Thursday, August 28, 2014

अधौरा ,(कैमूर) बिहार में डा0 विनयन की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम की संक्षिप्त  रिपोर्ट

दिनांक 20 -21 अगस्त ,2014



अधौरा,बिहार 20-21 अगस्त को प्रबुद्ध क्रांतिकारी विचारक व जननेता दिवंगत डा.विनयन कि 8वी पुण्यतिथि पर डाँ विनयन आश्रम  पर आयोजित जनसभा मे कैमुर क्षेत्र तथा अन्य राज्यो से आये हुए सैकड़ों आदिवासी ,दलित साथियों एवं वन व भू-अधिकार संघर्ष से जुड़े हुए  कार्यकर्ताओं ने उनको भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उनके विचारो पर गहन चर्चा की। डा.विनयन अपने जीवन काल मे शोषित समाज के संघर्षों के एक सशक्त प्रणेता रहे हैं और अब जनसंघर्षों के एक राष्ट्रीय प्रतीक  हंै। उन्हें किसी एक क्षेत्र विशेष से जुड़कर  देखा नही जा सकता। इस बार अधौरा कार्यक्रम में स्थानीय कैमूर और रोहताश जिले के अलावा झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और गुजरात के आदिवासी- दलित संघर्षों के प्रतिनिधिगण ने पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ भाग लिया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या
में महिलाओं ने भाग लिया। कैमूर क्षेत्र के साथिओ पर इसका बहुत अच्छा असर रहा। लेकिन मध्यम वर्गीय समझदार लोग नदारद रहे। शायद जनसंघर्षों में और वो भी इतनी पिछड़े इलाको की आम जनता पर अब इनका भरोसा कम हो गया हो।

कार्यक्रम में सुबह से ही आंदोलन के गाने और लोकगीत शुरू हो गए थे और करीब 12.00 बजे से जनसभा शुरू हो गयी, जिसमे स्थानीय और अन्य क्षेत्रों से आए हुए साथीगण ने अपने अपने विचार को रखे। जनसभा में मुख्य विषय डा.साहब द्वारा उठाई गई मागं पुरे कैमुर क्षेत्र को 5वी अनुसूची मे शामिल करना और फिर एक कैमूर पर्वतीय परिषद का गठन होना रहा। यह दोनों मुद्दे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं । तय हुआ कि इस मुद्दे पर अभियान
शुरु होगा, जिससे आये हुए तमाम साथीगण बहुत उत्साहित हुए। यह जनसभा शाम 5 बजे तक चली। देर शाम को कार्यकर्ता बैठक शुरू हुई और रात तक चर्चा चली । बैठक मे इस
अभियान के विषय पर  ठोस चर्चा हुई जिससे अभियान की एक स्पष्ट रुपरेखा तैयार हुई। सभी क्षेत्र के साथिओं ने और विशेष कर गुजरात,बुंदेलखंड और तराई क्षेत्रों के साथीगण ने भी इस महत्यपूर्ण चर्चा में भाग लिया। इस से कैमूर के साथियों का उत्साहवर्धन हुआ। उनको अहसास हुआ कि डा.साहब के इस सपने को साकार करने का आंदोलन केबल कैमूर
का ही नही है, बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन का एक  हिस्सा है। जिसमे सभी क्षेत्रों के साथीगण शामिल रहेंगे । संघर्षशील जनमानस में जो क्रन्तिकारी चेतना का उदय हो रहा है वो अभूतपूर्व है और यह चेतना पूरे समुदाय को भी सशक्त कर रही है। वे अब अपने क्षेत्रीय संघर्ष को अपने बलबूते पर लड़ने के लिए संघर्ष को व्यापक दायरे में देखने की कोशिश
कर  रहे हैं। ये साफ जाहिर हो रहा है कि अब इन संघर्षशील समुदायों को परंपरागत तरीके से  केवल स्थानीय स्तर पर ही सीमित रखकर संगठित करना टिकाऊ नहीं होगा और ना ही अब वे मलिकनुमा संस्थाओं के नेतृत्व के अधीन रहे सकते। परंपरागत तरीके से चल रहे आम  मध्यम वर्गीय नेतृत्वकारी समूह या संगठन इस नई चेतना को ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं, जिसके कारण जनांदोलन से अलग होते जा रहे  हैं और संस्थागत गतिविधिओं के सीमित दायरे में ही बंधे रहते है । एक तरह से लकीर के फकीर बने हुए है। आज वक़्त का  तकाजा यही है, कि अब सामुदायिक नेतृत्व को आगे बढ़ाना होगा
और मध्यम वर्गीय नेतृत्व को सहायक भूमिका में रहना होगा। तभी जनांदोलनों में गतिशीलता बनी रहेगी और दोनों तबकों के बीच संबंधों में भी गतिशीलता आयेगी।

कैमूर क्षेत्र में  इस  अभियान को धरती माॅ, लोक विद्या व लोक सांस्कृतिक विचार के आधार पर चलाया जायेगा। पिछले जून माह में सारनाथ ,वाराणसी में कई जनसंगठनों और जनप्रयासों ने मिलकर तय किया था कि इन बुनियादी वैचारिक आधारों को जनान्दोलनों के साथ जोड़कर  कैमूर क्षेत्रों में एक सार्थक अभियान चलाया जाएगा। जिसकी शुरुआत अधौरा से की गयी। इस अभियान को  चलाने हेतु विस्तृत कार्यक्रम तय किए गए। इसके लिए  पदयात्रा, जननाट्î और पोस्टर पर्चा आदि तैयार किया जायेगा। अक्टूबर माह में कैमूर
के अलग-अलग इलाकों में पदयात्रा आयोजित की जाएगी जिसके अंतर्गत अभियान
के मुख्य मुद्दे पर लोगों के साथ सीधी बातचीत होगी। चर्चा को पुख्ता करने के लिए पोस्टर पर्चे का भी इस्तेमाल किया जायेगा। जननाट्î कार्यक्रम साथ-साथ शुरू  करने हेतु एक विशेष कार्यशाला सितम्बर माह में आयोजित की जाएगी, जिसमे 30 नौजवान साथियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। अलग अलग टोली बनाकर पदयात्रा के समय नाट्य कार्यक्रम किये जायेंगे। आदिवासी किसान संघर्ष मोर्चा ,गुजरात के संयोजक साथी रोमेल सुतारिया कार्यशाला को संगठित करेंगे ।  साथी रोमेल लम्बे समय से गुजरात में युवा सांस्कृतिक
आंदोलन से जुड़े हुए है और मूल रूप से दलित-आदिवासी समुदायों के बीच सक्रिय है । यह भी तय किया गया 5 वी अनुसूची में कैमूर क्षेत्र को शामिल करने की मांग पर क्षेत्र में पदयात्रा के तुरंत बाद नवम्बर माह में दिल्ली में संसद में शीत कालीन सत्र चालू होने पर धरना प्रदर्शन किआ जायेगा ताके  यह मांग राष्ट्रीय पटल पर आ जाये । इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु  अन्य संगठनो जैसे संघर्ष 2014 ,दिल्ली सहायता समूह,इंसाफ,अमन नऐपीएम  आदि से भी सहयोग लिया जायेगा।

कार्यक्रम के इसी क्रम मे दूसरे दिन(21 अगस्त ) महिलाशक्तिकरण पर गहन चर्चा हुई। हर क्षेत्र की महिला पंचायत व महिला वनोपज उत्पादक संघ के गठन के कार्यक्रम तय किए गए। अधौरा -रोहताश क्षेत्र और सोनभद्र की महिला पंचायतों के लिए सदस्यों की सूची भी तय की गयी। सभा में मौजूद पुरुष साथिओं ने महिला पंचायतों के गठन को समर्थन दिया।  महिला साथिओं में काफी जोश दिखाई दिया और उनका हौसला भी काफी बुलंद  है ।

अंतिम सत्र में संगठन की  मजबूती के लिए कार्यक्रम तय किये गये। सदस्यता अभियान और गाँव-गाँव में कमेटी गठन से सांगठनिक प्रक्रिया को मजबूत किया जायेगा। अंत में गुजरात की बहनो के आंदोलनात्मक गीतों से कार्यक्रम की समाप्ति की गयी। कार्यक्रम का पूरा खर्च सभी जनसंगठनों और मित्र संगठनों ने मिलकर पूरा किया। कुल मिलाकर दो दिन का यह कार्यक्रम बहुत उत्साहवर्धक और सुखद रहा।

उम्मीद है इस प्रक्रिया से क्षेत्रीय जनसंगठन और  जनसंघर्षो के स्वतन्त्र राजनैतिक विचार  मजबुत होंगे और आगामी दिनों में एक सशक्त जनांदोलन कैमूर में विकसित होगा।

भवदीय 
अशोक चौधरी
अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन