Yeh khoo ki mahak hai ke labb-e yaar ki khusbookis raah ki janib se sada aati hai dekhoGulshan mein bahar aayi ke zinda hua aabadKis simt se nagmo ki sada aati hai dekho"Faiz Ahmed Faiz"
National Forum of Forest People and Forest workers
cordially invites you toA beautiful Musical Evening
Khawab-e-sahar
( Dream of a morning )
Cultural space in people's resistance against hierarchy and elitismPerformance by eminent performing Classical and folk artist
Dr.Subhendu Ghosh, Pratidhwanion 22nd July 2012, 5.00 -7.00 PM
Indian Social Institute, Lodhi Institutional Area, New Delhi
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आमंत्रण
ये खूं की महक है कि लब-ए-यार की ख़ुश्बूकिस राह की जानिब से सदा आती है देखोगुलशन में बहार आई के ज़िन्दां हुआ आबादकिस सिम्त से नग़मों की सदा आती है देखो-"फ़ैज़"
एक शाम सांस्कृतिक आंदोलन के नाम
ख़्वाब-ए-सहरप्रसिद्ध शास्त्रीय व लोक गायक कलाकारडा0 शुभेंदु घोष(प्रतिध्वनि)द्वारासामाजिक व राजनैतिक आंदोलनों में सांस्कृतिक आंदोलन की भूमिका के संदर्भ मेंक्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुतिदिनांकः 22 जुलाई 2012 सांय 5.00 से 7.00 बजे तकस्थानः- आई.एस.आई, इन्स्टीट्यूषनल एरियालोधी रोड- नई दिल्ली
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आयोजकः- राष्ट्रीय वन-जन श्रमजीवी मंच ( NFFPFW)
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