Report 15th July 2012
जे0पी ऐसोसिएटस के महानिदेशक सन्नी गौड पर दर्ज हुआ हत्या का मुकदमा
जयप्रकाश ऐसोसिएटस देश में आज प्राकृतिक सम्पदा की लूट के मामले में एक सबसे बड़े कारपोरेट घराने के रूप में जाना जाता है। इसी कम्पनी के महानिदेशक सन्नी गौड़ पर रीवा मध्यप्रदेश में आज से पांच साल पहले की गयी राघवेन्द्र सिंह की हत्या करने का मुकदमा धारा 302 के तहत दर्ज होना संघर्षशील जनता की जीत है। भले ही जेपी समूह इस बात को रीवा में स्थानीय व प्रदेश स्तर पर मीडिया में दबाने में कामयाब हो गया हो, लेकिन वहां पर लड़ने वाले नौजवानों के संगठऩ ने न्यायालय के आदेश को इन्टरनेट के माध्यम से काफी लोगों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इससे यह साबित हुआ है कि कोर्ट के आदेश को अपनी पूंजी की ताकत से दबाने की हिम्मत अभी भी जेपी जैसी लूटेरी कम्पनी में नहीं है। यह संघर्ष नौजवानों का है जो पिछले पांच वर्ष से रीवा में ज़ारी है, जहां जेपी ने अपना सीमेंट प्लांट लगाया हुआ है और जहां वो समझते हैं कि उनकी हुक़ूमत चलती हैै। लेकिन आम जनता ने साहिर लुधियानवी की इन पंक्तियों में ज़ाहिर किए गए इस जज़्बे को साकार करते हुए इस कम्पनी की हुक़ूमत को चुनौती दी है - ‘‘ख़ून फि़र ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा, ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाएगा’’।
रीवा में स्थित नौबस्ता प्लांट को लगाने के लिए बड़े पैमाने पर जे0पी कम्पनी ने किसानों की जमीनों को औने-पौने भावों में तो ले ही लिया गया था, साथ ही प्रत्येक घर में एक व्यक्ति को नौकरी देने का वादा भी किया गया था। लेकिन नौकरी की बात तो दूर इस इलाके में जेपी कम्पनी ने लोगों का सांस लेना तक मुहाल कर दिया। कम्पनी द्वारा की जाने वाली ब्लास्टिंग से फैक्टरी के आस-पास के दस कि0मी के दायरे में सभी मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं, तमाम फसलें बरबाद हो चुकी हैं, भूमि बंजर हो रही है व लोगों को अपनी आजीविका चलाना तक मुश्किल हो रहा है और फैक्टरी के प्रदूषण से सांस लेना तक भारी हो रहा है। जे0पी कम्पनी द्वारा किए जा रहे जीने के अधिकार का उलंघन, पर्यावरण मानकों का उलंघन व कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले लोगों के उत्पीडन के मामलों को जब मध्य प्रदेश की सरकार पूरी तरह से अनदेखा कर रही थी, तब यहां के नौजवानों ने जेपी समूह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इस मोर्चे ने अपनी जमीनें व नौकरी के झूठे वादे के खिलाफ 22 सितम्बर 2007 को रीवा में नौबस्ता स्थित सीमेंट कम्पनी के गेट के बाहर ज़बरदस्त प्रर्दशन किया। इस प्रर्दशन को कुचलने के लिए जेपी के कर्मचारी और महानिदेशक सन्नी गौड़ व रजनीश गौड़ ने कोई कोर-ओ-कसर नहीं छोड़ी। पहले इन प्रदर्शनकारी नौजवानों, महिलाओं और बच्चों पर लाठियां बरसाई गईं, फिर एक बस में इन सब को जबरदस्ती ठूसने की योजना बनाई गई व बस में आग लगा कर मारने की कोशिश की गई। जब यह सब न बना तो कम्पनी के महानिदेशक ने खुद सुरक्षा गार्ड की बंदूक लेकर 24 वर्षीय राघवेन्द्र सिंह की गोली चला कर हत्या कर दी। दो अन्य लड़कों को घायल कर दिया, जिसमें दोनों लड़कों की आंख चली गई व अनगिनत लोगों पर जानलेवा हमला किया। इस आंदोलन पर उस वक्त रीवा का पूरा मीडिया जगत जेपी समूह के आगे कठपुतली बन कर यह तमाशा चुपचाप देखता रहा और जेपी समूह द्वारा अंजाम दी गई इतनी बड़ी घटना देश की अखबारों की सुखिऱ्यों से गायब थी। फैक्टरी मालिकों ने जान ली, जानलेवा हमला भी किया और उल्टे उन्हीं लोगों पर झूठे मुकदमे भी किए जो कि इस हमले में घायल हुए थे। तमाम प्रशासन जेपी के तलवे चाट रहा था और प्रर्दशनकारियों पर झूठी कार्यवाही करने में जुटा हुआ था। इस माहौल में जो कि नौजवानों के एकदम खि़लाफ था, तब कुछ मीडियाकर्मियों एवं आन्दोलनकारियेां ने अपनी हिम्मत का परिचय दिया और सन्नी गौड़ के अलावा रजनीश गौड़, के0पी शर्मा, अजय राणा, रमेश गुप्ता, शिव शंकर चैबे व रावत छः अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया ।
रीवा के सत्र न्यायाधीश सी0के पालो द्वारा दिनांक 3 जुलाई 2012 को राज्य बनाम संजय एवं अन्य, मुकदमा संख्या 135/08 में विस्तृत व्याख्या के बाद सन्नी गौड़ व छः अन्य पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इस मुकदमे को सीआरपीसी की धारा 139 के तहत दर्ज किया गया।
सन् 2007 में अंजाम दी गई गोलीकांड की इस घटना के बाद कई संगठनों राष्ट्रीय वन-जन श्रमजीवी मंच, उ0प्र0 भूमि सुधार एवं श्रम अधिकार अभियान समिति एवं मानवाधिकार कानूनी सलाह केन्द्र का एक संयुक्त जांच दल घायल नौजवान साथियों से मिलने के लिए रीवा अस्तपताल गया था। इस सम्बन्ध में एक शिकायती पत्र भी मानवाधिकार आयोग को भेजा गया था, तब उस वक्त मानवाधिकार आयोग द्वारा भी इस मामले में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया गया। ( इस पत्र की प्रति व फोटो संलग्न हैं ) लेकिन सत्र न्यायालय द्वारा इस हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना इन संगठनों के प्रयासों की ही जीत है।
देश में जे0पी समूह द्वारा जहां-जहां भी परियोजनाएं लागू की गई हैं, वहां-वहां पर सरकार, प्रशासन, मीडिया ने उनके हाथ औने-पौने भावों में बिक कर लोगों के प्रति अपने दायित्वों को भूल इस कम्पनी को उत्पीड़न करने की खुली छूट दी है। जेपी समूह को जिस तरह से सरकारों ने संवैधानिक अधिकारों से खिलावाड़ करने की छूट दे दी है और देश के प्राकृतिक संसाधनों पर एकाधिकार कायम करने की आज़ादी दी है उसके खिलाफ स्थानीय लोग ही कम्पनी के निहित स्वार्थो के साथ टक्कर ले रहे हंै और उसे चित भी कर रहे हंै। इस तमाशे को सरकार गूंगी-बहरी होकर चुपचाप देख रही है व बेशर्मी से इस कम्पनी के साथ खड़ी होकर उसके ही निहित स्वार्थों को सुरक्षा देने में लगी हुई है। लेकिन आम जनता ने हार नहीं मानी है, जोकि सरकारों द्वारा अपनाई गई नवउदारवादी नीतियों के तहत फैल रहे इस कारपोरेटी आतंक के खि़लाफ खुल कर मैदान में आ चुकी है। सन्नी गौड़ के ऊपर हत्या का मुकदमा कायम होना इस बात को साबित करता है।
ऐसे और भी कई मामले देश में मौजूद हैं, जब जेपी समूह को आम गरीब लोगों के हाथों करारी मात का सामना करना पड़ा है। उत्तरप्रदेश के जनपद सोनभद्र में स्थित डाला सीमेंट कम्पनी जिसे जेपी समूह ने कौडि़यों के भाव खरीदा था, के गेट के ठीक सामने स्थित दलितों की एक मलिन बस्ती के सामने यह कम्पनी बौनी साबित हो रही है। इस मलिन बस्ती को हटाने के लिए जाने कितने हथकंडे यह कम्पनी अपना चुकी है, लेकिन दलित महिलाओं के सामने इस कम्पनी के गुंडे व इस कम्पनी की नौकरी कर रहे उपजिलाधिकारी व जिलाधिकारी इस बस्ती को उजाड़ने में नाकाम रहे हैं। हाई कोर्ट का बहाना बना कर कई बार इस बस्ती को उजाड़ने की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं बनी व बस्ती की एकजुटता के आगे पूरे प्रशासन की जो किरकिरी हुई सो अलग । इस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सचिव मंडल के पद पर नियुक्त विशेष सचिव पनधारी यादव( जो पूर्व सरकार में सोनभद्र के जिलाधिकारी थे) ने तो इस बस्ती में 23 जनवरी 2010 को किसी राजनेता की तरह भाषण देते हुए मलिन बस्ती को अपील करते हुए यह कहा था कि ‘‘अगर मैं आपकी जगह होता तो कम्पनी से एक लाख रूपये लेकर यहां से चला जाता‘‘ जिसपर मलिन बस्ती के साथियों ने एक पर्चा निकालकर इस बात का सख़्त जवाब भी दिया था( पर्चा अंत में संलग्न है ), जिसमें जिलाधिकारी से कहा गया था कि ‘‘जिलाधिकारी महोदय आपके पास तो घर है, इसलिए आप तो अपना मोल लगा कर एक लाख लेकर अपने घर चले जाते हमारा तो कहीं कोई घर ही नहीं है हम कहां जाए? और तब यह प्रकरण जिलाधिकारी की मज़ाक का एक विषय बन गया था। आज आलम यह है कि जेपी समूह की दो फैक्टरी एक चुर्क और दूसरी कोटा गांव में, गैरकानूनी ढंग से वनभूमि पर निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट्स पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है और यह दोनो प्लांट कई महीनों से बंद है।
जेपी समूह को एक और जबरदस्त झटका हिमाचल प्रदेश में इसी वर्ष मई में मिला जब हाई कोर्ट ने कम्पनी को पर्यावरण कानून का उलंघन करने के जुर्म में सौ करोड़ रूपये का जुर्माना अदा करने को कहा व नालागढ़ स्थित सीमेंट कम्पनी को अवैध करार देते हुए फैक्टरी को ढहाने के आदेश दिए। हिमाचल प्रदेश में जिसतरह से किन्नौर से लेकर बिलासपुर तक सैकड़ों हाइड्रो प्रोजेक्ट सारे पर्यावरण मानको को ताक पर रख कर हिमाचल सरकार ने जेपी समूह को सौंपा है उससे आने वाले दिनों में किसी बड़ी पर्यावरणीय त्रासदी से इन्कार नहीं किया जा सकता। जो कि दिल्ली जैसे महानगर को भी तबाह कर सकती है। जबकि शिमला हाईकोर्ट ही के द्वारा नियुक्त अवय शुक्ला जांच समिति की रिपोर्ट में समिति ने हिमाचल में लागू व भावी पनबिजली परियोजना को पर्यावरण मानकों के खिलाफ बताया है व यह सिफारिश की है कि इन सब परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। लेकिन इन सब रिपोर्टो के बावजूद हिमाचल सरकार देश की बेशकीमती सम्पदा का बाज़ारीकरण कर पूरे देश की जनता के साथ धोखाधड़ी कर रही है। इस क्षेत्र में भी एक बड़े आंदोलन की तैयारी है व आने वाले दिनों में जेपी समूह के लिए काफी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। ऐसा दिन भी ज़रूर आएगा कि जनता इन कम्पनी वालों को सरे बाज़ार नंगा कर सज़ा देने से कौताही नहीं बरतेगी। यहां यह बताते चलें कि जेपी समूह ने सीमेंट बनाने के ये सभी उद्योग जनता के साथ धोखाधड़ी करके सरकारी सीमेंट कम्पनी के सीमेंट बेच कर ही खड़े किये हैं। सोनभद्र उत्तरप्रदेश में उत्तरप्रदेश सीमेंट निगम के अंदर एक मामूली इंजिनियर के रूप में नियुक्त थे जिन्हें उनके गैरकानूनी कृत्यों के कारण ही निलंबित कर दिया गया था। उसके बाद जे0पी द्वारा सीमेंट व सीचाई विभाग में ठेकेदारी कर सीमेंट के उद्योग में नवउदारवादी नीतियों का फायदा उठा एक बड़े पूंजीपति के रूप में उभरे। जेपी द्वारा जो लूट की गई, उसमें बेतहाशा काला धन कमाया गया व इसी काले धन से सीमेंट के कारखाने देश के कई हिस्सों में खोले। सोनभद्र की यह सरकारी सींमेंट कम्पनी एशिया की सबसे उच्चतम कम्पनियों में से एक थी, जिसको भ्रष्ट राजनेताओं व नौकरशाहों ने मिल कर खोखला कर दिया। जिसके चलते कम्पनी को 1992 में दिवालिया घोषित किया गया, जिसमें हज़ारों कर्मचारियों द्वारा भुखमरी से तंग आकर आत्महत्या कर ली गई और जो काम किसी ने नहीं किया वह रही सही कसर तत्कालीन समाजवादी सरकार ने 1991 में गोली चला कर कर्मचारीयों को मौत के घाट उतारकर पूरा किया, जिसमें 2 जून 1991 को कई मज़दूरों की हत्या की गई थी। डाला सीमेंट कारखाने के खि़लाफ़ मज़दूरों का यह संघर्ष देश में नवउदारवादी नीतियों के लागू होने के खि़लाफ होने वाला पहला संघर्ष था, जिसे बेरहमी से कुचल कर इस सरकारी कम्पनी का निजिकरण किया गया था। डाला सीमेंट फैक्टरी के ठीक दिवालीया होने से पहिले ही रीवा में नौबस्ता, सतना में जेपी समूह द्वारा इन सीमेंट प्लांटों को लगाया गया जिसे आज एशिया की सबसे बड़ी सीमेंट कम्पनी के नाम से जाना जाता है। जेपी को इस मकाम तक पहुंचने के लिए यह जरूरी था कि डाला सीमेंट कम्पनी दिवालीया हो जाए इसलिए उ0प्र0 हो या मध्यप्रेदश, समाजवादी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस हो या फिर बहुजन समाजवादी पार्टी सभी इस उदारवादी नीतियों के तहत प्राकृतिक संपदा की इस लूट में शामिल हैं व जेपी जैसे पूंजीपतियों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार हैं।
इसलिए कहा जा सकता है कि जेपी सीमेंट से मज़दूरों का खून रिसता है और इस खून की कीमत जेपी सीमंेट के साथ-साथ सभी सरकारों को अदा करने का वक्त भी अब काफी करीब है। विडम्बना यह है कि इस लेख के पूरा होने तक यह खबर मिली कि सन्नी गौंड ने हाई कोर्ट से जमानत ले ली है। यह सन्नी गौंड के लिए कोई बहुत बड़ी जीत नहीं है आज नहीं तो कल मुकदमा तो चलेगा ही और जेल के दरवाज़े भी सन्नी गौंड के लिए जरूर खुलेंगे। इसके लिए आंदोलनकारी नौजवान संगठन एवं अन्य जनसंगठनों ने आंदोलन का आवहान किया है।
मलिन बस्ती के निवासियों द्वारा पर्चे के रूप में जिलाधिकारी को लिखे गए पत्र की प्रति।
24 जनवरी 2010
जि़लाधिकारी श्री पनधारी यादव के नाम खुला पत्र
जायें तो जायें कहां?
आदरणीय जिलाधिकारी महोदय,
हुजूर 23 जनवरी 2010 आप हमारी बस्ती में हमारी बरबादी का आलम देखने व जायजा लेने आये इसके लिये धन्यवाद । हमने ये भी सुना लखनऊ से सरकार का हुक्म हुआ है कि हमारी समस्या को गौर से सुना जाये इसके लिये भी धन्यवाद। आपकी कही गई बातों पर हम सब आपको ये खुला पत्र भेज रहे है। आशा है आप इसे गौर से पढ़ेंगे।
आपने हमारी मलिन बस्ती को न छोड़ने की जि़द् पर कहा कि मैं आपकी जगह में होता तो मैं क्या करता? सरकार, पहली बात तो आप हमारी जगह में क्यों होगें, भगवान ऐसी नौबत न लाये आप पर, आप ठहरे हमारे हाकि़म। अभी हमारे देश में ऐसा कहां हुआ है कि अफसर और ग़रीब जनता एक साथ रहेंगे। पर आप चाहंेगे तो ऐसा सपना भी एक दिन पूरा हो ही जायेगा जब कलेक्टर और हम एक ही जगह रहेंगे फिर हमे कोई नहीं उजाड़ेगा। भगवान करे ऐसा ज़माना आये जब अधिकारी और जनता साथ-साथ रहें। आप ने ये भी कहा कि अगर मैं आपकी जगह होता तो एक लाख रूपये लेकर यहां से चला जाता। सरकार ऐसा कह कर तो आपने हमारी ग़रीबी का मज़ाक उड़ाया है। आप तो एक लाख लेकर अपने घर चले जाते पर हम कहां जायें हमारा तो घर-बार सब यहीं है। आपने तो कई घर बना लिये होंगे शहर में और न मालूम कहां-कहां और आपके सगे सम्बन्धियों के पास भी अच्छे-अच्छे घर हांेगे, लेकिन हमारे पास व हमारे रिश्तेदारों के पास तो कुछ भी नहीं है। और होता तो हम 50 साल पहले क्यों उजड़ते, जो था वो जमींदारों ने लूट लिया या फिर कम्पनी वालों ने छीन लिया। अब जो है तो बस यही है, जिसके पीछे हम अपनी जान भी देने को तैयार हैं। आपके पास तो कई जगह सम्पत्ति है इसलिये आपको शायद इस दो बीघा ज़मीन की कीमत नहीं मालूम होगी, पर हमारे लिये तो यही स्वर्ग है, जिसको हम बेच नहीं सकते और न ही हम किसी को यह अधिकार देते हैं कि इसका मूल्य तय करे।
हुजूर यह सोनभद्र सोने की खान है यहां पिछले 50 वर्षो में जो भी आया उसने चाहे वो जमींदार हों, अधिकारी या फिर कम्पनी वाले हों सबने यहां पर आकर आदिवासियों की भूमि को लूटा और जमीन वाले बन गये। झूठा बेनामा, भूमि रिकार्डो में भारी हेरा-फेरी कर ग्राम सभा की भूमि तक को दबंगों के हवाले कर दिया और जंगल को वनविभाग और बड़ी बड़ी कम्पनियों के हवाले कर दिया। हमें जो विधान के तहत मिलना चाहिये, वो भी आज तक हमें नहीं मिला - यानि हमें रहने के लिये घर, राशन, शिक्षा, स्वास्थ यहां तक की पीने के लिये साफ पानी वगैरह। फिर भी हमने इस देश की सबसे बड़ी सींमेंट फेक्टरी में अपना खून पसीना लगा कर कम्पनी में योगदान दिया। हमारी वजह से कम्पनी घाटे में नहीं गई बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों व सरकार की गलत नीतियों के चलते देश की इतनी बड़ी सीमेंट कम्पनी को जबरदस्ती बंद किया गया। हमारी जो अस्थाई नौकरी थी वो भी हमसे छीन ली गई।
आप कहते हैं कानूनी रूप से ज़मीन जे0पी0 सीमेंट की है । पर हम यह सुनते है कि कानून स्पष्ट रूप से ये भी कहता है कि जब भी कोई कम्पनी या सरकारी सम्पत्ति की खरीद-फरोख़्त होती है, तो उसमें वहां रह रहे लोगों की सहमति भी ली जानी चाहिये। ये सहमति हमसे आज तक नहीं ली गई। और तो और उत्तर प्रदेश में दलितों के निवास के लिये बसपा सरकार ने जमींदारी विनाश कानून 1950 की धारा-122-ख की उपधारा (4-च) तथा धारा 123(1) का संशोधन करते हुये इन उप धाराओं में उल्लिखित संगत तिथि 1 मई, 2002 को बढ़ाकर 13 मई, 2007 कर दिया गया है। इस प्रकार इस धारा/उपधारा में उल्लिखित ग्राम पंचायत की भूमि पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के जो 13 मई, 2007 के पूर्व से काबिज हैं उन्हें अब बेदखल नही किया जाएगा एवं धारा 122-ख (4-च) के अन्तर्गत उन्हें असंक्रमणीय अधिकारो वाले भूमिधर मान लिया जाएगा तथा धारा 123(1) में उल्लिखित प्राविधान के अन्तर्गत ऐसे गृह का स्थल गृह के स्वामी द्वारा ऐसे प्रतिबन्धों और शर्तों जो उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था नियमावली-1952 में नियत है के अन्तर्गत धृत किया जाएगा एवं ऐसे कब्जेदारों के विरूद्ध बेदख़ली की कार्यवाही नहीं की जाएगी।
जब हम यहां आये थे तब जे0पी0 कम्पनी यहां नहीं थी, यह सरकारी भूमि यानि वनविभाग की भूमि थी जो कि अभी भी 1960 की खतौनी में वनभूमि में दर्ज है। इस भूमि पर तो हमारा दावा वनाधिकार कानून 2006 के तहत भी बनता है। जिसके तहत अब आपको हमारे दावे स्वीकार कर हमें बसाने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिये। इस ज़मीन पर हमारा न्यायपूर्ण अधिकार है, तभी आप हमें एक लाख रूपये देकर हमें खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। इस ज़मीन पर रहना हमारा न्यायपूर्ण अधिकार है, हमे शांति से यहां रहने दें व हमें अपने अधिकार पाने में हमारी मदद करें। जिससे कि बराबरी का वो समय आ पायेगा जैसा कि आप चाह रहे हैं। अपनी ज़मीन पा जाने से हम भी अपने बच्चों को पढ़ा कर आप जैसा अफसर बनायेंगे और तब हम सब लोग एक साथ बराबरी से रह सकेंगे। इसलिये सरकार हमें चैन से रहने दंे व हमें अपने बच्चों की परवरिश करने दें आपकी काफी कृपा होगी।
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में।
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में।।
समस्त नागरिकगण मलिन बस्ती,डाला, सोनभद्र, उ0प्र0
National Forum of Forest
People and Forest Workers
B-137, Dayanand Colony, Lajpat Nagar Ph – IV, New Delhi – 110024
Ph no. 011-26214538,
9868217276
e – mail: romasnb@gmail.com
Date: 28th
Sept'2007
To,
The Director,
National Human Rights commission,
Faridkot House, Copernicus Marg,
New Delhi
– 110001
Reg : The firing on unemployed youths, peasants,
farmers, children and women by JP Group of Cement Industries in District Rewa,
Madhya Pradesh.
Respected Sir,
Kindly find the enclosed report
of the team that visited District Rewa on 28th Sept 2007 for
investigating the firing incident that left one young boy Raghwendra Singh
killed and seriously injured two youths who lost their eyes and injured many
peasants, farmers while they were peacefully protesting outside the Naubasta
factory of JP Cement demanding jobs and their livelihood. It is a very shocking
incident where the protestors ranging from 2500 to 3000 young boys and their
guardians were demanding the jobs that were promised to them many years ago in
lieu of land given to the Cement Factory. The factory owners seriously violated
the fundamental human rights of the protestors who were protesting peacefully
and hence they violated their right to livelihood as granted in our
Constitution in Article no. 21.
We request you to take serious
cognizance in this matter and direct the appropriate authorities to immediately
provide relief to those who have been brutally killed and injured and arrest
the owners of the factory that have been charged under murder.
Thanking You,
Your's Sincerely'
Subrat Kisan/Roma/ Shanta
Bhattacharya
Date: 28th
Sept'2007
Report on the
Firing Incident that took Place in District Rewa, Madhya Pradesh by JP Cement
Group on Innocent Protestors
A team of five people from National forum of forest people and forest
worker, U.P. Bhumi Sudhar Awam Shram Adhikar Abhiyan Samiti and Human Rights
Law Centre visited the area where J.P. opened fired at peaceful demonstration
by unemployed youths and women on 22nd Sept., 2007. In this
indiscriminate firing one youth Raghvendra Singh (23 yr.) was killed on spot,
three boys seriously injured of who two have lost their eyes and 60 left
injured whom we met at Sanjay Gandhi hospital today
The team consisted of:
- Roma - Activist
- Shanta Bhattacharya - Activist
- Ramesh Shukla - Advocate
- Matadayal - Activist
- Dadulal – Activist
- Subrat Kisan – Leader of the movement in Rewa
On a fateful day 22/09/07 the
movement led by 2000-3000 unemployed youths, women, children and peasants was
brutally crushed early in the morning by the J.P. Cement factory owners at its
Naubasta factory unit, police and their security guards. The team visited the
hospital where 45 youths and other people were taking treatment for the
injuries they received and interviewed them. The victims revealed horrifying
stories of how they were attacked mercilessly without any intimation by the
authorities and the security guards. Apart from these victims two of them
Prahalad Singh and Ramnarayanh had gone to Delhi AIIMS for treatment of their
eyes. One reporter of electronic media Ashok Maurya who was brutally attacked
by the security guards and his camera broken has been referred to Jabalpur where he
received 15 stitches on the head and his hand operated for treatment. More than
50 who were injured and still charras inside their body have not taken the
treatment because of the fear that they might be implicated in the false cases
by the district authorities if they go to the hospital.
The team interviewed all the
injured who are taking the treatment in the district hospital of Rewa Sanjay
Gandhi Hospital
. Many of them have sustained very serious injuries even than the hospital
authorities issued them discharge slip forcefully and asked them to leave. Most
of the patients have not recovered and charras not removed from their body,
they have not been given medicines also properly.
The following statement was given
by the victims that were horrifying of how the democratic movement of peasants,
farmers, workers, women and youth was brutally crushed by the factory owners
with complete protection of State.
Anandsingh ( 25yrs) of
Kachur village said that all of the residents of Kachur, Sumeda,
Bihara, Kawadangh and others had gathered to demand for the jobs in the factory
as promised by the factory owner in the morning around 9.00AM. By that time CSP
Mr. Jharia, SDM Shivpal singh,Tehsildar Shivani Pandey were already present with
police force along with hundreds of security guards of JP Cement company. We
all said that they can arrest them but without any warning they started firing
at us and stones were also thrown at us from inside the gate. All of us were
unarmed and we were with children and women, had we prepared for the attack we
would not have taken our children and women with us.
Rishikesh Nat (29ys) of Tewani Village
said Sunny Godh alias Manoj Godh MD of JP industries was himself present
with the gun and he shot at Raghwendra Singh who died at the spot. Sunny Godh
told us that if we do not leave the gate of the factory he will start firing at
them. Almost all the victims said that they are witness of how Sunny Godh and
his brother Rajnish Godh killed Raghvendra Singh.
Ramanuj Singh ( 60yrs) of
Kachur Village said in that we were the labourers of the local
zamindars. They had huge amount of land for which they got huge compensation
form the factory. We use to earn our livelihood from those lands our landlords
got everything compensation, jobs and what we got… we got bullets. How should I
look after my children there is no alternative left for me? The government does
not want us to survive they should kill us than administration and sunny Godh
will be there to survive they will get rid of us.
Shivraj Singh (21yrs) of
Kachur village said that we were demonstrating peacefully and told the
authorities to arrest us but without warning they started firing and throwing
stones at us. The police and security guards both are involved in this action.
They also threw tear shells at us so that we disperse form there.
Anjani Tiwari (23yrs) of
Kachur village who was injured badly in chest, head and other places
said that he was witness of how Raghvendra was killed, Sunny Godh called all of
us for dialogue when we moved forward in which Raghvendra was in the front,
Sunny fired at him and Raghvendra died on the spot. He fired at him with his
pistol, six bullets were fired at him of them two bullets crossed Raghvendra's
body.
Chandramani Singh (50yrs)
of Kachur Village said that all the
villagers have been protesting since last few years for the jobs and livelihood
from JP as he has destroyed the livelihood of thousands of people. Villagers
were demonstrating peacefully and had no intention to attack as we were with
our children. My ten year old daughter gave a speech also, the speech is
written with me and lying at my house. I lost my two and half acre of land,
very less compensation was given to me I have still not taken the compensation.
Many influential people got around 17 lakh per acre and even more but our lands
were taken at throw away prices. All the jobs are being filled from outside we
don't have land neither jobs how are we going to survive.
Meera Singh (35 yrs) from Kachur Village
was also injured badly while saving her children. She reported that there
was no ladies police on the spot even though there was presence of all
officials of administration and women Tehsildar Shivani Pandey. But none of
women were spared they were brutally attacked and mercilessly beaten. She
showed the injuries in her chest, underarms and arms. She said she lost her 10
acre of land that was taken some 20yrs before for a throw away price and now
they don't have anything for livelihood. Her two children were in the
demonstration she said if they don't get jobs how are they going to eat.
Ramadhar Singh (27yrs) from
Kachur village said that he was attacked mercilessly by the security
guards by the gun but in his chest, legs and head.
Lakshman Sing ex Sarpanch
(45yrs) from village Kawadhang was also protesting peacefully with the
other protestor he was too beaten up so badly that he became unconscious and
was thrown in the fields. Where he was found by Subrat Kisan leader of the
movement who brought him to the hospital.
Pradeep (24yrs) from
village Kachur said that in the hospital also they are not being
treated properly and said that today they have given us the discharge slip and
asked us to go. He was worried that how will be the treatment done.
Many of the victims were passer
by or persons who were not the part of the protest yet they were also caught in
the crowd and landed up in the hospital e.g Bhailal Patel, Anil kr. Saket,
Avdesh chaturvedi, Shiv kr Singh, Sanjeev who was a contract labour, Chotelal
Rajak the details of their injury is given below in the table.
It was very clear from the
investigation that people were peacefully demonstrating outside the Naubasta JP
Cement Factory and there was indiscriminate firing by police, security guards
and the owners themselves on the innocent protestors who were demanding jobs
and livelihood as was promised to them at the time of taking of their land. It
was also told by almost all of the victims that Sunny Godh and Rajnish Godh
fired directly at the protestors in which one youth Raghvendra Singh lost his
life. In this firing two of young boys Prahalad Singh and Ramnarayan lost their
eyes and have been admitted to AIIMS Delhi for treatment.
The FIR against Sunny Godh and
Rajnish Godh has been lodged but the administration has not taken any strong
step in arresting the two for murdering young boy and shooting with their
security guards with guns.
In a fresh incident it has been
reported by Subrat Kisan from Rewa that 150 people have been picked up by
police from various villages in order to sabotage the dharna and rally
organized by CPM in front of the gates of JP Cement Factory on 1 st
oct 2007. More than 17,000 police personnel have been deployed around the
factory to confront the rally.
The investigation team urges
that:
- NHRC should direct the District Commissioner of the Rewa District to arrest Sunny Godh, Rajnish Godh and others who have been named in FIR.
- The jobs should be given to the peasants, farmers and workers who lost their land to JP Cement Factory without any further delay. They should be identified and rehabilitated properly.
- All innocent youth, children, women and men who have
been injured in this peaceful agitation should be compensated for their
body injuries and damage to their body according to the recent judgement
given in Narmada Case by the H'ble High Court Chief Justice A. K. Patnaik
and Justice Ajit Singh of
the Jabalpur High Court on 25th July on PIL filed by Medha Patekar from Badwani Jail. The order has asked the State government to pay a substantial amount for the satyagrahis for arresting them and illegally detaining them in jail. - A high level enquiry should be held in the matter of violation of environmental standard in the mining operation by JP Cement Group and accordingly all the mining leases granted to JP group should be cancelled for all over the Country.
- An enquiry should also be conducted in the matter of the mining operation that is resulting into damaging the houses situated in the range of 10Km of the area around the factory.
List of injured
S. No.
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Name
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Age
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Village
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Body injured
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1.
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Acchelal Singh
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35yr.
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Kachur
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Charra injured at arms, Head,
Chest and swollen leg
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2.
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Anil Kumar Saket (S.C.)
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13yr.
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Kachur
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Charra injured chest, under arm
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3.
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Manmohan Dwivedi
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Kachur
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||
4.
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Anup Singh
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18yr.
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Kachur
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Charra injured at 18 places
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5.
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Krishna
Kumar
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23yr.
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Kachur
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Charra injured at 6 places
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6.
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Kaushal Singh
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30yr.
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Kachur
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Leg fracture, charra injured 50th
hands shill wide
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7.
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Tarun Singh
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21yr.
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Kachur
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Charra in both hands & back
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8.
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Satyaman Singh
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24yr.
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Kachur
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Charra injured hands &
chest still inside
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9.
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Umakant Sondhiya
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11yr.
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Kachur
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Charra in underarms
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10.
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Ajay Singh
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20yr.
|
Kachur
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Charra in chest and stone
injured in foot
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11.
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Vinod Mishra
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40yr.
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Kewadang
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Rubber bullet injured at 32
places in body and legs swollen due to lathi charge, buttoches, back, chest,
head, arms all with rubber bullets
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12.
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Sanjay Singh
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20yr.
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Dermau
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Injured in head & back
swollen
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13.
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Rajmani
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19yr.
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Kachur
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3 place rubber bullets head,
chest & arms.
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14.
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Avadhesh Chaturvedi
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25yr.
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Gangawah
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He was a hotel worker was
attaced by lathi &
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15.
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Anand Singh
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22yr.
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Kachur
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Legs, arms and chest swollen
due to lathi charge
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16.
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Ramkalash
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25yr.
|
Kachur
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Charras in chet, arms, head
|
17.
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Raviraj Singh
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21yr.
|
Kachur
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Charras in chest & back,
head injured due to stiring by J.P. security guards
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18.
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Rishilesh Nut
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29yr.
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Tewari
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Charras in arms, underarms and
eye irritation due to tear gas
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19.
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Ramanuj Singh
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60yr.
|
Kachur
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Head & chest injured
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20.
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Shivkumar Dingh
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25yr.
|
Kachur
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He is watch guard, charras
injury all over the body
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21.
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Shivraj Singh
|
60yr.
|
Kachur
|
Injury all over the body
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22.
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Shankar Dayal Singh
|
35tr.
|
Bakhari
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Injury in body due to
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23.
|
Rajesh Singh
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40yr.
|
Kachur
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Injury to whole body due to charra
and lathi charge
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24.
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Ajit Kumar Sahu
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20yr.
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Barwah
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Injury in chest and by lathi
charge
|
25.
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Mithilesh Singh
|
22yr.
|
Sumeda
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Head injury, 9 stiches in head
charra in arms & back and attached by lathi
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26.
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Rajbabu Singh
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20yr.
|
Sumeda
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Injury due to lathi charge in
arms, whole body swollen, nerve injured as shown in X-ray
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27.
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Rajan Kol (S.T.)
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20yr.
|
Kachur
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Injury in whole body
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28.
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Lakshman (Ex )
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40yr.
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Kawa Dhang
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Serious, injury all over the
body he was lying unconscious in
Was piched by activists
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29.
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Anjani Tiwari
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23yr.
|
Kachur
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Injury in head and chest,
attacked by lathi on back
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30.
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Chandraman Singh
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50yr.
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Kachur
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Injury in whole of the body
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31.
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Ramadhar Singh
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27yr.
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Kachur
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Injury in head, chest &
fingers was attacked by security guard by gun but.
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32.
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Meera Singh
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35yr.
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Kachur
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Injury in head, chest &
arms. She was attacked while saring her
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33.
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Pradeep
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24yr.
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Kachur
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Charras in leg, arms, hands,
neck
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34.
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Sukhinand
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18yr.
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Kachur
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Attacked by stone in hands,
arms, legs and foot by security guards
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35.
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Sanjeev (Satna Dist.)
|
18yr.
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Devmau
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Charra in underarms, hands and
legs swollen due to lathi charge.
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36.
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Tejbhan (S.T.)
|
24yr.
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Kachur
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Charra in back and buttocks
swollen due to lathi charge.
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37.
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Bhailal Patel
|
28yr.
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Sidhi
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Attacked by boots on back,
chest and foot. Body swollen.
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38.
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Chotelal Rajat
|
50yr.
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Kechur
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Head injury, mentally disturbed
due to attack
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39.
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Kripashanker Dwivedi
|
<
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