सत्र को काफी वजनदार बना दिया। यूनियन के पदाधिकारीयों, स्थानीय क्षेत्र के पुराने साथीयों जैसे चाणू राम, काज़मी साहब व अतिथि संगठन वसुंधरा के पुष्पांजलि ने भारतीजी को श्रद्धांजलि देते हुए वनाधिकार एवं संगठन को मजबूत करने के लिए महिलाओं के सशक्तिकरण पर अपने विचार रखे।



इस कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य था -
1. वनक्षेत्र में महिला सहकारी समितियों के निर्माण के लिए जानकारी उपलब्ध कराना
2. वनक्षेत्र में महिलाओं को संगठित करना व यूनियन से जोड़ना
3. वनक्षेत्र में कई राजनैतिक-आर्थिक कार्यक्रमों के ज़रिये महिला नेतृत्व को विकसित करना जिससे वे पितृसत्ता, सांमतशाही व अंतराष्ट्रीय पूंजीवाद को चुनौती दे सके ।

इस कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य जनशिक्षण कार्यक्रम के ज़रिये इन उल्लेखित कार्यक्रमों की मुहिम चला कर आमजन मानस में सहकारी आंदोलन को विकसित करना था। इसलिए इस कार्यक्रम को भारतीजी के जन्मदिवस पर आयोजित किया गया था, चूंकि वंचित समुदाय अपने प्रतीकों के सहारे अपने आंदोलनों को चलाने की हिम्मत पैदा करते हैं। हमारा अनुभव यह बताता है कि आम जनसमुदाय किसी भी नये कार्यक्रम को अपनी समझदारी व आंदोलन से विकसित करते हैं तो वह स्थायी होते है लेकिन अगर सहकारी समितियों का निर्माण उपर से थोपी जाए तो वह अंततः निहित स्वार्थों के हाथों में ही चले जाते हैं। यह कार्यक्रम एक श्रंखला के तहत आयोजित किया जा रहा है जिसमें वनक्षेत्र के अंदर वनाश्रित समुदाय को नए संस्थानों को विकसित कर अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए लूट की संस्थाओं जैसे वनविभाग व वननिगम को समाप्त करना है जो कि वनसम्पदा की अरबों की सम्पति पर कुंड़ली मारे बैठा है। इस लिए यह जरूरी है कि इन नए संस्थानों को बनाने के लिए आम जन बुनियादी रूप से तैयार हों व पूरी अवधाराणा को आत्मसात करे तभी नए संस्थानों को बनाया जा सकता है। दो दिन के इस कार्यक्रम ने ग्रामीण क्षेत्रों व वनक्षेत्रों से आए सभी साथाीयों के अंदर काफी उत्साह पैदा किया व दो दिनों की गहन चर्चा के बाद कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को विकसित किया गया। यह बात तो उनमें घर कर गई है कि इन संस्थानों को उन्हीें को ही पहल कर के विकसित करना है जिसके लिए उन्हें तमाम तरह के संगठनों चाहे वो सामाजिक आंदोलन हों, जनसंगठन, श्रमिक संगठन, या सरकारी संस्थान व प्रशासन व शासन हो की मदद की आवश्यकता पड़ेगी।

उदघाटन सत्र में समुदाय की दस महिला नेतृत्व को अध्यक्ष जारजूम ऐटे व कार्यकारी अध्यक्ष श्री संजय गर्ग द्वारा शाल भेंट कर सम्मानित किया गया। अगले दिन भी दस अन्य महिला नेतृत्व को भारती राय के पोस्टर देकर सम्मानित किया गया।

जिन साथीयों को सम्मानित किया गया वे हैं -
1. सोकालो गोंण, सोनभद्र, उ0प्र0
2. कमला खरवार, कैमूर बिहार
3. नबादा राणा, पलिया खीरी, उ0प्र0
4. अनवरी, बुग्गावाला, हरिद्वार, उत्तराखंड़
5. धनपति, चन्दौली, उ0प्र0
6. फूलबासी, सोनभद्र,उ0प्र0
7. सबीना, दिलावरनगर, खीरी, उ0प्र0
8. फातिमाबी, बहराइच, उ0प्र0
9. शिवकुमारी, मानिकपुर,उ0प्र0
10. फूलमति, पलिया खीरी,उ0प्र0
11. राजकुमारी, मिर्जापुर,उ0प्र.
12. शिमला, हरिद्वार, उत्तराखंड़
13. विमला, बुग्गावाला, हरिद्वार, उत्तराखंड़
14. राजकुमारी, सोनभद्र,उ0प्र0
15. शकुन्तला, बहराइच,उ0प्र.
16. लालतीपासवान, सोनभद्र,उ0प्र0
17. माया, दिलावरनगर, उ0प्र0
18. रूकमा राणा, पलिया खीरी, उ0प्र0
19. राजकली, म0प्र0
20. शिवकुमारी, उ0प्र0







भारती फैलोशिप कार्यक्रम की शुरूआत दिल्ली के भाटी माईन्स से

भारती फैलोशिप कार्यक्रम की शुरूआत भारतीजी के निधन के बाद से शुरू करने की योजना थी लेकिन काफी आर्थिक दिक्कतों के कारण यह कार्यक्रम शुरू नहीं हो पाया। भारतीजी अपने जीवनकाल की जमा पूंजी को समुदाय की महिलाओं को समर्पित करके गई थी उनकी सोच थी कि समुदाय की महिलाए जो हिंसा व अन्याय के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं उन्हें आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से मदद की जाए ताकि वे एक सशक्त नेतृत्व के रूप में उभर कर आए। पहली भारती फैलाशिप सीतो मजोका को अध्यक्ष जारजूम ऐटे एवं कार्यकारी अध्यक्ष संजय गर्ग द्वारा प्रदान की गई। सीतो भाटी माईन्स में स्थित असोला अभयारण्य में आने वाले गांव भागीरथ की निवासी से जो कि ओड घुमन्तु जनजाति समुदाय से है। सीतो मजोका को एक फैलोशिप प्रशिस्त पत्र व शाल भेंट कर सम्मानित किया गया।


 

अगले दिन 12 नवम्बर 2014 को जनशिक्षण कार्यक्रम के तहत समुदाय द्वारा किए जा रहे सहकारी समितियों के अनुभवों को पहले आपस में बांटा गया। यहां पर यह उल्लेख करना जरूरी है कि उ0प्र0 के कैमूर, बुंदेलखंड़ और तराई क्षेत्रों में वनाश्रित समुदाय द्वारा हज़ारों एकड़ भूमि पर पुर्नदख़ल महिलाओं के नेतृत्व में किया गया है जोकि उनकी सामुहिक नियंत्रण में है। इन सामुहिक भूमि पर समुदाय द्वारा कई प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं जिसमें सामुहिक खेती, फलदार व औषिधिय वृक्षारोपण, स्कूलों का निर्माण, समुदाय द्वारा तैयार की जा रही वानिकी, लघुवनोपज पर सहकारी समितियों का निर्माण, जड़ी बूटीयों की खेती आदि। जंगल व वनभूमि के इस दख़ल ने समुदाय को उपनिवेशिक वनविभाग के हमलों व अन्यायों से लड़ने की ताकत भी प्रदान की। इस संदर्भ में सोनभद्र, अधौरा, मानिकपुर, चन्दौली, लखीमपुर खीरी से आए महिला नेतृत्व ने अपने अनुभवों को साझा इन मुददों को केन्द्र बिन्दु बनाया -

- वनों एवं वनभूमि पर पुर्नदख़ल
- दख़ल की गई भूमि पर सहकारी समितियों का निर्माण
- सामूहिक खेती
- यूनियन का निर्माण
- लघुवनोपज पर समुदाय द्वारा सहकारी समितियों का निर्माण
- महिला पंचायतों का गठन

मातादयाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उनकी पूर्वजों की भूमि को पूरे समुदाय ने मिलकर सांमतों व उच्च जाति से वापिस छीना जिस पर वे सहकारी समिति बना कर कब्ज़ा किए बैठे थे। और इस तरह से आदिवासीयों एवं दलितों ने उच्च जाति सांमती पुलिस वनविभाग गठजोड़ के दमन का मुकाबला किया और उन्हें पीछे हटाया। भूमि पर पुर्नदख़ल करने से समुदाय में काफी उर्जा का संचार हुआ। मानिकपुर के जंगलों में आवंला खूब मात्रा में होता है। आज से दस साल पहले भारतीजी द्वारा हमारी महिलाओं को 10000 रू का लोन उपलब्ध कराया गया, उस पैसे से यहां की महिलाओं ने आंवला के उपर सहकारी समिति बनाई जिसमें आंवला से अमरेठी बना कर बाज़ार में बेच कर महिलाए पैस कमाने लगी। इस तरह से आज क्षेत्र में लगभग 20 महिला ‘‘ वनजन सहकारी समियिां’’ बन गई है हर समिति में 20 महिलाए सदस्य है व वह अपनी सहकारी समिति अपने ही तरीके से चला रही हैं। उन्होंने कहा कि अब इस वर्ष हम तेंदु पत्ता पर नियंत्रण करेगें व वननिगम को इससे बाहर करेगें। तेंदु पत्ता से वननिगम व वनविभाग एवं माफिया करोड़ों रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन आदिवासी भूखे मर रहे हैं ।

सोकालो गोंण, सोनभद्र ने कहा कि हमें हिंसा व दमन से लड़ने की ताकत वनभूमि के पुर्नदख़ल से मिली और वनविभाग से छीन कर मिली। हमलोगों ने हज़ारों एकड़ भूमि को वनविभाग के कब्ज़े से मुक्त करा लिया है। यह भूमि हमारे सामूहिक नियंत्रण में है जिसपर हम सामुहिक रूप से जंगल व खेती कर रहे हैं। अब जब हमनें अपनी कुछ भूमि को वनविभाग से वापिस पा लिया है इसके बाद हमारी योजना है कि हम लघुवनोपज पर अपना नियंत्रण कायम करेगें। हमारी सरकार हमें वनों पर अधिकार का कानून एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीन रही है। इसलिए कानून के पालन के लिए महिलाओं को बढ़चढ़ कर आगे आना पड़ेगा। इस वर्ष मैंने वनविभाग से तेंदु पत्ता का ठेका लिया, इस तरह से मैं पहली महिला हुं जिसने वनविभाग से यह ठेका लिया। हम ठेके पर काम नहीं करना चाहते बल्कि अपनी यूनियन के तहत सहकारी समिति बना कर काम करना चाहते हैं लेकिन अभी हमारी समिति तैयार नहीं है और इस बीच में कुछ अनुभव हासिल करने के लिए इस वर्ष हमनें ठेके पर लिया। लेकिन अगले वर्ष से हम इस काम को अपनी यूनियन व सहकारी समिति के तहत करेगें। हमनें मातादयाल की मदद से अपनी सहकारी समिति का गठन कर लिया है अगस्त में हम इस लघुवनोपज से अपनी पूरी जीविका चला सकते हैं। अपनी सामूहिक दख़ल वाली भूमि पर हमलोगों ने स्कूल व डिस्पेंसरी भी खोली है जो कि अभी जनता के सहयोग से चल रही है। मेरे बच्चे की मौत हिंड़ालकों के लापरवाह डाक्टरों की वजह से हो गई जिसको खून चढ़ाया जाना था लेकिन नहीं चढ़ाया गया। इसी वजह से हमनें सोचा कि हमारे बच्चों को हम ऐसे मरने नहीं देगें और उनके लिए अपनी मेहनत से अच्छे स्वास्थ की सुविधाओं को उपलब्ध कराएगें यूनियन एवं सहकारी समिति के माध्यम से।

अनवरी, फूलमति, धनपति, फूलबासी,कमला ने भी सहकारी समिति, सामूहिकता व महिला पंचायत के बारे में विस्तार से बात की। सब क्षेत्रों से आई महिला नेतृत्व ने ज़ोरदार तरीके से महिला हिंसा के खिलाफ ठोस कार्यक्रमों को करने की बात कही। महिलाओं ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों पर महिलाओं का सामूहिक नियंत्रण होना क्यों जरूरी है चूंकि यह महिलाओं के लिए एक बड़ा आजीविका का स्रोत है। इसलिए जब महिलाए प्राकृतिक संसाधनों पर अपना नियंत्रण कायम करेगी तो उनपर ज़ाहिर है कई तरह के हमले होगें। इसलिए हर क्षेत्र में महिला पंचायत का गठन होना बेहद जरूरी है। यह महिला पंचायत महिलाओं के खिलाफ व्यापत हिंसा चाहे वो घर में हो रही हो या बाहर हो रही है उससे निपटने के लिए मदद करेगी। सोनभद्र व खीरी की महिला साथीयों ने कहा कि वे अब महिला पंचायत के लिए अलग मिटटी के घर के रूप में आफिस बनाने में लगी हुई है जहां पर महिलाए अपनी मिटिंग खुद करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास आजीविका अर्जित करने के लिए सभी संसाधन हैं लेकिन वो माफिया, ठेकेदारों, सांमतों, पूंजीपति के हाथों में हैं यह सारे संसाधन लघुवनोपज भी हमें उनसे वापिस छीनना है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पूर्वज विलिक्षण बीमारीयों के सभी इलाज जानते थे व उनके पास जड़ी बूटीयों की पूरी जानकारी थी, अभी फिर से हमें उनसब जानकारीयों को पुर्नजीवित करने की जरूरत है ताकि हम अपने स्वास्थ का खुद ध्यान रख सके। हम इन सब जड़ी बूटियों की सूची तैयार करेगें और इन्हें पैदा कर संरक्षित करेगें व अपने समुदाय का इलाज करेगें।





अनिता सोनी भाटी माईन्स से द्वारा ओड घुमन्तु जनजातिय समुदाय के बारे में दिल्ली में स्थित इस समुदाय को असोला अभयारण्य से बेदखली के खिलाफ ज़ारी संघर्ष के बारे में बताते हुए ।

पवित्र मंड़ल सुन्दरबन पं0 बंगाल ने बताया कि सुन्दरबन काफी दुर्गम इलाकों में से एक है जहां पर समुदाय के वनाधिकार व जलाधिकार दोनो ही काफी व्यापत है। यह एक ऐसा इलाका है जो कि तीन दिशाओं से बंग्लादेश से घिरा हुआ है व समुन्द्र की ओर जाने वाली कई नदीयों में कई टापूओं पर यहां के वनाश्रित समुदाय काफी विषम परिस्थियों में रहते हैं जो कि रायल बंगाल बाघ का घर भी है। वनाधिकार कानून को लागू करने की प्रक्रिया पं0 बंगाल सरकार द्वारा अभी तक शुरू नहीं की गई है। सुन्दरबन के जंगल लघुवनोपज से भरपूर है जिसमें शहद प्रमुख है लेकिन यह सब वननिगम के नियंत्रण में है। वनाश्रित समुदाय से वननिगम बेहद ही सस्ते दामों में शहद ले लेते हैं बाज़ार में बेहद ही उंचे दामों में शहद को बेचा जाता है। हम लोग भी चाहते है कि सुन्दरबन में वनाधिकार कानून लागू हो व इस कानून के तहत हम लोग भी सहकारी समितियों का निर्माण करें इसके लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।

राममिलन चित्रकूट ने बताया कि हमनें अपने क्षेत्र में 20 महिला सहकारी समितियों का निर्माध किया हैं। अब हमें वनविभाग व संेचुरी विभाग से किसी भी प्रकार का डर नहीं है हमलोग आवंला, तेंदुपत्ता या लकड़ी बिना किसी रोकटोक के बाज़ार तक ले जाते हैं व अपने भाव से बेच कर आते हैं। स्थानीय बाज़ार में हमारे द्वारा एकत्रित वनोपज के भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। हमारे पास बाज़ार की पहंुच नहीं है व मार्केट का भी कोई अनुभव नहीं है इसके लिए हमें जानकारी व सभी कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

चाणूराम शिवालिक वन सहारनपुर ने कहा कि लघुवनोपज ही हमारी विकास की कुंजी है। हमारे संगठन घाड़ क्षेत्र मज़दूर मोर्चा ने लगभग 30 वर्ष पहले हमने जंगलों में अपने राजनैतिक व श्रम अधिकारों के लिए संघर्ष किया था जिसमें हमनें उत्पादक सहकारी समिति बान उत्पादक समिति भाभड़ घास के उपर बनाई थी। इस घास से रस्सी बनाई जाती हैं। यह काफी सफल अनुभव रहा लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं चल पाया हम लोग यूनियन नहीं बना पाए जिसके चलते यह प्रयास बहुत जल्दी टूट गया। उस वक्त हमारे पास वनाधिकार कानून नहीं था, आज हम अखिल भारतीय वनश्रमजीवी यूनियन को इस कानून को पारित करवाने के लिए बधाई देते हैं। हमारे शिवालिक जंगलों में सैंकड़ों की तादात में वनोपज हैं इसकी हमें अब सूचि बनानी है। हमें यह भी ध्यान देना होगा कि हम कौन से वृक्ष को लगाना चाहते हैं वे जो कि हमारे पर्यावरण के लिए लाभकारी हों। जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण घाड़ में नदीयों का विस्तार काफी हो गया है जिससे हमारी उपजाउ भूमि बंजर होती जा रही है इस मुददे पर भी हमें ध्यान देने की जरूरत है।

पुष्पांजलि, चितंरजन व समुदाय से कोशिल्या बाई उड़ीसा से अपने राज्य में सहकारी समितियों को चलाने के अपने अनुभवों को सभी के साथ साझा किया। यहां पर वसुंधरा संगठन की मदद से समुदाय की महिलाओं ने बहुत सारे लघुवनोपज पर अपनी सहकारी समितियों का गठन किया है जिनमें से प्रमुख हैं काजू, आंवला, हर्रा, बांस, बेल आदि। अपनी सहकारी समितियों के तहत वे इन वनोपज को बाज़ार में बेचते हैं जिससे प्रति सदस्य अच्छी आय हो जाती है।

मुन्नीलाल, देहरादून उत्तराखंड़ ने कहा कि वनाधिकार कानून वनाश्रित समुदाय के लिए एक बहुत बड़ा हथियार है। इस कानून के तहत हम अपने वनों में दख़ल ले सकते हैं इसलिए हमें अपने दावों को डालना होगा। उन्होंने वनग्रामों व टांगीयां ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने के बारे में ज़ोर दिया व आंदोलनरत होने के लिए कहा। वनग्रामों के निवासीयों को आज भी भारत के नागरिक होने का दर्जा प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि वनगूजरेां के दावों को अभी तक आंमत्रित नहीं किया गया है इससे वनों में रहने वाले समुदायों की अपेक्षा हो रही है।

केएन तिवारी यूनियन के कोषाध्यक्ष ने कहा कि यह हम सभी के लिए गौरव की बात है कि इतने बड़े पैमाने पर महिला नेतृत्व को भारती जी की जन्मदिवस पर सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने सीतो मजोका जिन्हें पहला भारती फैलोशिप से सम्मानित किए जाने पर काफी प्रसन्नता जताई जो कि दिल्ली के भाटी माईन्स जैसी कठिन जगह पर संघर्ष कर रही हैं। इस तरह की पहल समुदाय की महिलाओं को बेहद ही सशक्त करेगें। उन्होंने कहा कि सामुदायिक अधिकारों के मुददे पर काम करने के लिए सीतो जैसी अन्य महिलाओं को भी उत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने भारती फैलोशिप को और भी मजबूत करने के लिए धन इक्टठा किए जाने पर ज़ोर दिया और कहा कि इसमें उनके संगठन का पूरा सहयोग रहेगा।

संजय गर्ग द्वारा भारतीजी के जन्मदिवस के मौके पर काफी भावुक होते हुए उन्होंने आयोजकों को सीतो मजोका को भारती फैलोशिप से सम्मानित किए जाने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस फैलाशिप के माध्यम से सीतो भारती के सपने व विचारों को समुदाय में आगे बढ़ाने का काम करेगी। फैलाशिप का दायरा बड़ा करने के लिए एक अपील ज़ारी करनी पड़ेगी ताकि जो हमारे सहयोगी साथी व संगठन इस विचारधारा से जुड़े हुए हैं वे इस में और भी सहयोग कर सकते हैं। इस कार्य से समुदाय की महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है। उन्होंने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने पर ज़ोर दिया। वनाश्रित समुदाय कई जगहों पर वनभूमि पर पुर्नदख़ल का कार्य कर रहे हैं उसके साथ साथ यह भी जरूरी है कि वनों पर अपना स्वामित्व सहकारी आंदोलन से कायम हो ताकि भ्रष्ट वनविभाग व निगम को वनों से बेदख़ल किया जा सके। सहकारी आंदोलन के ज़रिये ही समुदाय बाज़ार के अंदर भी अपनी सौदेबाज़ी को मजबूत कर सकता है। सहकारिता और सामुदयिकता को जब हम मजबूत करने जाएगें तो निहित स्वार्थो द्वारा कई प्रकार के हमले किए जाएगें इसके लिए हमें एक सशक्त यूनियन की भी आवश्यकता है। उन्होंने यूनियन सदस्यता अभियान की धीमी गति पर अपनी चिंता जताई और कहा कि अगर सशक्त यूनियन नहीं बनेगा तो सामुदायिक प्रयासों को ज्यादा देर तक टिका पाना मुश्किल है। हमें उत्पादक सहकारी समितियों का गठन करना है जिसके लिए नीति के स्तर पर भी बेहद काम की आवश्यकता है। इस काम में उन्होंने सरकार की तरफ से जो अड़चने यूनियन या फिर सहकारी समितियों को बनाने में आती है उससे मदद करने का पूर वादा किया।

जारजूम ऐटे, अरूणांचल प्रदेश ने वनाश्रित समुदाय के स्वास्थ व्यवस्था को मजबूत करने पर ज़ोर दिया जोकि जड़ी बूटीयों व समुदाय की हज़ारों साल की परम्परागत औषिधिय जानकारी से जोड़ कर की जा सकती है। सहकारी समितियों में तेंदु पत्ता को इक्टठा और बेचने के उपर उन्होंने चिंता जताई कि इस का इस्तेमाल बीड़ी में किया जाता है जिससे कि काफी स्वास्थ समस्याए पैदा होती है। इसलिए यूनियन को यह भी देखना होगा कि हम इस तरह के कारोबार के बारे में क्या दृष्टिकोण रखते हैं।

रोमा ने सहकारी आंदोलन चलाने के लिए इस संदर्भ में समुदाय के गहन प्रशिक्षण किए जाने पर ज़ो दिया जिसमें समुदाय के नेतृत्वकारी सदस्यों को कानूनी व नीतिगत मसलों पर भी जानकारी उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने बताया कि एन0टी0यू0आई के साथ मिल कर सहकारी आंदोलन के उपर एक दस्तावेज़ तैयार किया जा रहा है जिसका मुख्य केन्द्रबिन्दु होगा वनों के अंदर ढ़ाई सौ साल से जमें उपनिवेशिक वनविभाग व उसकी बहन निगम को वनों से बेदखल कर समुदाय के संस्थानों को विकसित करना।

अशोक चैधरी ने कहा कि हमारा समाज गैरबराबरी व असमानता की बीमारी से जकड़ा हुआ है हमें इसका कारण जानना है कि किस वजह से है? यह गैरबराबरी की जड़ राजसत्ता में निहित है। हमें हमेशा यह याद रखना होगा कि हमरी लड़ाई व संघर्ष गैरबराबरी व असमातना को समाज से समाप्त करने की है। यह एक लम्बी लड़ाई है जिसके बारे में हमें राजनैतिक समझदारी विकसित करनी है जिसमें हमें सरकार व राजसत्ता कैसे चलती है उसे बारीकी से समझना होगा। यह दोनों अलग है एक नहीं है इसकी समझदारी बना कर हमें अपना एक राजनैतिक कार्यक्रम बनाना होगा। राजसत्ता और सरकार द्वारा मिलकर जो चक्कर चला रखा है उसे हमें तोड़ना होगा। जब हम इस चक्कर को तोड़ेगें तभी हमारे मुददे सामने आ पाएगें। हमनें अपने अनुभव से यह देखा कि जहां पर भी समुदाय द्वारा अपनी भूमि पर पुर्नदखल किया जा रहा है वहां पर सांमती व दमनकारी ताकतें पीछे हट रही है। हमें अपने सामुहिक संघर्ष से अपने खेमे को मजबूत करना है। यूनियन शक्ति ही ऐसी एक शक्ति है जो कि इस राजसत्ता के इस चक्कर को चुनौती दे सकती है व इसे तोड़ सकती है। हमें राजसत्ता को चुनौती देने के लिए अपने कार्यक्रम को विकसित करना है व राजनैतिक कार्यक्रम बनाने हैं। यह सरकार हमारे तमाम प्राकृतिक संसाधनों को कम्पनीयों को देना चाहती है जबकि हमारी मांग है कि इन तमाम प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय का समान अधिकार हो जैसे कि हमारे संविधान में अधिसूचित किया गया है। इसी जगह पर हमारा और सरकार या किसी भी सरकार के साथ सीधी टक्कर है, जो भी सरकार सत्तासीन होती है उसके एजेंड़े में जनवादी जगह को समाप्त करना हैं। राजसत्ता व सरकार ने प्राकृतिक संसाधनों पर अपना एकाधिकार जमा लिया है व वे इसे अपनी सम्पति समझते हैं। जितने भी दंगे, फसाद चाहे वो साम्प्रदायिक या फिर जातिगत हों वह इन ससांधनों को नियंत्रण को लेकर ही है। हमें अपने संघर्षो को केन्द्र में लाना होगा जोकि राजसत्ता के विरूद्ध होगा। हमें अपनी ताकत बढ़ा कर इन सरकारों को यह कहना है कि या तो हमें हमारे अधिकार दे दो नहीं तो वापिस जाओ, इस ताकत को हमें बढ़ाना है। हमें सहकारी आंदोलन को बढ़ाना है व सभी सहकारी समितियों को गठित कर उसे अखिल भारतीय संघ मे तब्दील करना है। इस आंदोलन को करने के लिए हमें यूनियन को मजबूत करना होगा और इस यूनियन को देश के हर कोने में ले जाना होगा। हमें हर हफते या महीने में अपनी यूनियन सदस्यता को मजबूत करने के लिए मिटिंग करनी होगी। इसके लिए आने वाले 15 दिसम्बर 2014 को हमें केन्द्र सरकार को चुनौती देने के लिए जंतर मंतर संसद के सामने इकटठा होना है। व वनाधिकार कानून को लागू करने की राजनैतिक इच्छा न दिखाने पर उनसे जवाब लेना है।

भारती फैलोशिप पोस्टर का अनावरण

 
भारती फैलोशिप कार्यक्रम पर तैयार किए गए पोस्टर को यूनियन की अध्यक्ष व समुदाय की महिला नेतृत्व द्वारा अनावरण किया गया।

आगामी कार्यक्रम

भारती फैलोशिप में धनराशि इकटठा करने के लिए एक अपील ज़ारी करना ताकि और भी समुदाय की संघर्षशील महिलाओं को मदद की जा सके।
सहकारी समितियों के उड़ीसा में वसुन्धरा संगठन के सफल प्रयासों को सीखने के लिए महिलाओं के एक दल का दौरा जिसकी तारीख संगठन के साथीयों के बीच बैठ कर तय की जाएगी।
फरवरी 2015 में तीन दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम महिला व समुदाय के नेतृत्वकारी साथीयों की जो कि यूनियन के गठन, सहकारी समितियों के गठन की कानूनी जानकारी व नीतिगत मामलों पर होगी।
यूनियन व सहकारी समिति पर एक दस्तावेज़ एन0टी0यू0आई के साथ मिल कर तैयार करना
15 दिसम्बर 2014 को दिल्ली जंतर मंतर संसद पर जनगोलबंदी
16 दिसम्बर 2014 को यूनियन की राष्ट्रीय समिति की बैठक आगामी कार्यक्रमों को बनाने के लिए








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